जयपुर : सत्ता बदलने के साथ ही प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी के आला अधिकारी भी दिल्ली सरकार में प्रतिनियुक्ति पर जाने का सिलसिला शुरू हो जाता है. गहलोत सरकार में बनने के बाद करीब एक दर्जन अफसर केन्द्र सरकार में प्रतिनियुक्ति पर जा चुके हैं.
पूर्व आईएएस राजेन्द्र भाणावत ने कहा कि यह सही है कि आईएएस अफसर दिल्ली प्रतिनियुक्ति पर जाने का सिलसिला पहले से चला आ रहा है. लेकिन पहले अधिकारी अपनी वर्किंग परफॉर्मेंस को बेहतर करने के लिए दिल्ली सरकार के प्रतिनियुक्ति पर जाते थे. अब अधिकारी राजनीतिक पार्टियों की विचारधारा से प्रभावित होने लगे हैं. जो प्रशासनिक सेवा के अच्छी बात भी नही है.
किसी पार्टी के साथ जुड़ने की वजह से सत्ता परिवर्तन के साथ कई बार दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. इन्हीं वजह से अधिकारी फिर दिल्ली सरकार के प्रतिनियुक्ति जाते हैं. भाणावत ने कहा कि अगर दूसरा कारण भी देखें तो बार-बार होते तबादलों की वजह भी अफसर परेशान होता है. जिसकी वजह से भी केंद्र में सेवाएं देने की इच्छा रखता है. सरकार को चाहिए कि अधिकारियों को साथ लेकर काम करे.
ये जाना चाह रहे दिल्ली
आईएएस रोहित कुमार सिंह हाल ही में दिल्ली चले गए. इससे पहले एक दर्जन अफसर चुके सेंट्रल डेपुटेशन जा चुके हैं और करीब 6 अफसर कतार में हैं. खास बात यह है कि प्रदेश में सत्ता बदलने के साथ ही आईएएस अफसरों के दिल्ली जाने की संख्या में एकका एक तेजी आई थी. गहलोत सरकार के डेढ़ साल के कार्यकाल में अब तक 12 अफसर केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर जा चुके हैं.
आखिर क्यों जाते अफसर डेपुटेशन पर
सरकार बदलते ही कई अफसर प्रतिनियुक्ति की अनुमति मांगते हैं और जाते भी हैं. ऐसा वे करते हैं, जिनका सरकार से तालमेल नहीं बैठता. ऐसे में पद रिक्त हो जाते हैं और विभाग अतिरिक्त प्रभार से चलते हैं. दूसरी वजह कैडर स्ट्रेंथ है. कैडर स्ट्रेंथ के हिसाब से अधिकारी केन्द्र में प्रतिनियुक्ति पर भेजे जाते हैं. राजस्थान कैडर के 12 के करीब अफसर प्रतिनियुक्ति पर हैं तथा 6 अफसरों ने दिल्ली जाने का आवेदन किया हुआ है.
ये अफसर दिल्ली जाने की कतार में
राज्य में आईएएस अधिकारियों का कैडर करीब 300 से अधिक है. लेकिन वर्तमान में प्रदेश में 248 ही हैं. कैडर के हिसाब से राज्य को जो अफसर मिलने चाहिए, नहीं मिल पा रहे हैं. पहले ही राज्य में आईएएस अफसरों की कमी है. जिसके चलते अफसरों को अतिरिक्त चार्ज का भार दिया हुआ है. जिसकी वजह से अधिकारी अपने मूल विभाग को भी पूरा समय नहीं दे सकते. अफसरों की कमी से जूझ रहे राज्य के आधा दर्जन से ज्यादा अफसर प्रतिनियुक्ति जाने का आवेदन कर चुके हैं.
बार-बार तबादलों से अधिकारी परेशान
कांग्रेस सरकार के 28 माह के शासन में समित शर्मा का 6, कुंजीलाल का 5 और अमिताभ का चौथी बार तबादला हुआ. इसके अलावा भी कई अधिकारी हैं जिनका बहुत कम समय में तबादला होता रहा है. बार बार होते तबादलों की वजह से भी अधिकारी परेशान होता है. राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद कांग्रेस सरकार के 28 महीने के कार्यकाल में कलेक्टर से लेकर सचिवालय में बैठने वाले प्रमुख सचिव तक के अधिकारियों को पांच से छह महीने के भीतर बदल दिए गए. यानी एक अफसर जब तक काम को समझ पाता है, उसे पहले ही उसके विभाग में बदलाव हो जाता है.
समित का छठवीं बार तबादला
आईएएस समित शर्मा का छठवीं बार तबादला हुआ. पहले मेडिकल एंड हेल्थ में लगाया था. छह महीने बाद उन्हें हटाकर श्रम आयुक्त बनाया. फिर जयपुर मेट्रो में सीएमडी लगाया. पांच महीने में ही हटाकर जोधपुर का संभागीय आयुक्त लगा दिया. जोधपुर से भी पांच महीने में ही हटाकर जयपुर के संभागीय आयुक्त की जिम्मेदारी दे दी. अब सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग का सचिव बनाया है.
कुंजीलाल को 5वीं बार में यूडीएच
कांग्रेस सरकार बनते ही आईएएस कुंजीलाल मीना को बिजली प्रसारण निगम में सीएमडी लगाया, लेकिन तीन महीने बाद ही उन्हें वहां से हटा कर डिस्कॉम चेयरमैन और ऊर्जा विभाग का प्रमुख सचिव बना दिया. यहां काम संभाल ही रहे थे कि फरवरी 2020 में खान और पेट्रोलियम विभाग में प्रमुख सचिव की जिम्मेदारी दे दी. उन्हें पांच महीने बाद ही कृषि विभाग में प्रमुख सचिव की जिम्मेदारी दे दी. अब यूडीएच की जिम्मेदारी दी है.
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अजिताभ को कराया मेट्रो का सफर
अजिताभ शर्मा सरकार बनते ही सीएमओ में लगे. एक साल बाद ऊर्जा विभाग के प्रमुख सचिव और डिस्कॉम चेयरमैन की जिम्मेदारी दी. सितंबर 2020 में खान में प्रमुख सचिव लगाया. अब अमिताभ को मेट्रो रेल में सीआईडी बनाया है.