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Status of Asansol School : स्कूल में नहीं आते छात्र, सुकुमार सर की उपस्थिति 100 प्रतिशत - छात्र नहीं आ रहे हैं

छात्र स्कूल नहीं आते हैं लेकिन सेवानिवृत्ति के बाद भी अतिथि शिक्षक के रूप में नियुक्त हुए सुकुमार सर कक्षा में सारा दिन बैठे रहते हैं. हालांकि, पश्चिम बंगाल सरकार जल्द ही ऐसे स्कूलों को बंद करने जा रही है जहां छात्रों की उपस्थिति ठीक नहीं है.

Status of Asansol School
प्रतिकात्मक तस्वीर
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Published : Mar 4, 2023, 8:11 AM IST

Updated : Mar 4, 2023, 9:36 AM IST

आसनसोल : सुकुमार सर दो साल पहले सेवानिवृत्त हो गये. लेकिन पढ़ाना पसंद है और छात्रों से प्यार भी था तो एक बार फिर अतिथि शिक्षक के रूप में विद्यालय में काम करने की ठानी. लेकिन शिक्षक सुकुमार कैती सोच भी नहीं सकते थे कि यह फैसला इतना भारी पड़ेगा. रोज स्कूल आना, खुद सफाई करना. रजिस्टर को सही जगह पर रखना. और फिर खाली बैठना. क्योंकि स्कूल में एक भी छात्र नहीं है. सुकुमार सर खाली कक्षा में सारा दिन बैठे रहते हैं. कोई भी छात्र नहीं आता.

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महिशिला विलेज अपर प्राइमरी स्कूल, आसनसोल महिषाला नॉन पेइंग प्राइमरी स्कूल के बगल में बना है. हालांकि गैर-भुगतान प्राथमिक विद्यालयों में कई छात्र हैं. लेकिन उच्च प्राथमिक विद्यालयों में एक भी छात्र नहीं है. इस स्कूल में छठी से आठवीं तक की पढ़ाई होनी है. रजिस्टर में 11 छात्रों के नाम हैं. लेकिन कोई आता नहीं है. ईटीवी भारत की टीम तब स्कूल पहुंची तो स्कूल परिसर में सिर्फ एक छात्रा और उसकी मां नजर आई. मां बेटी की टीसी लेने आई है. उसने उसका दाखिला दूसरे स्कूल में करा दिया है. उन्होंने कहा कि एक अकेली लड़की को स्कूल कैसे भेज सकते हैं?

पढ़ें : Rahul is defaming India: हिमंत बोले, पीएम पर निशाना साधने की आड़ में विदेशी जमीन पर भारत को बदनाम कर रहे हैं राहुल

सुकुमार कैती विद्यालय में एकमात्र शिक्षक हैं. इससे पहले वह बारबानी गौरांडी स्कूल के सह-प्राचार्य थे. वह दो साल पहले सेवानिवृत्त हुए थे. लेकिन वह पढ़ाना जारी रखना चाहते थे. उन्हें पढ़ाना और छात्रों के साथ समय बिताना पसंद है. इसलिए उन्होंने अतिथि शिक्षक के रूप में दोबारा ज्वाइन किया. लेकिन बदकिस्मती से उन्हें ऐसा स्कूल मिला जहां कोई पढ़ने ही नहीं आता. वह रोज सुबह 10:30 बजे स्कूल आते हैं. सुकुमार कहते हैं कि मैं कई बार छात्रों के घर गया. मैंने उन्हें समझाया, बुलाया लेकिन कोई पढ़ने नहीं आता.

पढ़ें : Hijab Raw In Karnataka : पीयूसी परीक्षाओं के दौरान हिजाब की अनुमति नहीं होगी : कर्नाटक के मंत्री बी सी नागेश

उन्होंने कहा कि वास्तव में इस क्षेत्र में शिक्षा की कोई संस्कृति नहीं है. ज्यादातर गरीब लोग हैं. वे घर की लड़कियों को नौकरानी और लड़कों को ईंट भट्ठों या कोयले की खदानों में काम करने के लिए भेज देते हैं. नतीजतन, कोई भी पढ़ने नहीं आता है. मैंने स्कूल इंस्पेक्टर को पहले ही सूचित कर दिया है, उन्होंने भी कोशिश की लेकिन फायदा नहीं हुआ. जिला शिक्षा विभाग के मुताबिक पश्चिम बर्दवान जिले में कुल 90 स्कूल बंद रहेंगे. शिक्षा विभाग ने छात्रों की कमी के कारण स्कूलों को बंद करने का निर्णय लिया है. इनमें महिशिला का यह उच्च प्राथमिक विद्यालय भी है. देखना है कि यह स्कूल कब बंद होता है और सुकुमार सर कब इस काम से छुट्टी मिलती है.

