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Navratri 2023: जैप परिसर में गोरखा जवानों की शक्ति पूजा, कलश स्थापना के साथ फायरिंग कर दी गई सलामी

रांची के झारखंड आर्म्ड फोर्स परिसर में कलश स्थापना के साथ दुर्गा पूजा की शुरुआत हो गयी है. इस मौके पर गोरखा जवानों ने फायरिंग कर मां शक्ति को सलामी दी. Shakti Puja of Gorkha soldiers in Ranchi.

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रांची के जैप परिसर में गोरखा जवानों की शक्ति पूजा
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 15, 2023, 1:43 PM IST

रांची के जैप परिसर में गोरखा जवानों की शक्ति पूजा

रांचीः शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है, नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना की जाती है. वैसे तो पूरा देश मां दुर्गा की भक्ति में लीन हो चुका है लेकिन रांची में गोरखा जवानों की दुर्गा पूजा अपने आप में बेहद खास होती है. कलश स्थापना के साथ ही झारखंड आर्म्ड फोर्स (जैप) की शक्ति पूजा शुरू हो चुकी है.

इसे भी पढ़ें- Navratri 2023: कलश स्थापना के साथ शारदीय नवरात्रि की शुरुआत, रजरप्पा मंदिर में भक्तों का आना शुरू

कलश स्थापना के साथ की गई फायरिंगः शक्ति के उपासक माने जाने वाले गोरखा जवानों के लिए नवरात्रि बेहद अहम होती है. पूरे नवरात्रि गोरखा जवान अपने समाज की रक्षा, अपने हथियारों की सुरक्षा और देश की सुरक्षा के लिए मां शक्ति की आराधना करते हैं. गोरखा जवानों द्वारा नेपाली परंपरा से दुर्गा पूजा की जाती है. कलश स्थापना के दिन मां दुर्गा को फायरिंग कर सलामी दी जाती है. इसके बाद नवमी के दिन 101 बलि की भी परंपरा है, साथ ही इस दिन फायरिंग कर मां शक्ति को सलामी दी जाती है.

हथियारों की पूजा की अनोखी परंपराः इस बटालियन में बलि की परंपरा और हथियारों की पूजा का अपना एक खास महत्व होता है. महानवमी के दिन गोरखा जवान अपने हथियार मां दुर्गा के चरणों में रख कर पूजा करते हैं. मां के चरणों में बलि देते हैं, गोरखा जवानों में हथियारों की पूजा की परंपरा इस बटालियन के गठन के समय से ही चली आ रही है. इनका मानना है कि दुश्मनों से मुकाबले के समय उनके हथियार धोखा ना दे और सटीक चले, इसलिए वे मां दुर्गा के सामने हर नवमी को अपने अपने हथियारों की पूजा बड़े ही श्रद्धा भाव से करते हैं.

1880 से हो रही शक्ति पूजाः रांची के जैप परिसर में नवरात्रि की पूजा 1880 में तत्कालीन गोरखा ब्रिगेड के द्वारा शुरू की गई. 1911 में बिहार के अस्तित्व में आने पर यह बिहार मिलिट्री पुलिस (बीएमपी) कहलाने लगा. झारखंड राज्य की स्थापना के बाद बीएमपी का नाम बदलकर झारखंड आ‌र्म्ड फोर्स हो गया. इसके बाद भी शक्ति पूजा का क्रम नेपाली रीति रिवाज के साथ आज भी जारी है. इस पूजा में महासप्तमी को पर्यावरण की पूजा की जाती है, जिसे फूल पाती शोभा यात्रा कहा जाता है. इस यात्रा में नौ पेड़ों की पूजा की जाती है और पर्यावरण सुरक्षित रहे इसकी प्रार्थना मां से की जाती है. इस दौरान बंदूकों की सलामी भी दी जाती है. वहीं इसके साथ ही महानवमी को शस्त्र पूजा और बलि का भी आयोजन किया जाता है.

