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भाजपा-नीतीश में बढ़ी दूरी, कहीं 'खेल' बिगड़ न जाए ? - bjp jdu tension bihar

बिहार की राजनीति को समझने वाले जानते हैं कि नीतीश कुमार जब-जब चुप हुए हैं, तब-तब बिहार की सियासत में उबाल आया है. नए साल में क्या भाजपा और जदयू के बीच दूरी बढ़ेगी, और क्या इसका असर सरकार पर पड़ेगा, अभी से ही कयास लगाए जाने लगे हैं.

tussle between bjp and jdu
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Published : Dec 30, 2020, 10:18 PM IST

पटना : बिहार की सियासत में उबाल है. एक तरफ आरजेडी का कहना है कि खरमास के बाद नीतीश सरकार गिर जाएगी. वहीं अरुणाचल प्रदेश का बिहार पर भी असर हुआ है. यही कारण है कि बिहार की राजनीति हिचकोले खाने लगी है.

कहा जा रहा है कि अरुणाचल की घटना से नीतीश कुमार इतने आहत हैं कि उन्होंने बीजेपी नेताओं से दूरी बना ली है. ये दूरी बता रही है कि खरमास के बाद बिहार की सियासत में कुछ बड़ा होने वाला है. क्योंकि नीतीश कुमार जब-जब अपने सहयोगियों से 'दूर' हुए हैं, तब-तब कुछ बड़ा हुआ है.

अटल बिहारी जयंती
देश के पूर्व प्रधानमंत्री और बीजेपी के दिग्गज नेता अटल बिहारी वाजपेयी की 25 दिसंबर को जयंती थी. कहा जाता है कि जितना सम्मान वाजपेयी का बीजेपी के नेता करते हैं, उतना ही नीतीश कुमार भी करते हैं. राजधानी में राजकीय समारोह के साथ उनकी जयंती मनाई गई, लेकिन नीतीश कुमार पूर्व पीएम की आदमकद प्रतिमा पर श्रद्धांजलि देने नहीं गए. हालांकि उन्होंने उनकी फोटो के सामने श्रद्धांजलि जरूर दी.

नहीं पहुंचे रविशंकर के घर
वहीं, 24 दिसंबर की रात केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद की मां का निधन हो गया. अहले सुबह यानी 25 दिसंबर को इस बात की जानकारी सभी को दी गई. रविशंकर पटना साहिब से सांसद हैं. जबकि उनकी मां जनसंघ में सक्रिय नेता थीं, जबकि पिता ठाकुर प्रसाद भी जनसंघ के नेता रहे थे. नीतीश कुमार उस वक्त पटना में थे. उसी दिन बेली रोड, लोहिया पथचक्र का निरीक्षण भी किया, लेकिन रविशंकर के घर नहीं गए.

कैबिनेट की बैठक में गए, लेकिन...
26 दिसंबर को बिहार कैबिनेट की बैठक हुई. जिसमें बीजेपी और जेडीयू कोटे के मंत्री पहुंचे थे, लेकिन कुछ मिनटों में ही बैठक खत्म कर दी गई. इस कैबिनेट के बाद बीजेपी कोटे के तमाम मंत्री केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद की मां के अंतिम संस्कार में शामिल होने गए, लेकिन नीतीश कुमार घाट पर नहीं गए. बताया जा रहा है कि बहुत देर तक वे अपने दफ्तर में ही बैठे रहे.

अरुण जेटली की जयंती
26 और 27 दिसंबर को जेडीयू की राष्ट्रीय कार्यकारणी की बैठक हुई. नीतीश कुमार इसमें व्यस्त रहे. 28 दिसंबर को बीजेपी नेता और उनके 'अजीज' मित्र अरुण जेटली का जन्मदिन था. गौरतलब है कि जेटली के निधन के कुछ ही दिनों के बाद नीतीश कुमार ने पटना के एक पार्क में उनकी आदमकद प्रतिमा लगवाई है. यहां पर पटना डीएम के नेतृत्व में एक समारोह भी हुआ. बीजेपी के कई नेता पहुंचे थे, लेकिन सीएम नहीं गए.

बीजेपी नेताओं से नहीं मिल रहे नीतीश?
29 दिसंबर को भी बिहार कैबिनेट की बैठक हुई. इस बैठक में बीजेपी और जेडीयू कोटे के मंत्री पहुंचे थे. कैबिनेट ने कुल 11 मामलों पर मुहर लगाई. बताया जा रहा है कि कैबिनेट की बैठक खत्म होने के तुरंत बाद नीतीश कुमार वहां से निकल गए. खबर तो ये भी है कि बीजेपी के कई नेता उनसे मिलना चाहते हैं, लेकिन वे फिलहाल सभी से दूरी बनाए हुए हैं.

ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि नीतीश कुमार खरमास बाद कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं. बिहार की राजनीति को समझने वाले जानते हैं कि नीतीश कुमार जब-जब साइलेंट हुए हैं, तब-तब बिहार की सियासत में उबाल आया है.

पटना : बिहार की सियासत में उबाल है. एक तरफ आरजेडी का कहना है कि खरमास के बाद नीतीश सरकार गिर जाएगी. वहीं अरुणाचल प्रदेश का बिहार पर भी असर हुआ है. यही कारण है कि बिहार की राजनीति हिचकोले खाने लगी है.

कहा जा रहा है कि अरुणाचल की घटना से नीतीश कुमार इतने आहत हैं कि उन्होंने बीजेपी नेताओं से दूरी बना ली है. ये दूरी बता रही है कि खरमास के बाद बिहार की सियासत में कुछ बड़ा होने वाला है. क्योंकि नीतीश कुमार जब-जब अपने सहयोगियों से 'दूर' हुए हैं, तब-तब कुछ बड़ा हुआ है.

अटल बिहारी जयंती
देश के पूर्व प्रधानमंत्री और बीजेपी के दिग्गज नेता अटल बिहारी वाजपेयी की 25 दिसंबर को जयंती थी. कहा जाता है कि जितना सम्मान वाजपेयी का बीजेपी के नेता करते हैं, उतना ही नीतीश कुमार भी करते हैं. राजधानी में राजकीय समारोह के साथ उनकी जयंती मनाई गई, लेकिन नीतीश कुमार पूर्व पीएम की आदमकद प्रतिमा पर श्रद्धांजलि देने नहीं गए. हालांकि उन्होंने उनकी फोटो के सामने श्रद्धांजलि जरूर दी.

नहीं पहुंचे रविशंकर के घर
वहीं, 24 दिसंबर की रात केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद की मां का निधन हो गया. अहले सुबह यानी 25 दिसंबर को इस बात की जानकारी सभी को दी गई. रविशंकर पटना साहिब से सांसद हैं. जबकि उनकी मां जनसंघ में सक्रिय नेता थीं, जबकि पिता ठाकुर प्रसाद भी जनसंघ के नेता रहे थे. नीतीश कुमार उस वक्त पटना में थे. उसी दिन बेली रोड, लोहिया पथचक्र का निरीक्षण भी किया, लेकिन रविशंकर के घर नहीं गए.

कैबिनेट की बैठक में गए, लेकिन...
26 दिसंबर को बिहार कैबिनेट की बैठक हुई. जिसमें बीजेपी और जेडीयू कोटे के मंत्री पहुंचे थे, लेकिन कुछ मिनटों में ही बैठक खत्म कर दी गई. इस कैबिनेट के बाद बीजेपी कोटे के तमाम मंत्री केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद की मां के अंतिम संस्कार में शामिल होने गए, लेकिन नीतीश कुमार घाट पर नहीं गए. बताया जा रहा है कि बहुत देर तक वे अपने दफ्तर में ही बैठे रहे.

अरुण जेटली की जयंती
26 और 27 दिसंबर को जेडीयू की राष्ट्रीय कार्यकारणी की बैठक हुई. नीतीश कुमार इसमें व्यस्त रहे. 28 दिसंबर को बीजेपी नेता और उनके 'अजीज' मित्र अरुण जेटली का जन्मदिन था. गौरतलब है कि जेटली के निधन के कुछ ही दिनों के बाद नीतीश कुमार ने पटना के एक पार्क में उनकी आदमकद प्रतिमा लगवाई है. यहां पर पटना डीएम के नेतृत्व में एक समारोह भी हुआ. बीजेपी के कई नेता पहुंचे थे, लेकिन सीएम नहीं गए.

बीजेपी नेताओं से नहीं मिल रहे नीतीश?
29 दिसंबर को भी बिहार कैबिनेट की बैठक हुई. इस बैठक में बीजेपी और जेडीयू कोटे के मंत्री पहुंचे थे. कैबिनेट ने कुल 11 मामलों पर मुहर लगाई. बताया जा रहा है कि कैबिनेट की बैठक खत्म होने के तुरंत बाद नीतीश कुमार वहां से निकल गए. खबर तो ये भी है कि बीजेपी के कई नेता उनसे मिलना चाहते हैं, लेकिन वे फिलहाल सभी से दूरी बनाए हुए हैं.

ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि नीतीश कुमार खरमास बाद कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं. बिहार की राजनीति को समझने वाले जानते हैं कि नीतीश कुमार जब-जब साइलेंट हुए हैं, तब-तब बिहार की सियासत में उबाल आया है.

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