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रंग ला रही प्रतिभा सिंह की मेहनत, कटोरे वाले हाथों में दिख रहे किताब और कलम

वाराणसी में बाल भिक्षावृत्ति के खिलाफ एक महिला ने मोर्चा खोल दिया है. करीब 7 वर्षों से इसके खिलाफ महिला का संघर्ष जारी है और अब धीरे-धीरे ही सही तस्वीर बदलने भी लगी है. जिन बच्चों के हाथों में पहले कटोरा होता था, अब उनके हाथों में कलम और किताब है. बिखरे बालों और शून्य को ताकती आंखों को भी अब सुनहरा भविष्य दिखने लगा है. देखिए यह खास रिपोर्ट...

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Published : Feb 15, 2021, 10:21 PM IST

Updated : Feb 15, 2021, 10:33 PM IST

pratibha singh from varanasi
बच्चों को पढ़ातीं प्रतिभा सिंह

वाराणसी : नौनिहाल देश के भविष्य होते हैं और जब देश का भविष्य सड़कों पर भीख मांग रहा हो तो फिर क्या कहा जाए. उत्तर प्रदेश के वाराणसी के सुंदरपुर नेवादा की रहने वाली प्रतिभा सिंह ने इसी तस्वीर को बदलने की कोशिश की है. वह समाज के हाशिये पर पड़े बच्चों की तकदीर और भविष्य की तस्वीर बदलने की सोच रखती हैं.

स्पेशल रिपोर्ट

करीब 7 साल पहले प्रतिभा ने संकट मोचन मंदिर के बाहर कुछ बच्चों को भीख मांगते देखा. उन्हें यह सब ठीक नहीं लगा. इसके बाद उन्होंने ठान लिया कि इस तस्वीर को बदल देना है, लेकिन यह सब इतना आसान भी नहीं था. विरोध में सबसे पहले घरवाले ही खड़े हो गए. पति का भी साथ नहीं मिल सका, लेकिन प्रतिभा ने हिम्मत नहीं हारी. वह ज़िद कर चुकी थी, दुनिया बदलने की. उन्होंने अपने घर के आंगन को स्कूल में बदल दिया. अपनी अब तक की जमापूंजी को निकाल कर बच्चों पर खर्च करना शुरू कर दिया.

pratibha singh from varanasi
अपने आंगन को ही बना दिया स्कूल

बच्चों की पढ़ाई-लिखाई, खाना-पीना, नहलाना-धोना सब कुछ शुरू हो गया. चुनौतियां थीं, लेकिन इरादे उससे बड़े थे. उनके इस काम में बीएचयू के दोस्तों और नजदीकियों ने सहयोग किया. इन बच्चों के सुधार में उनके मां-बाप ही बड़ी चुनौती थे. प्रतिभा ने उनका भी सामना किया. धीरे-धीरे प्रतिभा की मेहनत रंग लाने लगी. अब तक 118 बच्चों की जिंदगी में वो रंग भर चुकी हैं. सफलता मिलने के साथ ही अपनों का साथ भी मिलने लगा.

pratibha singh from varanasi
बच्चों को पढ़ातीं प्रतिभा सिंह

यहां के करीब 20 बच्चे शहर के बड़े स्कूलों में पढ़ रहे हैं. बाकी बच्चों का भी अन्य स्कूलों में दाखिला कराया गया है. फिलहाल 26 नए बच्चों को भिक्षावृत्ति के चंगुल से निकालकर उनके भविष्य को संवारने में प्रतिभा जुटी हैं. प्रतिभा के पति राजेश कहते हैं कि इनकी सफलता देखकर उनका मन भी बदल गया. वहीं, प्रतिभा के बेटे को अपनी मां पर गर्व है, हालांकि प्रतिभा सिंह को इस बात का अफसोस है कि प्रशासन का रवैया इस बारे में उदासीन है. उन्होंने मुख्यमंत्री और अपने सांसद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी कई बार मिलने की कोशिश की लेकिन कामयाबी नहीं मिल सकी.

pratibha singh from varanasi
परिवार के साथ प्रतिभा सिंह

प्रतिभा सिंह अपने दम पर बेरंग तस्वीरों में रंग भर रही हैं. उन्हें उम्मीद है कि आने वाले कुछ बरसों में तैयार होने वाली यह तस्वीर बेहद ही खूबसूरत होगी. बाल भिक्षावृत्ति पर अंकुश लगेगा और बगिया के फूल अब रास्ते में बिखरकर खराब नहीं होंगे.

