गांधीनगर: भारत की सेना, वायु सेना और नौसेना इसके तीन सुरक्षा विंग हैं, और उनमें से प्रत्येक की एक बड़ी और महत्वपूर्ण भूमिका होती है. इनमें भारतीय नौसेना को एक ही जहाज या पनडुब्बी पर समुद्र में तीन से छह महीने तक व्यतीत करने पड़ते हैं. इसी कड़ी में गांधीनगर डिफेंस एक्सपो 2022 (Defexpo 2022) में पनडुब्बी संरचना और उसके कामकाज के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है.
डिफेंस एक्सपो में पनडुब्बी के अंदर के दृश्य का डेमो दिखाया गया है. इसमें पनडुब्बी पानी की सतह से कुछ समुद्री मील पर कई मीटर नीचे की स्थिति को दर्शाया गया है. इसमें सेना के अधिकारी भी वहां पर मौजूद हैं. इसमें सबसे यह भी अहम होता है कि यदि विरोधी के द्वारा पनडुब्बी पर हमला किया जाता है तो पनडुब्बी अधिकारी प्रतिद्वंदी की आवाज से हमले को न केवल जल्दी पहचान लेगा बल्कि पनडुब्बी को समुद्र की सतह भी लाए जाने के साथ ही कुछ ही मिनटों में ऊपर के क्षेत्र से उसे हटा दिया जाता है.
एक्सपो में पनडुब्बी के अंदर के नजारे को न केवल देखा जा सकता है बल्कि इसके संचालन और अन्य गतिविधियों के बारे में भी जानकारी दी गई है. वहीं पनडुब्बी के अंदर लाल रंग की रोशनी जलती रहती है. इस संबंध में नौसेना के लेफ्टिनेंट विक्रम शर्मा (Lt. Vikram Sharma) ने ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में बताया कि पनडुब्बियों में रडार और मिसाइलों को फायर करने के लिए प्रयोग किया जाने वाला तंत्र पूरी तरह से भारत में निर्मित होने के साथ ही पूरी तरह से सुरक्षित है. उन्होंने कहा कि गांधीनगर डिफेंस एक्सपो में पनडुब्बी के प्रदर्शन के दौरान जनता यह अनुभव कर सकेगी कि पनडुब्बी के अंदर कैसा रहता है. वहीं पनडुब्बी के अंदर रडार सिस्टम, फायरिंग सिस्टम और मिसाइल लॉन्च सिस्टम भी प्रदर्शित किए गए हैं.
वायु सेना के ड्रोन, हेलीकॉप्टर और मिसाइल आकर्षण का केंद्र: गांधीनगर हेलीपैड ग्राउंड के डिफेंस एक्सपो में वायु सेना के ड्रोन, हेलीकॉप्टर और मिसाइल भी मुख्य आर्कषण का केंद्र रहे. खास बात यह है कि वायुसेना ने कश्मीर जैसे पहाड़ी इलाकों में हेलीकॉप्टरों के इस्तेमाल और उनसे किस तरह के नजारे देखे जा सकते हैं, इस पर भी एक प्रेजेंटेशन दिया. इसके साथ ही कई मिसाइलें डिफेंस एक्सपो का मुख्य आकर्षण बनीं. ये सभी सामान मेड इन इंडिया हैं.
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