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राजस्थान में बर्ड फ्लू का खतरा, जानिए अब तक क्या कुछ हुआ

कोरोना महामारी के संकट के बीच राजस्थान में बर्ड फ्लू ने भी पैर पसार लिया है. प्रशासन ने बर्ड फ्लू के खतरे को देखते हुए पाली के कई इलाकों में धारा 144 लागू कर दिया है.

राजस्थान में बर्ड फ्लू का खतरा
राजस्थान में बर्ड फ्लू का खतरा
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Published : Jan 4, 2021, 10:59 PM IST

जयपुर : राजस्थान में बर्ड फ्लू का कहर जारी है. झालावाड़ में सबसे पहले कौओं में बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई थी. झालावाड़ के बाद बारां, जयपुर, कोटा, पाली और जोधपुर में भी लगातार कौओं की मौत के मामले सामने आ रहे हैं.

राज्य में मुर्गी पालन व्यवसाय की सुरक्षा को लेकर भी पशुपालन विभाग ने एहतियात के तौर पर तैयारी की है. रविवार को पशुपालन विभाग के प्रमुख शासन सचिव कुंजीलाल मीणा ने आपात बैठक बुलाई थी, जिसमें प्रदेश में बर्ड फ्लू को लेकर सतर्कता बरतने के निर्देश दिए गए थे.

कौओं की मौत का आंकड़ा
कौओं की मौत का आंकड़ा

विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, प्रदेश में एवियन इन्फ्लुएंजा को लेकर पशुपालन विभाग पूरी तरह से सतर्क है. मुर्गी पालन से जुड़े लोगों को वर्तमान में सतर्क रहने के लिए सचेत किया जा रहा है. कौओं की मौत के बाद जांच के लिए सैंपल पशु रोग संस्थान, भोपाल भेजे गए हैं.

बर्ड फ्लू के सभी स्ट्रेंज घातक

पशुपालन विभाग प्रभावित क्षेत्रों में मृत पक्षियों के शवों का वैज्ञानिक रूप से निस्तारण करने में जुटा है. पशुपालन विभाग और वन विभाग की देखरेख में बीमार पक्षियों का उपचार किया जा रहा है. पशुपालन विभाग के मुताबिक, प्रदेश में करीब 300 से ज्यादा कौओं की मौत हो चुकी है.

राज्य स्तर पर नियंत्रण कक्ष स्थापित
इसके साथ ही सांभर झील में प्रवासी पक्षियों की मृत्यु की निगरानी के लिए एक विशेषज्ञ दल सप्ताह में एक दिन सांभर झील का दौरा करेगा. पशुपालन विभाग के निदेशक डॉ. वीरेंद्र सिंह ने बताया कि स्थिति पर नजर रखने के लिए पशुपालन विभाग ने राज्य स्तर पर नियंत्रण कक्ष स्थापित किए हैं, जिसका नंबर 0141-2374617 है.

विभाग के स्तर से सभी जिलाधिकारियों, स्वास्थ्य विभाग, वन विभाग और संबंधित विभागों को त्वरित कार्रवाई के लिए निर्देशित किया गया है. इस संबंध में जिला कलेक्टर को भी सतर्कता बरतने के लिए निर्देशित किया जा रहा है.

पक्षी उद्यान के लिए एडवाइजरी जारी

क्या कहते हैं एक्सपर्ट
बर्ड्स एक्सपर्ट रोहित गंगवाल ने बताया कि झालावाड़ में ब्लू फ्लू से कौओं की मौत हुई है, बर्ड फ्लू के सभी स्ट्रेंज घातक होते हैं. यह संक्रमण इंसानों में भी फैलने का खतरा रहता है. झालावाड़ में प्रदूषित वातावरण भी संक्रमण की वजह मानी जा रही है. मृत जीव से यह संक्रमण जल्दी फैलता है. जब एक कौआ की मौत हो जाती है तो, काफी संख्या में अन्य कौए वहां एकत्रित हो जाते हैं, जिससे संक्रमण दूसरे कौओं में फैल जाता है. बर्डस एक्सपर्ट ने कहा कि बर्ड फ्लू से पक्षियों को बचाना बहुत जरूरी है.

पक्षियों की मौत के मामले में प्रॉपर तरीके से जांच पड़ताल होनी चाहिए. जानकारों के मुताबिक, बर्ड फ्लू देश में पहली बार 2006 में महाराष्ट्र और गुजरात में फैला था. तब 10 लाख पक्षियों की मौत हुई थी. देश में अब तक 49 बार अलग-अलग राज्यों में यह बीमारी फैल चुकी है.

अक्टूबर 2016 और फरवरी 2017 के दौरान देश के 9 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई थी. इसके बाद 6 जून 2017 में भारत के कृषि मंत्रालय ने एवियन इनफ्लुएंजा एच-5, एन-8 और एच-5 एन-1 से मुक्त घोषित किया और इसकी सूचना भी विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन को दी गई थी.

