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उत्तराखंड : देवप्रयाग से नेपाल के जनकपुर जाएगी भगवान राम की बारात, तैयारियां तेज

पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने बताया कि हिंदुओं के आराध्य भगवान राम के विवाह के अवसर पर देवप्रयाग स्थित रघुनाथ मंदिर से डोली नेपाल के जनकपुर जाएगी. भगवान राम की बारात में उत्तराखंड के देवप्रयाग से नेपाल के जनकपुर के बीच पड़ने वाले स्थानों में सब लोग शामिल होते हैं.

तैयारियां तेज
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Published : Apr 11, 2021, 9:41 AM IST

देहरादून: साल 2019 की तरह इस साल भी उत्तराखंड के देवप्रयाग स्थित भगवान राम की तपस्थली रघुनाथ मंदिर से श्रीराम की बारात नेपाल के जनकपुर जाएगी. श्रीराम की बारात निकालने को लेकर पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने अधिकारियों को अभी से व्यवस्था करने के निर्देश दे दिए हैं.

यही नहीं, श्रद्धालुओं की आस्था को देखते हुए नेपाल के जनकपुर में इस बार पर्यटन विभाग की ओर से व्यवस्था करने के भी निर्देश दिए गए हैं. सतपाल महाराज के अनुसार आपसी सौहार्द, संस्कृति और परंपरा को बढ़ावा देने के लिए इस बारात का आयोजन किया जा रहा है. वहीं इस बार चार दिसंबर को भगवान राम की बारात देवप्रयाग के रघुनाथ मंदिर से निकलेगी. बारात आठ दिसंबर को विवाह पंचमी के दिन जनकपुर पहुंचेगी.

पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज.

साल 2020 में वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण के चलते देवप्रयाग से श्रीराम की बारात नहीं निकाली गई थी. हालांकि, हर साल भव्य रूप में उत्तरप्रदेश के अयोध्या से भगवान राम की बारात जनकपुर के लिए निकाली जाती रही है. लेकिन कोरोना संक्रमण की वजह से साल 2020 में अयोध्या से भी भगवान राम की बारात जनकपुर के लिए नहीं निकाली गई. ऐसे में जहां एक ओर अयोध्या से भगवान राम की बारात निकालने की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं. वहींं, दूसरी ओर देवप्रयाग से भी भगवान राम की बारात निकाले जाने की तैयारियों के निर्देश भी पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने दे दिए हैं.

पौराणिक कथा

पौराणिक कथाओं और शास्त्रों के अनुसार, हिंदू धर्म में विवाह पंचमी का काफी महत्व है. क्योंकि इसे एक शुभ और पवित्र दिन माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि भगवान राम ने नेपाल के जनकपुर धाम की यात्रा की और देवी सीता के स्वयंवर में भगवान शिव का धनुष तोड़ा था. इसके बाद देवी सीता से भगवान राम का विवाह संपन्न हो गया. विवाह पंचमी का उत्सव सम्पूर्ण भारत के लगभग सभी क्षेत्रों में होता है. लेकिन भगवान राम की जन्मभूमि अयोध्या और नेपाल के जनकपुर में माता सीता की जन्मभूमि पर भव्य समारोह आयोजित किए जाते हैं.

पढ़ें - भारत-चीन पूर्वी लद्दाख में जमीनी स्तर पर स्थिरता बनाए रखने पर सहमत

उत्तराखंड राज्य में पहली बार 28 नवंबर 2019 में पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज के पहल के बाद उत्तराखंड के देवप्रयाग से भगवान श्रीराम की बारात नेपाल के जनकपुर के लिए निकाली गई थी. उस दौरान भगवान श्रीराम की बारात देवप्रयाग से जनकपुर (नेपाल) तक 1067 किलोमीटर का सफर तय किया गया था. पहले दिन यानी 28 नवंबर को बारात 757 किलोमीटर की दूरी तय कर लखनऊ पहुंची. फिर 29 नवंबर को बारात 351 किलोमीटर का सफर कर बुटवल, नेपाल पहुंची. जहां पर अयोध्या से आने वाली बारात का उत्तराखंड से आयी बारात से मिलाप हुआ और फिर बारात एक दिसंबर को जनकपुर पहुंची थी.

