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कार्यकारी राष्ट्रपति पद खत्म करने पर विचार करेंगे : गोटबाया

श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे (Gotabaya Rajapaksa) ने कहा कि कार्यकारी राष्ट्रपति का पद खत्म करने पर विचार किया जाएगा. इस पर संसद विचार करेगी. उन्होंने मौजूदा राजनीतिक गतिरोध को समाप्त करने के लिए जल्द ही नई सरकार के गठन की भी बात कही, लेकिन खुद इस्तीफा देंगे या नहीं इस पर मौन साधे रखा.

Gotabaya Rajapaksa
गोटबाया
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Published : May 12, 2022, 2:19 PM IST

Updated : May 12, 2022, 2:52 PM IST

कोलंबो : आर्थिक संकट से घिरे और जनता के दबाव का सामना कर रहे द्वीप देश श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने गुरुवार को कहा कि कार्यकारी राष्ट्रपति पद खत्म करने का कदम उनकी शक्तियों पर अंकुश लगाएगा. इस पर संसद द्वारा विचार किया जाएगा. दरअसल देश में 1978 से राष्ट्रपति शासन प्रणाली को समाप्त करना और उसके स्थान पर संवैधानिक लोकतंत्र को मजबूत करने वाली प्रणाली का लागू करना विपक्ष की प्रमुख मांगों में से एक रहा है. ट्वीट्स की एक श्रृंखला में राष्ट्रपति ने अपने बड़े भाई और प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के सोमवार को इस्तीफा देने के बाद मौजूदा राजनीतिक गतिरोध को समाप्त करने के लिए उठाए जाने वाले कदमों का भी जिक्र किया.

गोटबाया ने ट्विटर पर कहा कि देश को अराजकता में गिरने से रोकने के लिए नई सरकार बनाने के लिए कदम उठाए जाएंगे. उन्होंने कहा कि संसद में बहुमत हासिल करने वाले और लोगों का विश्वास हासिल करने में सक्षम प्रधानमंत्री की नियुक्ति इस सप्ताह की जाएगी. उन्होंने कहा कि नई सरकार को नया कार्यक्रम पेश करने का मौका दिया जाएगा और देश को आगे ले जाने का अधिकार दिया जाएगा.

उन्होंने कहा कि इसके अलावा संसद को और अधिक सशक्त बनाने के लिए 19वें संशोधन की सामग्री को फिर से अधिनियमित करने के लिए संविधान में संशोधन करने के लिए कदम उठाए जाएंगे. कार्यकारी राष्ट्रपति पद को समाप्त करने के लिए विभिन्न गुटों की मांग पर विचार किया जाएगा. राष्ट्रपति ने एक अन्य ट्वीट में कहा कि नई सरकार और देश को स्थिर करने की उनकी क्षमता के साथ, हमें इस पर चर्चा करने और आम सहमति की दिशा में काम करने का अवसर मिलेगा.

उन्होंने जनता से अपील करते हुए कहा कि 'मैं विनम्रतापूर्वक लोगों के जीवन और उनकी संपत्ति की रक्षा के लिए देश की मशीनरी के निर्बाध कार्य को बनाए रखने में सहायता का अनुरोध करता हूं.' साथ ही ये भी साफ किया कि विपक्ष और सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों की मांग के अनुसार उनकी पद छोड़ने की कोई योजना नहीं है. इससे पहले उन्होंने राष्ट्र को देर रात टेलीविजन पर संबोधित किया. उन्होंने पद छोड़ने से इनकार कर दिया.

पढ़ें- श्रीलंका के राष्ट्रपति पद नहीं छोड़ेंगे, इस सप्ताह नए पीएम की नियुक्ति की घोषणा की

राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में गोटबाया (72) ने यह भी कहा कि नए प्रधानमंत्री एवं सरकार को नियुक्त करने के बाद संविधान में 19वें संशोधन की सामग्री तैयार करने के लिए एक संवैधानिक संशोधन पेश किया जाएगा जो संसद को और शक्तियां प्रदान करेगा. डेली मिरर अखबार ने बताया कि इस बीच, राष्ट्रपति ने समागी जाना बालवेगया (एसजेबी) के सांसद और फील्ड मार्शल सरथ फोन्सेका से प्रीमियरशिप की पेशकश करने के लिए संपर्क किया है. फोंसेका ने स्पष्ट रूप से उन रिपोर्टों का खंडन किया कि उन्हें राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के नेतृत्व वाली सरकार में किसी भी पद को स्वीकार करना है. यह कहते हुए कि वह 'गोटागोगामा' साइट पर विरोध कर रहे लोगों से परामर्श किए बिना राजपक्षे संकट को हल करने में कभी भी भागीदार नहीं होंगे.

पिछले महीने मुख्य विपक्षी समागी जन बालवेगया (एसजेबी) ने एक संवैधानिक संशोधन विधेयक पेश किया था. इसमें 1978 से देश में अस्तित्व में राष्ट्रपति शासन प्रणाली को खत्म करने और संवैधानिक लोकतंत्र को मजबूत करने वाली प्रणाली लागू करने का प्रस्ताव पेश किया था. प्रस्ताव के अनुसार राष्ट्रपति देश का प्रमुख और कमांडर इन चीफ रहेगा. राष्ट्रपति को प्रधानमंत्री की नियुक्ति या बर्खास्तगी का अधिकार नहीं होगा.

