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गैर-भाजपा मोर्चा बनाने में जुटी TMC, ममता की यात्रा से पहले जमीन तैयार कर रहे नेता

बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 2024 के आम चुनावों के लिए गैर-भाजपा मोर्चा बनाने का आह्वान किया है. टीएमसी ने इस पर काम भी शुरू कर दिया है. गुरुवार को दिल्ली में तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य सुखेंदु शेखर रॉय के आवास पर बैठक हुई जिसमें हाल ही में टीएमसी में शामिल हुए यशवंत सिन्हा थे.

ममता
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Published : Jul 22, 2021, 9:06 PM IST

कोलकाता/नई दिल्ली : तृणमूल सुप्रीमो (Trinamool supremo) ममता बनर्जी ने 2024 के आम चुनावों के लिए केंद्र में गैर-भाजपा मोर्चा बनाने का आह्वान किया. 26 जुलाई को ममता दिल्ली जाएंगी. उनकी यात्रा से पहले ही उनके भतीजे पार्टी महासचिव अभिषेक बनर्जी, पार्टी नेता मुकुल रॉय और रणनीतिकार प्रशांत किशोर आम सहमति बनाने के उद्देश्य से गुरुवार को नई दिल्ली पहुंच चुके हैं.

ऐसे में सवाल ये है कि क्या तृणमूल अब गढ़वाले राज्यों पर ज्यादा ध्यान देगी? या वह पहले उत्तर पूर्व में अपनी स्थिति मजबूत करेगी? दिल्ली पहुंचने के बाद ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) के वहां राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों के कई नेताओं के साथ बैठक करने की उम्मीद है. उसके ठीक पहले उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी, मुकुल रॉय और पीके की नई दिल्ली की यात्रा का उद्देश्य उनकी आगामी यात्रा के लिए आधार तैयार करना है.

गुरुवार को नई दिल्ली में तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य सुखेंदु शेखर रॉय के आवास पर तीनों नेताओं ने इस संबंध में बैठक की, जिसमें हाल ही में टीएमसी में शामिल हुए यशवंत सिन्हा थे. पार्टी सूत्र ने कहा कि गुरुवार की बैठक में 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी की राष्ट्रीय विस्तार योजनाओं और भाजपा विरोधी बड़ा गठबंधन बनाने की रणनीति सहित कई मुद्दों पर चर्चा हुई. पार्टी नेता डेरेक ओ'ब्रायन ने कहा कि अब तृणमूल का मूल लक्ष्य 2024 में भाजपा को हराना है. क्या ममता बनर्जी को वह प्रधानमंत्री के चेहरे के रूप में प्रस्तावित कर सकते हैं? इस सवाल पर तृणमूल सांसद स्पष्ट उत्तर देने से बचते दिखे.

भाजपा विरोधी गठबंधन के महत्व को समझें

तृणमूल कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा 'मुख्यमंत्री चाहती हैं कि विपक्षी गठबंधन केंद्र सरकार की विभिन्न नीतियों और फैसलों के खिलाफ एकजुट होकर आगे बढ़े, ताकि देश के लोग 2024 में लोकसभा चुनाव से बहुत पहले विपक्षी गठबंधन के बारे में विश्वास पैदा कर सकें. मुख्यमंत्री चाहती हैं कि अन्य भाजपा विरोधी विपक्षी दल जल्दी गठबंधन के महत्व को समझें.'

पता चला है कि गुरुवार की बैठक में तय हुआ कि अब से यशवंत सिन्हा तृणमूल कांग्रेस की ओर से अन्य राष्ट्रीय और क्षेत्रीय पार्टी नेताओं से बातचीत करेंगे. उनका समर्थन मुकुल रॉय करेंगे. अभिषेक विशेष रूप से पूर्वोत्तर भारत के विभिन्न राज्यों में पार्टी के नेटवर्क को मजबूत करने के मुकुल रॉय के अनुभव का फायदा उठाना चाहते हैं. पूरी संभावना है कि वह अगले महीने मुकुल रॉय के साथ त्रिपुरा का दौरा करेंगे.

केजरीवाल, पवार के साथ बैठक करेंगी ममता!

यह भी पता चला है कि अगले सप्ताह नई दिल्ली की यात्रा के दौरान ममता दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, राकांपा प्रमुख और शरद पवार सहित अन्य के साथ बैठक करेंगी. उन्हें पहले ही चंडीगढ़ जाने और कृषि बिल के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों के मंच पर आने का न्योता मिल चुका है. हालांकि, पार्टी के सूत्रों ने कहा कि नई दिल्ली में अपने व्यस्त कार्यक्रम के कारण, मुख्यमंत्री इस बार चंडीगढ़ का दौरा नहीं कर पाएंगी. वह पहले ही घोषणा कर चुकी हैं कि आंदोलन के प्रति उसका पूरा समर्थन है. अगर किसान नेता उनसे नई दिल्ली में मिलना चाहते हैं तो वह इसके लिए तैयार हैं. उधर,

चर्चा में शामिल होने से इनकार

उधर, किसान आंदोलन पर आज राज्यसभा की बिज़नेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक हुई जिसमें कृषि कानूनों पर चर्चा के लिए समय तय किया जाना था लेकिन तृणमूल सांसदों ने इससे साफ इनकार कर दिया. डेरेक ओब्रायन ने कहा कि पहले सरकार तीनों कृषि कानून को रद्द करे उसके बाद चर्चा कर सकते हैं.

