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बंगाल यूनिवर्सिटी बिल : राज्य की वित्त मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने लगाई सुवेंदु अधिकारी को फटकार - राज्य के वित्त मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य

पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने कहा कि बंगाल विश्वविद्यालय विधेयक राज्यपाल की बजाए राष्ट्रपति को भेजा जाना चाहिए. राज्य के वित्त मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने कहा कि अधिकारी को कानून की जानकारी नहीं है वरना वह ऐसी बचकानी बात नहीं करते.

राज्य के वित्त मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य
राज्य के वित्त मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य
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Published : Jun 14, 2022, 8:33 AM IST

कोलकाता: सुवेंदु अधिकारी ने कहा कि बंगाल विश्वविद्यालय विधेयक राज्यपाल की बजाए राष्ट्रपति को भेजा जाना चाहिए. राज्य के वित्त मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने कहा कि अधिकारी को कानून की जानकारी नहीं है वरना वह ऐसी बचकानी बात नहीं करते. "विधायक होने के बावजूद वह (सुवेंदु अधिकारी) कानून नहीं जानता है. यदि अधिकार क्षेत्र है, तो समवर्ती सूची के तहत विषयों पर राज्य के साथ-साथ केंद्र द्वारा कानून बनाया जा सकता है. केवल राज्य के बीच विरोध के मामले में विधेयक को राष्ट्रपति के पास भेजा जा सकता है."

पश्चिम बंगाल विधानसभा ने सोमवार को राज्यपाल जगदीप धनखड़ की जगह मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को सभी राज्य संचालित विश्वविद्यालयों के कुलपति के रूप में बदलने के लिए एक विधेयक पारित किया. भाजपा ने कहा कि वह राज्य के राज्यपाल से विधेयक को राष्ट्रपति के पास भेजने का आग्रह करेगी. चंद्रिमा भट्टाचार्य ने कहा. "जिस कानून में संशोधन किया गया है, उस पर केंद्र सरकार का कोई कानून नहीं है, तो विरोध का सवाल कहां उठता है? खुद को समझना और महामहिम मानना ​​सही नहीं है. अगर विपक्ष के नेता खुद को महामहिम मानते हैं तो वह राजभवन में बैठे अपने प्रवक्ता का अपमान कर रहे हैं."

पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता व भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी ने कहा कि वह राज्य के राज्यपाल से मिलकर अनुरोध करेंगे कि विधेयक राष्ट्रपति को भेजा जाए. अधिकारी ने मीडिया से कहा, "शिक्षा समवर्ती सूची में आती है. मैं इस मुद्दे पर अगले सोमवार को राज्यपाल से मिलूंगा और इसे (राष्ट्रपति के विचारार्थ) दिल्ली भेजने का अनुरोध करूंगा." उन्होंने विधेयक के पारित होने के दौरान विधानसभा में "गलत मतदान" का भी आरोप लगाया.

पश्चिम बंगाल विश्वविद्यालय कानून (संशोधन) विधेयक, 2022 को विधान सभा में 182 सदस्यों ने विधेयक के पक्ष में और 40 सदस्यों ने 294 सदस्यीय विधानसभा में इसके खिलाफ मतदान के बाद पारित किया था. इसके बारे में बोलते हुए शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु ने कहा, "विपक्ष के बारे में, मुझे कुछ नहीं कहना है. हम अपने राज्यपाल को चांसलर के पद से हटाने के लिए एक विधेयक लाए हैं. हमने प्रस्ताव दिया और सुझाव दिया कि मुख्यमंत्री चांसलर होंगे और मुख्यमंत्री होंगे पूरे सदन ने इसे स्वीकार किया. अब हम इसे राज्यपाल के पास भेज रहे हैं."

भाजपा नेताओं ने कहा कि टीएमसी के नेतृत्व वाली सरकार सब कुछ नियंत्रित करना चाहती है और "सीएम को विश्वविद्यालयों के कुलपति के रूप में नियुक्त करने का निर्णय राज्य की शिक्षा प्रणाली में सत्तारूढ़ दल के सीधे हस्तक्षेप को सुविधाजनक बनाने के उद्देश्य से किया गया था, विधेयक पेश करते हुए बसु ने कहा कि मुख्यमंत्री के राज्य विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के रूप में पदभार संभालने में कुछ भी गलत नहीं है.

"अगर प्रधानमंत्री एक केंद्रीय विश्वविद्यालय- विश्व भारती के चांसलर हैं तो मुख्यमंत्री राज्य विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति क्यों नहीं हो सकते?" उसने पूछा। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्यपाल, जो वर्तमान चांसलर हैं, ने "विभिन्न अवसरों पर प्रोटोकॉल का उल्लंघन किया है." तृणमूल कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष जय प्रकाश मजूमदार ने विधेयक पर भाजपा नेताओं की टिप्पणी को लेकर उनकी आलोचना की. वे कितनी भी कोशिश कर लें, वे कुछ नहीं कर पाएंगे. पश्चिम बंगाल सरकार ने इस महीने की शुरुआत में एक कैबिनेट बैठक के बाद राज्यपाल जगदीप धनखड़ की जगह लेने और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को सभी राज्य-संचालित विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के रूप में नियुक्त करने के विधेयक को अपनी मंजूरी दे दी थी. इस कदम को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और राज्यपाल के बीच लंबे समय से चली आ रही खींचतान का नतीजा माना जा रहा है.

