ETV Bharat / bharat

मंत्री अनुराग ठाकुर के गृह राज्य में स्पोर्ट्स पॉलिसी और स्पोर्ट्स बिल का 'खेल'

देश के खेल मंत्री का पद हिमाचल के नेता अनुराग ठाकुर संभाल रहे हैं, लेकिन उन्हीं के गृह राज्य हिमाचल प्रदेश में तीन साल से खेल नीति पर केवल बातें ही हो रही हैं. प्रदेश में 2007 में वीरभद्र सिंह के नेतृत्व वाली सरकार के समय खेल विधेयक लाया गया. उस समय भाजपा का विरोध था कि इस खेल विधेयक के जरिए कांग्रेस सरकार क्रिकेट को विधेयक की परिधि में लाकर एचपीसीए और क्रिकेट पर अंकुश लगाना चाहती है.

The
The
author img

By

Published : Sep 21, 2021, 9:36 PM IST

शिमला : हिमाचल में मुख्यमंत्री खेल विकास योजना के लिए 6.80 करोड़ रुपए के बजट का प्रावधान है और हर विधानसभा क्षेत्र में 10 लाख रुपए की लागत से खेल मैदान तैयार करने की भी बात हुई है.

अब तीन साल से भी अधिक समय के बाद राज्य सरकार के नए युवा खेल मंत्री राकेश पठानिया ने कहा कि हिमाचल प्रदेश जल्द ही अपनी खेल नीति बनाएगा.

वहीं मंत्री अनुराग ठाकुर की अगुवाई वाली हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन यानी एचपीसीए विवादों का अखाड़ा बनकर रह गई. प्रदेश में वीरभद्र सिंह के नेतृत्व वाली सरकार के समय खेल विधेयक लाया गया. भाजपा का आरोप था कि यह खेल विधेयक एचपीसीए और हिमाचल में क्रिकेट को घेरने के लिए लाया गया. इस खेल विधेयक को विधानसभा से तो आसानी से पास करवा लिया गया, लेकिन राजभवन ने इसे मंजूरी नहीं दी थी.

विवाद इस कदर बढ़ा था कि तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने तो एक बार तल्ख लहजे में कहा था कि यदि राजभवन ने खेल विधेयक को मंजूरी नहीं दी तो नए सिरे से विधेयक लाया जाएगा. हालांकि, खेल विधेयक और खेल नीति दोनों अलग-अलग विषय हैं, लेकिन खेलों को बढ़ावा देने के लिए जमीनी स्तर पर प्रयास करने के बजाय हिमाचल में इसपर राजनीति ही होती रही है.

मौजूदा सरकार भी तीन साल से खेल नीति पर काम ही कर रही है. अनुराग ठाकुर के केंद्र में प्रभावशाली पद संभालने और खेल के प्रति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गंभीरता से उम्मीद बंधी है कि हिमाचल में भी खेल ढांचा बढ़ेगा और अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी तैयार होंगे.

हिमाचल की राजनीति में भाजपा और कांग्रेस ही दो प्रमुख दल रहे हैं.

वीरभद्र सरकार के समय विधानसभा से पारित खेल विधेयक के अनुसार प्रदेश के 42 खेल संघों को इसके दायरे में लाया गया था. विधेयक के अनुसार तब सभी संघों को चुनाव से लेकर अन्य गतिविधियां राज्य सरकार के नियमों के अनुसार चलाने के प्रावधान थे.

विपक्ष में मौजूद भाजपा ने इस विधेयक को गैर जरूरी बताते हुए कहा था कि कांग्रेस सरकार खेलों पर बेवजह नियंत्रण करने की कोशिश कर रही है. वहीं, कांग्रेस सरकार का कहना था कि खेल विधेयक का मकसद खेलों को प्रमोट करने का है न कि किसी खेल संघ या क्रिकेट संघ पर नियंत्रण का.