वहीं, पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने बताया कि हिंदुओं के आराध्य भगवान राम के विवाह के अवसर पर देवप्रयाग स्थित रघुनाथ मंदिर से डोली नेपाल के जनकपुर जाएगी. भगवान राम की बारात में उत्तराखंड के देवप्रयाग से नेपाल के जनकपुर के बीच पड़ने वाले स्थानों में सब लोग शामिल होते हैं. उन्होंने आगे कहा कि भारत और नेपाल का बेटी-रोटी का सम्बन्ध सदियों से रहा है और दोनों जगहों की संस्कृति और विरासत को इससे बढ़ावा मिलेगा.

देहरादून: साल 2019 की तरह इस साल भी उत्तराखंड के देवप्रयाग स्थित भगवान राम की तपस्थली रघुनाथ मंदिर से श्रीराम की बारात नेपाल के जनकपुर जाएगी. श्रीराम की बारात निकालने को लेकर पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने अधिकारियों को अभी से व्यवस्था करने के निर्देश दे दिए हैं.

यही नहीं, श्रद्धालुओं की आस्था को देखते हुए नेपाल के जनकपुर में इस बार पर्यटन विभाग की ओर से व्यवस्था करने के भी निर्देश दिए गए हैं. सतपाल महाराज के अनुसार आपसी सौहार्द, संस्कृति और परंपरा को बढ़ावा देने के लिए इस बारात का आयोजन किया जा रहा है. वहीं इस बार चार दिसंबर को भगवान राम की बारात देवप्रयाग के रघुनाथ मंदिर से निकलेगी. बारात आठ दिसंबर को विवाह पंचमी के दिन जनकपुर पहुंचेगी.

पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज.

साल 2020 में वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण के चलते देवप्रयाग से श्रीराम की बारात नहीं निकाली गई थी. हालांकि, हर साल भव्य रूप में उत्तरप्रदेश के अयोध्या से भगवान राम की बारात जनकपुर के लिए निकाली जाती रही है. लेकिन कोरोना संक्रमण की वजह से साल 2020 में अयोध्या से भी भगवान राम की बारात जनकपुर के लिए नहीं निकाली गई. ऐसे में जहां एक ओर अयोध्या से भगवान राम की बारात निकालने की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं. वहींं, दूसरी ओर देवप्रयाग से भी भगवान राम की बारात निकाले जाने की तैयारियों के निर्देश भी पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने दे दिए हैं.

पौराणिक कथा

पौराणिक कथाओं और शास्त्रों के अनुसार, हिंदू धर्म में विवाह पंचमी का काफी महत्व है. क्योंकि इसे एक शुभ और पवित्र दिन माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि भगवान राम ने नेपाल के जनकपुर धाम की यात्रा की और देवी सीता के स्वयंवर में भगवान शिव का धनुष तोड़ा था. इसके बाद देवी सीता से भगवान राम का विवाह संपन्न हो गया. विवाह पंचमी का उत्सव सम्पूर्ण भारत के लगभग सभी क्षेत्रों में होता है. लेकिन भगवान राम की जन्मभूमि अयोध्या और नेपाल के जनकपुर में माता सीता की जन्मभूमि पर भव्य समारोह आयोजित किए जाते हैं.

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उत्तराखंड राज्य में पहली बार 28 नवंबर 2019 में पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज के पहल के बाद उत्तराखंड के देवप्रयाग से भगवान श्रीराम की बारात नेपाल के जनकपुर के लिए निकाली गई थी. उस दौरान भगवान श्रीराम की बारात देवप्रयाग से जनकपुर (नेपाल) तक 1067 किलोमीटर का सफर तय किया गया था. पहले दिन यानी 28 नवंबर को बारात 757 किलोमीटर की दूरी तय कर लखनऊ पहुंची. फिर 29 नवंबर को बारात 351 किलोमीटर का सफर कर बुटवल, नेपाल पहुंची. जहां पर अयोध्या से आने वाली बारात का उत्तराखंड से आयी बारात से मिलाप हुआ और फिर बारात एक दिसंबर को जनकपुर पहुंची थी.

वहीं, पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने बताया कि हिंदुओं के आराध्य भगवान राम के विवाह के अवसर पर देवप्रयाग स्थित रघुनाथ मंदिर से डोली नेपाल के जनकपुर जाएगी. भगवान राम की बारात में उत्तराखंड के देवप्रयाग से नेपाल के जनकपुर के बीच पड़ने वाले स्थानों में सब लोग शामिल होते हैं. उन्होंने आगे कहा कि भारत और नेपाल का बेटी-रोटी का सम्बन्ध सदियों से रहा है और दोनों जगहों की संस्कृति और विरासत को इससे बढ़ावा मिलेगा.

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