यह भी पढ़ें-पश्चिम बंगाल : मुख्यमंत्री को राज्य विश्वविद्यालयों का कुलाधिपति बनाने का विधेयक पारित

एएनआई

कोलकाता: सुवेंदु अधिकारी ने कहा कि बंगाल विश्वविद्यालय विधेयक राज्यपाल की बजाए राष्ट्रपति को भेजा जाना चाहिए. राज्य के वित्त मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने कहा कि अधिकारी को कानून की जानकारी नहीं है वरना वह ऐसी बचकानी बात नहीं करते. "विधायक होने के बावजूद वह (सुवेंदु अधिकारी) कानून नहीं जानता है. यदि अधिकार क्षेत्र है, तो समवर्ती सूची के तहत विषयों पर राज्य के साथ-साथ केंद्र द्वारा कानून बनाया जा सकता है. केवल राज्य के बीच विरोध के मामले में विधेयक को राष्ट्रपति के पास भेजा जा सकता है."

पश्चिम बंगाल विधानसभा ने सोमवार को राज्यपाल जगदीप धनखड़ की जगह मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को सभी राज्य संचालित विश्वविद्यालयों के कुलपति के रूप में बदलने के लिए एक विधेयक पारित किया. भाजपा ने कहा कि वह राज्य के राज्यपाल से विधेयक को राष्ट्रपति के पास भेजने का आग्रह करेगी. चंद्रिमा भट्टाचार्य ने कहा. "जिस कानून में संशोधन किया गया है, उस पर केंद्र सरकार का कोई कानून नहीं है, तो विरोध का सवाल कहां उठता है? खुद को समझना और महामहिम मानना ​​सही नहीं है. अगर विपक्ष के नेता खुद को महामहिम मानते हैं तो वह राजभवन में बैठे अपने प्रवक्ता का अपमान कर रहे हैं."

पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता व भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी ने कहा कि वह राज्य के राज्यपाल से मिलकर अनुरोध करेंगे कि विधेयक राष्ट्रपति को भेजा जाए. अधिकारी ने मीडिया से कहा, "शिक्षा समवर्ती सूची में आती है. मैं इस मुद्दे पर अगले सोमवार को राज्यपाल से मिलूंगा और इसे (राष्ट्रपति के विचारार्थ) दिल्ली भेजने का अनुरोध करूंगा." उन्होंने विधेयक के पारित होने के दौरान विधानसभा में "गलत मतदान" का भी आरोप लगाया.

पश्चिम बंगाल विश्वविद्यालय कानून (संशोधन) विधेयक, 2022 को विधान सभा में 182 सदस्यों ने विधेयक के पक्ष में और 40 सदस्यों ने 294 सदस्यीय विधानसभा में इसके खिलाफ मतदान के बाद पारित किया था. इसके बारे में बोलते हुए शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु ने कहा, "विपक्ष के बारे में, मुझे कुछ नहीं कहना है. हम अपने राज्यपाल को चांसलर के पद से हटाने के लिए एक विधेयक लाए हैं. हमने प्रस्ताव दिया और सुझाव दिया कि मुख्यमंत्री चांसलर होंगे और मुख्यमंत्री होंगे पूरे सदन ने इसे स्वीकार किया. अब हम इसे राज्यपाल के पास भेज रहे हैं."

भाजपा नेताओं ने कहा कि टीएमसी के नेतृत्व वाली सरकार सब कुछ नियंत्रित करना चाहती है और "सीएम को विश्वविद्यालयों के कुलपति के रूप में नियुक्त करने का निर्णय राज्य की शिक्षा प्रणाली में सत्तारूढ़ दल के सीधे हस्तक्षेप को सुविधाजनक बनाने के उद्देश्य से किया गया था, विधेयक पेश करते हुए बसु ने कहा कि मुख्यमंत्री के राज्य विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के रूप में पदभार संभालने में कुछ भी गलत नहीं है.

"अगर प्रधानमंत्री एक केंद्रीय विश्वविद्यालय- विश्व भारती के चांसलर हैं तो मुख्यमंत्री राज्य विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति क्यों नहीं हो सकते?" उसने पूछा। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्यपाल, जो वर्तमान चांसलर हैं, ने "विभिन्न अवसरों पर प्रोटोकॉल का उल्लंघन किया है." तृणमूल कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष जय प्रकाश मजूमदार ने विधेयक पर भाजपा नेताओं की टिप्पणी को लेकर उनकी आलोचना की. वे कितनी भी कोशिश कर लें, वे कुछ नहीं कर पाएंगे. पश्चिम बंगाल सरकार ने इस महीने की शुरुआत में एक कैबिनेट बैठक के बाद राज्यपाल जगदीप धनखड़ की जगह लेने और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को सभी राज्य-संचालित विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के रूप में नियुक्त करने के विधेयक को अपनी मंजूरी दे दी थी. इस कदम को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और राज्यपाल के बीच लंबे समय से चली आ रही खींचतान का नतीजा माना जा रहा है.

यह भी पढ़ें-पश्चिम बंगाल : मुख्यमंत्री को राज्य विश्वविद्यालयों का कुलाधिपति बनाने का विधेयक पारित

एएनआई

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