नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने शनिवार को कहा कि न्याय सामाजिक-आर्थिक रूप से मजबूत वर्गों तक सीमित नहीं रहना चाहिए और सरकार का कर्तव्य एक न्यायोचित और समतावादी सामाजिक व्यवस्था सुनिश्चित करना है. न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि भारत जैसे विशाल देश में जहां 'जातिगत आधार पर असमानता' मौजूद है, प्रौद्योगिकी तक पहुंच का दायरा बढ़ा कर डिजिटल विभाजन को धीरे-धीरे कम किया जा सकता है.
प्रौद्योगिकी के उपयोग द्वारा प्राप्त की गई उपलब्धियों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, 'प्रत्येक नागरिक तक न्याय की पहुंच को बढ़ाना जरूरी है. उच्च न्यायालयों और जिला अदालतों ने 30 अप्रैल 2022 की तारीख तक 1.92 करोड़ मामलों की सुनवाई वीडियो कांफ्रेंस के जरिए की है. राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड के पास 17 करोड़ लंबित मामलों का डेटा है. न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने प्रथम अखिल भारतीय जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण सम्मेलन को संबोधित करते हुए यह बात कही. न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, 'भारत जैसे विशाल देश में, जहां जातिगत आधार पर असमानता मौजूद है, न्याय हमारे समाज के सामाजिक आर्थिक रूप से मजबूत वर्गों तक सीमित नहीं रहना चाहिए.'
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उन्होंने कहा, 'यह सरकार का कर्तव्य है कि एक न्यायोचित और समतावादी सामाजिक व्यवस्था बनाई जाए जिसमें कानून प्रणाली न्याय को बढ़ावा दे. साथ ही, यह सुनिश्चित किया जाए कि सामाजिक एवं आर्थिक रूप से कमजोर समाज के किसी वर्ग को न्याय पाने के अवसरों से वंचित नहीं किया जाए.' उन्होंने कहा, 'केंद्र सरकार की डिजिटल इंडिया पहल के तहत प्रत्येक ग्राम पंचायत में कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) खोले जा रहे हैं. सीएससी के साथ ई-अदालत सेवाओं को समेकित करने से भारतीय न्यापालिका को देश के प्रत्येक गांव के हर नागरिक तक पहुंचाना सुनिश्चित होगा.'
(पीटीआई-भाषा)