बीकानेर : पत्तों की खूबसूरती उसकी हरियाली से होती है, अगर पत्ते की हरियाली को अलग कर दिया जाए, तो उसकी खूबसूरती कम हो जाती है. लेकिन, बीकानेर की कलाकार मिट्ठू मेहरा अपने हुनर के जरिए सूखे पत्तों पर चार चांद लगा रही हैं. बचपन से ही पेंटिंग का शौक रखने वाली मिट्ठू मेहरा पत्तों पर मनमोहक आकृति उकेर कर हर किसी को आकृषित कर रही हैं.
हर व्यक्ति किसी ना किसी हुनर का सिकंदर होता है. बस उसे मेहनत, लगन और कठिन परिश्रम से तराशने की जरूरत होती है. मिट्ठू मेहरा इसका जीवंत उदाहरण हैं. मिट्ठू मेहरा ने कैनवास पर रंगों के सहारे कलाकृतियां बनाते हुए अब पेड़ के पत्तों पर कलाकृतियां बनाने का नवाचार किया है.
पत्तों पर उकेर रही कलाकृतियां
मिट्ठू मेहरा ने अलग-अलग महापुरुषों की आकृति को केले, बड़ और पीपल के पत्तों पर आकृति के रूप में हूबहू वैसे ही उकेरकर अपने हुनर का प्रदर्शन कर रही हैं. मिट्ठू ने बताया कि बचपन से ही उसे पेंटिंग और कलाकृतियों का शौक था. अब स्नातकोत्तर की डिग्री मिली है और कुछ ऐसा करने की ठानी, जो अब तक किसी ने नहीं किया. उसे खुशी है कि अपने काम में उसने इस तरह की पहल की है और इसका उसे अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है.
परिवार में नहीं कोई ऐसा...
कहते हैं कई गुण विरासत में मिलते हैं, लेकिन मिट्ठू के मामले में यह बिल्कुल अलग है. मिट्ठू के परिवार में कोई भी पेंटिंग या कलाकृतियों को बनाने का शौकीन नहीं है, ना ही किसी को यह काम आता है. मिट्ठू को अपने स्तर पर ही इस तरह का शौक लगा और आज वह इसमें सफल हो रही है.
पढ़ें: कर्नाटक के इस गांव में पत्नी प्रधान और पति ऑफिस सहायक
ऐसे लगा शौक
मिट्ठू ने बताया कि बचपन से ही उसे चित्रकारी का शौक था और कैनवास पर चित्र उकेरते हुए उसे इसमें रुचि आने लगी. उसकी पेंटिंग को लोगों ने सराहा, तो उसका मनोबल बढ़ता गया. कैनवास पर चित्र करने के साथ ही रंगों से उसे लगाव हो गया. उसके बाद अब इसी विषय में पढ़ाई कर डिग्री हासिल की.
अब सीखाने का उठाया बीड़ा
मिट्ठू ने बताया कि वह लीफ पेंटिंग को आगे बढ़ाना चाहती है. उसने अपनी कला को कुछ बच्चों को सिखाना भी शुरू किया है. उसने बताया कि बांटने से ज्ञान बढ़ता है. यही बचपन में सुना है और इसी के लिए कुछ बच्चों को सिखाने का बीड़ा उठाया है.