वहीं, राज्य सरकार के मौजूदा युवा सेवाएं व खेल मंत्री राकेश पठानिया का कहना है कि हिमाचल में सरकार जल्द ही नई खेल नीति घोषित करेगी. हिमाचल सरकार अपने यहां हर विधानसभा क्षेत्र में 2-2 स्टेडियम बना रही है. विंटर गेम्स पर भी ध्यान दिया जा रहा है. पठानिया ने कहा कि हिमाचल में कुश्ती बॉक्सिंग और एथलेटिक्स में उभरते हुए खिलाड़ियों को आगे बढ़ाया जाएगा. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने भी कहा कि केंद्र सरकार की मदद से हिमाचल में और भी बेहतर खेल ढांचा विकसित किया जाएगा.

शिमला : हिमाचल में मुख्यमंत्री खेल विकास योजना के लिए 6.80 करोड़ रुपए के बजट का प्रावधान है और हर विधानसभा क्षेत्र में 10 लाख रुपए की लागत से खेल मैदान तैयार करने की भी बात हुई है.

अब तीन साल से भी अधिक समय के बाद राज्य सरकार के नए युवा खेल मंत्री राकेश पठानिया ने कहा कि हिमाचल प्रदेश जल्द ही अपनी खेल नीति बनाएगा.

वहीं मंत्री अनुराग ठाकुर की अगुवाई वाली हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन यानी एचपीसीए विवादों का अखाड़ा बनकर रह गई. प्रदेश में वीरभद्र सिंह के नेतृत्व वाली सरकार के समय खेल विधेयक लाया गया. भाजपा का आरोप था कि यह खेल विधेयक एचपीसीए और हिमाचल में क्रिकेट को घेरने के लिए लाया गया. इस खेल विधेयक को विधानसभा से तो आसानी से पास करवा लिया गया, लेकिन राजभवन ने इसे मंजूरी नहीं दी थी.

विवाद इस कदर बढ़ा था कि तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने तो एक बार तल्ख लहजे में कहा था कि यदि राजभवन ने खेल विधेयक को मंजूरी नहीं दी तो नए सिरे से विधेयक लाया जाएगा. हालांकि, खेल विधेयक और खेल नीति दोनों अलग-अलग विषय हैं, लेकिन खेलों को बढ़ावा देने के लिए जमीनी स्तर पर प्रयास करने के बजाय हिमाचल में इसपर राजनीति ही होती रही है.

मौजूदा सरकार भी तीन साल से खेल नीति पर काम ही कर रही है. अनुराग ठाकुर के केंद्र में प्रभावशाली पद संभालने और खेल के प्रति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गंभीरता से उम्मीद बंधी है कि हिमाचल में भी खेल ढांचा बढ़ेगा और अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी तैयार होंगे.

हिमाचल की राजनीति में भाजपा और कांग्रेस ही दो प्रमुख दल रहे हैं.

वीरभद्र सरकार के समय विधानसभा से पारित खेल विधेयक के अनुसार प्रदेश के 42 खेल संघों को इसके दायरे में लाया गया था. विधेयक के अनुसार तब सभी संघों को चुनाव से लेकर अन्य गतिविधियां राज्य सरकार के नियमों के अनुसार चलाने के प्रावधान थे.

विपक्ष में मौजूद भाजपा ने इस विधेयक को गैर जरूरी बताते हुए कहा था कि कांग्रेस सरकार खेलों पर बेवजह नियंत्रण करने की कोशिश कर रही है. वहीं, कांग्रेस सरकार का कहना था कि खेल विधेयक का मकसद खेलों को प्रमोट करने का है न कि किसी खेल संघ या क्रिकेट संघ पर नियंत्रण का.

वहीं, राज्य सरकार के मौजूदा युवा सेवाएं व खेल मंत्री राकेश पठानिया का कहना है कि हिमाचल में सरकार जल्द ही नई खेल नीति घोषित करेगी. हिमाचल सरकार अपने यहां हर विधानसभा क्षेत्र में 2-2 स्टेडियम बना रही है. विंटर गेम्स पर भी ध्यान दिया जा रहा है. पठानिया ने कहा कि हिमाचल में कुश्ती बॉक्सिंग और एथलेटिक्स में उभरते हुए खिलाड़ियों को आगे बढ़ाया जाएगा. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने भी कहा कि केंद्र सरकार की मदद से हिमाचल में और भी बेहतर खेल ढांचा विकसित किया जाएगा.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.