पढ़ें- भाजपा का आरोप, 'विपक्षियों पर नजर रखने के लिए ममता कर रहीं पेगासस का इस्तेमाल'

कोलकाता/नई दिल्ली : तृणमूल सुप्रीमो (Trinamool supremo) ममता बनर्जी ने 2024 के आम चुनावों के लिए केंद्र में गैर-भाजपा मोर्चा बनाने का आह्वान किया. 26 जुलाई को ममता दिल्ली जाएंगी. उनकी यात्रा से पहले ही उनके भतीजे पार्टी महासचिव अभिषेक बनर्जी, पार्टी नेता मुकुल रॉय और रणनीतिकार प्रशांत किशोर आम सहमति बनाने के उद्देश्य से गुरुवार को नई दिल्ली पहुंच चुके हैं.

ऐसे में सवाल ये है कि क्या तृणमूल अब गढ़वाले राज्यों पर ज्यादा ध्यान देगी? या वह पहले उत्तर पूर्व में अपनी स्थिति मजबूत करेगी? दिल्ली पहुंचने के बाद ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) के वहां राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों के कई नेताओं के साथ बैठक करने की उम्मीद है. उसके ठीक पहले उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी, मुकुल रॉय और पीके की नई दिल्ली की यात्रा का उद्देश्य उनकी आगामी यात्रा के लिए आधार तैयार करना है.

गुरुवार को नई दिल्ली में तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य सुखेंदु शेखर रॉय के आवास पर तीनों नेताओं ने इस संबंध में बैठक की, जिसमें हाल ही में टीएमसी में शामिल हुए यशवंत सिन्हा थे. पार्टी सूत्र ने कहा कि गुरुवार की बैठक में 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी की राष्ट्रीय विस्तार योजनाओं और भाजपा विरोधी बड़ा गठबंधन बनाने की रणनीति सहित कई मुद्दों पर चर्चा हुई. पार्टी नेता डेरेक ओ'ब्रायन ने कहा कि अब तृणमूल का मूल लक्ष्य 2024 में भाजपा को हराना है. क्या ममता बनर्जी को वह प्रधानमंत्री के चेहरे के रूप में प्रस्तावित कर सकते हैं? इस सवाल पर तृणमूल सांसद स्पष्ट उत्तर देने से बचते दिखे.

भाजपा विरोधी गठबंधन के महत्व को समझें

तृणमूल कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा 'मुख्यमंत्री चाहती हैं कि विपक्षी गठबंधन केंद्र सरकार की विभिन्न नीतियों और फैसलों के खिलाफ एकजुट होकर आगे बढ़े, ताकि देश के लोग 2024 में लोकसभा चुनाव से बहुत पहले विपक्षी गठबंधन के बारे में विश्वास पैदा कर सकें. मुख्यमंत्री चाहती हैं कि अन्य भाजपा विरोधी विपक्षी दल जल्दी गठबंधन के महत्व को समझें.'

पता चला है कि गुरुवार की बैठक में तय हुआ कि अब से यशवंत सिन्हा तृणमूल कांग्रेस की ओर से अन्य राष्ट्रीय और क्षेत्रीय पार्टी नेताओं से बातचीत करेंगे. उनका समर्थन मुकुल रॉय करेंगे. अभिषेक विशेष रूप से पूर्वोत्तर भारत के विभिन्न राज्यों में पार्टी के नेटवर्क को मजबूत करने के मुकुल रॉय के अनुभव का फायदा उठाना चाहते हैं. पूरी संभावना है कि वह अगले महीने मुकुल रॉय के साथ त्रिपुरा का दौरा करेंगे.

केजरीवाल, पवार के साथ बैठक करेंगी ममता!

यह भी पता चला है कि अगले सप्ताह नई दिल्ली की यात्रा के दौरान ममता दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, राकांपा प्रमुख और शरद पवार सहित अन्य के साथ बैठक करेंगी. उन्हें पहले ही चंडीगढ़ जाने और कृषि बिल के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों के मंच पर आने का न्योता मिल चुका है. हालांकि, पार्टी के सूत्रों ने कहा कि नई दिल्ली में अपने व्यस्त कार्यक्रम के कारण, मुख्यमंत्री इस बार चंडीगढ़ का दौरा नहीं कर पाएंगी. वह पहले ही घोषणा कर चुकी हैं कि आंदोलन के प्रति उसका पूरा समर्थन है. अगर किसान नेता उनसे नई दिल्ली में मिलना चाहते हैं तो वह इसके लिए तैयार हैं. उधर,

चर्चा में शामिल होने से इनकार

उधर, किसान आंदोलन पर आज राज्यसभा की बिज़नेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक हुई जिसमें कृषि कानूनों पर चर्चा के लिए समय तय किया जाना था लेकिन तृणमूल सांसदों ने इससे साफ इनकार कर दिया. डेरेक ओब्रायन ने कहा कि पहले सरकार तीनों कृषि कानून को रद्द करे उसके बाद चर्चा कर सकते हैं.

पढ़ें- भाजपा का आरोप, 'विपक्षियों पर नजर रखने के लिए ममता कर रहीं पेगासस का इस्तेमाल'

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