सबसे भरोसेमंद बॉडीगार्डः गोरखा जवानों पर मां दुर्गा की विशेष कृपा है. शायद यही वजह है कि चाहे नक्सलियों से लोहा लेने की बात हो या फिर वीआईपी की सुरक्षा, हर कोई गोरखा जवानों पर भरोसा करता है. दूसरी तरफ गोरखा जवान मां शक्ति पर पूर्ण रूप से भरोसा करते हैं. शायद यही कारण है कि साल 1880 से इस फोर्स को सबसे विश्वसनीय रक्षक के रूप में देखा जाता है.

रांची के जैप परिसर में गोरखा जवानों की शक्ति पूजा

रांचीः शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है, नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना की जाती है. वैसे तो पूरा देश मां दुर्गा की भक्ति में लीन हो चुका है लेकिन रांची में गोरखा जवानों की दुर्गा पूजा अपने आप में बेहद खास होती है. कलश स्थापना के साथ ही झारखंड आर्म्ड फोर्स (जैप) की शक्ति पूजा शुरू हो चुकी है.

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कलश स्थापना के साथ की गई फायरिंगः शक्ति के उपासक माने जाने वाले गोरखा जवानों के लिए नवरात्रि बेहद अहम होती है. पूरे नवरात्रि गोरखा जवान अपने समाज की रक्षा, अपने हथियारों की सुरक्षा और देश की सुरक्षा के लिए मां शक्ति की आराधना करते हैं. गोरखा जवानों द्वारा नेपाली परंपरा से दुर्गा पूजा की जाती है. कलश स्थापना के दिन मां दुर्गा को फायरिंग कर सलामी दी जाती है. इसके बाद नवमी के दिन 101 बलि की भी परंपरा है, साथ ही इस दिन फायरिंग कर मां शक्ति को सलामी दी जाती है.

हथियारों की पूजा की अनोखी परंपराः इस बटालियन में बलि की परंपरा और हथियारों की पूजा का अपना एक खास महत्व होता है. महानवमी के दिन गोरखा जवान अपने हथियार मां दुर्गा के चरणों में रख कर पूजा करते हैं. मां के चरणों में बलि देते हैं, गोरखा जवानों में हथियारों की पूजा की परंपरा इस बटालियन के गठन के समय से ही चली आ रही है. इनका मानना है कि दुश्मनों से मुकाबले के समय उनके हथियार धोखा ना दे और सटीक चले, इसलिए वे मां दुर्गा के सामने हर नवमी को अपने अपने हथियारों की पूजा बड़े ही श्रद्धा भाव से करते हैं.

1880 से हो रही शक्ति पूजाः रांची के जैप परिसर में नवरात्रि की पूजा 1880 में तत्कालीन गोरखा ब्रिगेड के द्वारा शुरू की गई. 1911 में बिहार के अस्तित्व में आने पर यह बिहार मिलिट्री पुलिस (बीएमपी) कहलाने लगा. झारखंड राज्य की स्थापना के बाद बीएमपी का नाम बदलकर झारखंड आ‌र्म्ड फोर्स हो गया. इसके बाद भी शक्ति पूजा का क्रम नेपाली रीति रिवाज के साथ आज भी जारी है. इस पूजा में महासप्तमी को पर्यावरण की पूजा की जाती है, जिसे फूल पाती शोभा यात्रा कहा जाता है. इस यात्रा में नौ पेड़ों की पूजा की जाती है और पर्यावरण सुरक्षित रहे इसकी प्रार्थना मां से की जाती है. इस दौरान बंदूकों की सलामी भी दी जाती है. वहीं इसके साथ ही महानवमी को शस्त्र पूजा और बलि का भी आयोजन किया जाता है.

सबसे भरोसेमंद बॉडीगार्डः गोरखा जवानों पर मां दुर्गा की विशेष कृपा है. शायद यही वजह है कि चाहे नक्सलियों से लोहा लेने की बात हो या फिर वीआईपी की सुरक्षा, हर कोई गोरखा जवानों पर भरोसा करता है. दूसरी तरफ गोरखा जवान मां शक्ति पर पूर्ण रूप से भरोसा करते हैं. शायद यही कारण है कि साल 1880 से इस फोर्स को सबसे विश्वसनीय रक्षक के रूप में देखा जाता है.

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