वाराणसी : नौनिहाल देश के भविष्य होते हैं और जब देश का भविष्य सड़कों पर भीख मांग रहा हो तो फिर क्या कहा जाए. उत्तर प्रदेश के वाराणसी के सुंदरपुर नेवादा की रहने वाली प्रतिभा सिंह ने इसी तस्वीर को बदलने की कोशिश की है. वह समाज के हाशिये पर पड़े बच्चों की तकदीर और भविष्य की तस्वीर बदलने की सोच रखती हैं.

स्पेशल रिपोर्ट

करीब 7 साल पहले प्रतिभा ने संकट मोचन मंदिर के बाहर कुछ बच्चों को भीख मांगते देखा. उन्हें यह सब ठीक नहीं लगा. इसके बाद उन्होंने ठान लिया कि इस तस्वीर को बदल देना है, लेकिन यह सब इतना आसान भी नहीं था. विरोध में सबसे पहले घरवाले ही खड़े हो गए. पति का भी साथ नहीं मिल सका, लेकिन प्रतिभा ने हिम्मत नहीं हारी. वह ज़िद कर चुकी थी, दुनिया बदलने की. उन्होंने अपने घर के आंगन को स्कूल में बदल दिया. अपनी अब तक की जमापूंजी को निकाल कर बच्चों पर खर्च करना शुरू कर दिया.

pratibha singh from varanasi
अपने आंगन को ही बना दिया स्कूल

बच्चों की पढ़ाई-लिखाई, खाना-पीना, नहलाना-धोना सब कुछ शुरू हो गया. चुनौतियां थीं, लेकिन इरादे उससे बड़े थे. उनके इस काम में बीएचयू के दोस्तों और नजदीकियों ने सहयोग किया. इन बच्चों के सुधार में उनके मां-बाप ही बड़ी चुनौती थे. प्रतिभा ने उनका भी सामना किया. धीरे-धीरे प्रतिभा की मेहनत रंग लाने लगी. अब तक 118 बच्चों की जिंदगी में वो रंग भर चुकी हैं. सफलता मिलने के साथ ही अपनों का साथ भी मिलने लगा.

pratibha singh from varanasi
बच्चों को पढ़ातीं प्रतिभा सिंह

यहां के करीब 20 बच्चे शहर के बड़े स्कूलों में पढ़ रहे हैं. बाकी बच्चों का भी अन्य स्कूलों में दाखिला कराया गया है. फिलहाल 26 नए बच्चों को भिक्षावृत्ति के चंगुल से निकालकर उनके भविष्य को संवारने में प्रतिभा जुटी हैं. प्रतिभा के पति राजेश कहते हैं कि इनकी सफलता देखकर उनका मन भी बदल गया. वहीं, प्रतिभा के बेटे को अपनी मां पर गर्व है, हालांकि प्रतिभा सिंह को इस बात का अफसोस है कि प्रशासन का रवैया इस बारे में उदासीन है. उन्होंने मुख्यमंत्री और अपने सांसद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी कई बार मिलने की कोशिश की लेकिन कामयाबी नहीं मिल सकी.

pratibha singh from varanasi
परिवार के साथ प्रतिभा सिंह

प्रतिभा सिंह अपने दम पर बेरंग तस्वीरों में रंग भर रही हैं. उन्हें उम्मीद है कि आने वाले कुछ बरसों में तैयार होने वाली यह तस्वीर बेहद ही खूबसूरत होगी. बाल भिक्षावृत्ति पर अंकुश लगेगा और बगिया के फूल अब रास्ते में बिखरकर खराब नहीं होंगे.

Last Updated : Feb 15, 2021, 10:33 PM IST
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