श्रीनगर : पांच अगस्त 2019 को केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर की विशेष स्थिति को समाप्त कर दिया और तत्कालीन राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया. इस फैसले के बाद क्षेत्र में लगाए गए प्रतिबंधों और वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के खिलाफ एहतियातन तालाबंदी ने न केवल कश्मीर की अर्थव्यवस्था को नकारात्मक रूप से प्रभावित किया, बल्कि नए व्यवसाय शुरू करने या करने वाले युवाओं के इरादों को भी तोड़ कर रख दिया.
जम्मू कश्मीर की ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर की निवासी डॉ सैयद रुखसार ने 2 अगस्त, 2019 को घाटी का पहला 'फ्रोजन फूड' का कारोबार शुरू किया, लेकिन प्रशासन द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के कारण दो दिन बाद कारोबार को बंद करना पड़ा.
उन्होंने कहा कि जब मैंने अगस्त 2019 में अपना व्यवसाय शुरू किया, तो मुझे बहुत अधिक उम्मीदें थीं. लेकिन लगातार प्रतिबंधों के कारण मुझे काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा.
रुखसार ने आगे कहा कि मैंने हार नहीं मानी और जैसे ही जमीन पर हालात सुधरे, मैंने अपना काम फिर से शुरू कर दिया.
घाटी में इंटरनेट सेवाओं की बहाली के बाद रुखसार ने अपना काम फिर से शुरू कर दिया और उन्हें अपने इंस्टाग्राम पेज पर ऑर्डर के लिए खरीदारों के कॉल भी आने लगे हैं.
उन्होंने कहा कि मुझे लगा कि चीजें ठीक होंगी और मैं अपना व्यवसाय बढ़ाऊंगी, लेकिन एक बार फिर महामारी ने मेरी आशाओं को धराशायी कर दिया. जब स्थिति सुधरी, तो मैंने फिर से शुरुआत की. अब जब सब कुछ ठीक चल रहा था, तब घाटी में बर्ड फ्लू की आशंकाएं जताई गई, जिसके कारण मेरा काम फिर से प्रभावित हो रहा है.
अपने व्यवसाय के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि मैं इस समय संख्याओं पर ध्यान केंद्रित नहीं कर रही हूं. मेरे लिए क्वालिटी महत्वपूर्ण है. यही कारण है कि मैं स्थानीय बाजार से कच्चा माल खरीदती हूं.
रुखसार ने फूड टेक्नोलॉजी की पढ़ाई की है और शादी के बाद वह पुलवामा जिले के कदलाबल इलाके के पंपोर शहर में रहने लगी हैं. उनके दो बच्चे हैं और उनके पति एक इंजीनियर हैं.
उन्होंने कहा कि मेरी मां और सांस हमेशा मेरे काम में मेरी मदद करती हैं, वे मुझे सलाह देती हैं, जिससे मुझे सुधार करने में मदद मिलती है.
उन्होंने कहा कि मेरे पति और चार साल की बेटी हमेशा मेरे द्वारा बनाई गई चीजों पर अपनी राय साझा करते हैं. नतीजतन, न केवल मेरे भोजन की गुणवत्ता बेहतर होती गै, बल्कि मुझे बहुत कुछ सीखने को भी मिलता है.
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उन्होंने कहा कि मैं जो खाना बनाती हूं उसमें न तो कोई घटिया सामग्री होती और न घटिया रंग. मुझे पता है कि भोजन को कैसे संरक्षित किया जा सकता है,
वह कहती हैं कि उनका सपना अपने व्यवसाय को बढ़ाना और देश भर में कश्मीरी शैली का भोजन उपलब्ध कराना है .. यह सब इतना आसान नहीं है, फिर भी मैं अपना व्यवसाय बढ़ाने के लिए सोच रही हूं.
मैं चाहती हूं कि भारत हर कोने में कश्मीरी लोग अपनी मातृभूमि से अपना भोजन प्राप्त करें. उन्होंने कहा कि इसमें कुछ समय लगेगा क्योंकि मैं फ्रोजन फूड बनाती हूं, जिसे परिवहन के लिए एक कोल्ड चैन की आवश्यकता होती है.
वर्तमान में यह सुविधा घाटी में उपलब्ध नहीं है. फिलहाल मैं अपने उत्पादों को श्रीनगर डिपार्टमेंट स्टोर में बेचने की योजना बना रही हूं, जहां से गुणवत्ता वाले हलाल कश्मीरी जमे हुए भोजन खरीदारों को आसानी से उपलब्ध हों सकें.