पिथौरागढ़: पूरे देश में गणेश चतुर्थी की धूम मची हुई है. गणेश चतुर्थी को लेकर लोगों में खासा उत्साह देखा जा रहा है. लेकिन आज हम आपको भगवान गणेश के ऐसे धाम से रूबरू कराने जा रहे हैं, जहां भगवान गणेश का कटा हुआ सिर गिरा था. जिसे आज भी लोग देखने देश-विदेश से पहुंचते हैं.
कुमाऊं मंडल में स्थित है गुफा: वैसे तो उत्तराखंड में कई गुफाएं अतीत से ही आधात्मिक आस्था का केन्द्र रही हैं, जो अपने आप में कई रहस्यों को समेटे हुई हैं. गुफाएं लोगों की अगाध आस्था का केन्द्र हैं. उन्हीं में से एक पिथौरागढ़ के गंगोलीहाट तहसील में स्थित पाताल भुवनेश्वर गुफा भी है. उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल में स्थित इस गुफा में तैंतीस कोटि देवी देवाओं का वास माना जाता है. पौराणिक मान्यता है कि इसी गुफा में भगवान गणेश का कटा हुआ सिर गिरा था. जिस पर अमृत की बूंदें गिरती रहती हैं.
गुफा में गिरा था भगवान गणेश का सिर: पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान शिव ने क्रोधित होकर गणेश जी का सिर धड़ से अलग कर दिया था. जिसके बाद माता पार्वती के अनुरोध पर भगवान शिव ने शिशु हाथी का मुख लगाकर गणेश जी में प्राण डाले थे.भगवान शिव द्वारा कटा सिर सीधे गंगोलीहाट तहसील में स्थित पाताल भुवनेश्वर गुफा में गिरा था ऐसा माना जाता है. हर साल भारी तादाद में श्रद्धालु इस गुफा के दर्शन करने और देखने आते हैं.यह पूरी गुफा भगवान शिव और गणेश की कई पौराणिक कथाओं को समेटे हुए है. इस गुफा का वर्णन स्कंद पुराण के 'मानस खंड' में भी मिलता है.
मान्यता के अनुसार इस गुफा की खोज राजा ऋतुपर्णा ने की थी. जिसके बाद इस गुफा को आदि गुरु शंकराचार्य ने सपने में देखा था. गुफा को खोजते-खोजते आदि गुरु शंकराचार्य यहां पहुंचे थे और जगत कल्याण के लिए गुफा लोगों के दर्शन के लिए सुलभ हो गई. आज देश-विदेश से भारी तादाद में श्रद्धालु दर्शन के लिए पाताल भुवनेश्वर गुफा पहुंचते हैं.