पढ़ें- श्रीलंका के पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे सुरक्षा घेरे में त्रिंकोमाली स्थित नौसेना अड्डे पर

(PTI)

कोलंबो : आर्थिक संकट से घिरे और जनता के दबाव का सामना कर रहे द्वीप देश श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने गुरुवार को कहा कि कार्यकारी राष्ट्रपति पद खत्म करने का कदम उनकी शक्तियों पर अंकुश लगाएगा. इस पर संसद द्वारा विचार किया जाएगा. दरअसल देश में 1978 से राष्ट्रपति शासन प्रणाली को समाप्त करना और उसके स्थान पर संवैधानिक लोकतंत्र को मजबूत करने वाली प्रणाली का लागू करना विपक्ष की प्रमुख मांगों में से एक रहा है. ट्वीट्स की एक श्रृंखला में राष्ट्रपति ने अपने बड़े भाई और प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के सोमवार को इस्तीफा देने के बाद मौजूदा राजनीतिक गतिरोध को समाप्त करने के लिए उठाए जाने वाले कदमों का भी जिक्र किया.

गोटबाया ने ट्विटर पर कहा कि देश को अराजकता में गिरने से रोकने के लिए नई सरकार बनाने के लिए कदम उठाए जाएंगे. उन्होंने कहा कि संसद में बहुमत हासिल करने वाले और लोगों का विश्वास हासिल करने में सक्षम प्रधानमंत्री की नियुक्ति इस सप्ताह की जाएगी. उन्होंने कहा कि नई सरकार को नया कार्यक्रम पेश करने का मौका दिया जाएगा और देश को आगे ले जाने का अधिकार दिया जाएगा.

उन्होंने कहा कि इसके अलावा संसद को और अधिक सशक्त बनाने के लिए 19वें संशोधन की सामग्री को फिर से अधिनियमित करने के लिए संविधान में संशोधन करने के लिए कदम उठाए जाएंगे. कार्यकारी राष्ट्रपति पद को समाप्त करने के लिए विभिन्न गुटों की मांग पर विचार किया जाएगा. राष्ट्रपति ने एक अन्य ट्वीट में कहा कि नई सरकार और देश को स्थिर करने की उनकी क्षमता के साथ, हमें इस पर चर्चा करने और आम सहमति की दिशा में काम करने का अवसर मिलेगा.

उन्होंने जनता से अपील करते हुए कहा कि 'मैं विनम्रतापूर्वक लोगों के जीवन और उनकी संपत्ति की रक्षा के लिए देश की मशीनरी के निर्बाध कार्य को बनाए रखने में सहायता का अनुरोध करता हूं.' साथ ही ये भी साफ किया कि विपक्ष और सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों की मांग के अनुसार उनकी पद छोड़ने की कोई योजना नहीं है. इससे पहले उन्होंने राष्ट्र को देर रात टेलीविजन पर संबोधित किया. उन्होंने पद छोड़ने से इनकार कर दिया.

पढ़ें- श्रीलंका के राष्ट्रपति पद नहीं छोड़ेंगे, इस सप्ताह नए पीएम की नियुक्ति की घोषणा की

राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में गोटबाया (72) ने यह भी कहा कि नए प्रधानमंत्री एवं सरकार को नियुक्त करने के बाद संविधान में 19वें संशोधन की सामग्री तैयार करने के लिए एक संवैधानिक संशोधन पेश किया जाएगा जो संसद को और शक्तियां प्रदान करेगा. डेली मिरर अखबार ने बताया कि इस बीच, राष्ट्रपति ने समागी जाना बालवेगया (एसजेबी) के सांसद और फील्ड मार्शल सरथ फोन्सेका से प्रीमियरशिप की पेशकश करने के लिए संपर्क किया है. फोंसेका ने स्पष्ट रूप से उन रिपोर्टों का खंडन किया कि उन्हें राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के नेतृत्व वाली सरकार में किसी भी पद को स्वीकार करना है. यह कहते हुए कि वह 'गोटागोगामा' साइट पर विरोध कर रहे लोगों से परामर्श किए बिना राजपक्षे संकट को हल करने में कभी भी भागीदार नहीं होंगे.

पिछले महीने मुख्य विपक्षी समागी जन बालवेगया (एसजेबी) ने एक संवैधानिक संशोधन विधेयक पेश किया था. इसमें 1978 से देश में अस्तित्व में राष्ट्रपति शासन प्रणाली को खत्म करने और संवैधानिक लोकतंत्र को मजबूत करने वाली प्रणाली लागू करने का प्रस्ताव पेश किया था. प्रस्ताव के अनुसार राष्ट्रपति देश का प्रमुख और कमांडर इन चीफ रहेगा. राष्ट्रपति को प्रधानमंत्री की नियुक्ति या बर्खास्तगी का अधिकार नहीं होगा.

पढ़ें- श्रीलंका के पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे सुरक्षा घेरे में त्रिंकोमाली स्थित नौसेना अड्डे पर

(PTI)

Last Updated : May 12, 2022, 2:52 PM IST
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