पढ़ें : National Security Day 2023 : क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस व क्या है इस वर्ष की थीम

आसनसोल : सुकुमार सर दो साल पहले सेवानिवृत्त हो गये. लेकिन पढ़ाना पसंद है और छात्रों से प्यार भी था तो एक बार फिर अतिथि शिक्षक के रूप में विद्यालय में काम करने की ठानी. लेकिन शिक्षक सुकुमार कैती सोच भी नहीं सकते थे कि यह फैसला इतना भारी पड़ेगा. रोज स्कूल आना, खुद सफाई करना. रजिस्टर को सही जगह पर रखना. और फिर खाली बैठना. क्योंकि स्कूल में एक भी छात्र नहीं है. सुकुमार सर खाली कक्षा में सारा दिन बैठे रहते हैं. कोई भी छात्र नहीं आता.

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महिशिला विलेज अपर प्राइमरी स्कूल, आसनसोल महिषाला नॉन पेइंग प्राइमरी स्कूल के बगल में बना है. हालांकि गैर-भुगतान प्राथमिक विद्यालयों में कई छात्र हैं. लेकिन उच्च प्राथमिक विद्यालयों में एक भी छात्र नहीं है. इस स्कूल में छठी से आठवीं तक की पढ़ाई होनी है. रजिस्टर में 11 छात्रों के नाम हैं. लेकिन कोई आता नहीं है. ईटीवी भारत की टीम तब स्कूल पहुंची तो स्कूल परिसर में सिर्फ एक छात्रा और उसकी मां नजर आई. मां बेटी की टीसी लेने आई है. उसने उसका दाखिला दूसरे स्कूल में करा दिया है. उन्होंने कहा कि एक अकेली लड़की को स्कूल कैसे भेज सकते हैं?

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सुकुमार कैती विद्यालय में एकमात्र शिक्षक हैं. इससे पहले वह बारबानी गौरांडी स्कूल के सह-प्राचार्य थे. वह दो साल पहले सेवानिवृत्त हुए थे. लेकिन वह पढ़ाना जारी रखना चाहते थे. उन्हें पढ़ाना और छात्रों के साथ समय बिताना पसंद है. इसलिए उन्होंने अतिथि शिक्षक के रूप में दोबारा ज्वाइन किया. लेकिन बदकिस्मती से उन्हें ऐसा स्कूल मिला जहां कोई पढ़ने ही नहीं आता. वह रोज सुबह 10:30 बजे स्कूल आते हैं. सुकुमार कहते हैं कि मैं कई बार छात्रों के घर गया. मैंने उन्हें समझाया, बुलाया लेकिन कोई पढ़ने नहीं आता.

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उन्होंने कहा कि वास्तव में इस क्षेत्र में शिक्षा की कोई संस्कृति नहीं है. ज्यादातर गरीब लोग हैं. वे घर की लड़कियों को नौकरानी और लड़कों को ईंट भट्ठों या कोयले की खदानों में काम करने के लिए भेज देते हैं. नतीजतन, कोई भी पढ़ने नहीं आता है. मैंने स्कूल इंस्पेक्टर को पहले ही सूचित कर दिया है, उन्होंने भी कोशिश की लेकिन फायदा नहीं हुआ. जिला शिक्षा विभाग के मुताबिक पश्चिम बर्दवान जिले में कुल 90 स्कूल बंद रहेंगे. शिक्षा विभाग ने छात्रों की कमी के कारण स्कूलों को बंद करने का निर्णय लिया है. इनमें महिशिला का यह उच्च प्राथमिक विद्यालय भी है. देखना है कि यह स्कूल कब बंद होता है और सुकुमार सर कब इस काम से छुट्टी मिलती है.

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Last Updated : Mar 4, 2023, 9:36 AM IST
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