आखिरी बार कर्नाटक के बीदर जिले के हुमनाबाद में बर्ड फ्लू के मामले सामने आए थे. इसे फैलने से रोकने के लिए 1 किलोमीटर की परिधि में आने वाले इलाकों में पक्षियों को मारने और साफ सफाई का काम किया गया था.

केवलादेव राष्ट्रीय पक्षी उद्यान के लिए एडवाइजरी जारी
प्रदेश के झालावाड़ जिले में सैकड़ों कौओं को मौत की नींद सुला चुका एवियन इनफ्लुएंजा भरतपुर के केवलादेव राष्ट्रीय पक्षी उद्यान के लिए भी घातक सिद्ध हो सकता है. सरकार ने इसके खतरे को भांपते हुए केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के लिए भी एडवाइजरी जारी कर दी है.

पक्षी विशेषज्ञों की मानें तो इस इनफ्लुएंजा से बचाव के लिए घना प्रशासन के साथ ही स्थानीय प्रशासन को भी अलर्ट रहकर आसपास के माहौल पर पूरी नजर रखनी होगी. पक्षी विशेषज्ञ एवं पर्यावरणविद डॉ. सत्य प्रकाश मेहरा ने बताया कि एवियन इनफ्लुएंजा कौवों के माध्यम से अन्य पक्षियों में भी फैल सकता है. ऐसे में अगर यह इन्फेक्शन झालावाड़ से भरतपुर के केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में किसी माध्यम से पहुंच गया तो, यहां हजारों प्रवासी पक्षियों के लिए बड़ा खतरा खड़ा हो सकता है. ऐसे में घना प्रशासन के साथ ही स्थानीय प्रशासन को घना के चारों ओर बसे गांव के लोगों को तुरंत जागरूक करना चाहिए.

कहां कितनी मौत...?
झालावाड़ में 100, कोटा में 48, बारां में 72, पाली में 19, जोधपुर में 13, गंगापुर में 20, सवाईमाधोपुर में 22 और जयपुर में 51 कौओं की मौत हो चुकी हैं. पशुपालन विभाग और वन विभाग के उच्च अधिकारियों ने दौरा कर स्थिति का मौका मुआयना किया गया है. फील्ड अधिकारियों को व्यापक इंतजाम करने के निर्देश दिए गए हैं.

वन विभाग के चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन मोहन लाल मीणा ने बताया कि संक्रमण से निपटने के लिए वन विभाग और पशुपालन विभाग के कर्मचारियों के सहयोग से कार्य किया जा रहा है. इसके लिए विशेषज्ञ दल गठित किया गया है. कोटा, जोधपुर, भरतपुर, अजमेर संभाग समेत अन्य जगह पर विशेषज्ञ दल को भेजा गया है. विशेषज्ञ दल विशेष रूप से अजमेर और भरतपुर के केवलादेव उद्यान का दौरा कर स्थिति का जायजा लेंगे.

मुकुंदरा टाइगर रिजर्व में बढ़ाई गई सतर्कता
कोटा संभाग में रविवार को भी 65 पक्षियों की मौत हो गई. बर्ड फ्लू को देखते हुए मुकुंदरा टाइगर रिजर्व में भी सतर्कता बढ़ा दी गई है. उपवन संरक्षक बीजू जोये ने बताया कि झालावाड़ में कौओं की मौत का सिलसिला जारी है, इसको देखते हुए झालावाड़ और कोटा जिले की सीमा से सटे मुकुंदरा रिजर्व के सभी रेंजर्स और एसीएफ को पाबंद कर दिया गया है. वहीं, डॉक्टर्स को नोडल आफिसर के रूप में नियुक्त कर दिया गया है. इसके साथ ही जितने भी स्टाफ हैं उनको भी पाबंद कर दिया गया है और जितने भी वाटर पॉइंट हैं उन पर निगरानी रखी जा रही है.

जयपुर : राजस्थान में बर्ड फ्लू का कहर जारी है. झालावाड़ में सबसे पहले कौओं में बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई थी. झालावाड़ के बाद बारां, जयपुर, कोटा, पाली और जोधपुर में भी लगातार कौओं की मौत के मामले सामने आ रहे हैं.

राज्य में मुर्गी पालन व्यवसाय की सुरक्षा को लेकर भी पशुपालन विभाग ने एहतियात के तौर पर तैयारी की है. रविवार को पशुपालन विभाग के प्रमुख शासन सचिव कुंजीलाल मीणा ने आपात बैठक बुलाई थी, जिसमें प्रदेश में बर्ड फ्लू को लेकर सतर्कता बरतने के निर्देश दिए गए थे.

कौओं की मौत का आंकड़ा
कौओं की मौत का आंकड़ा

विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, प्रदेश में एवियन इन्फ्लुएंजा को लेकर पशुपालन विभाग पूरी तरह से सतर्क है. मुर्गी पालन से जुड़े लोगों को वर्तमान में सतर्क रहने के लिए सचेत किया जा रहा है. कौओं की मौत के बाद जांच के लिए सैंपल पशु रोग संस्थान, भोपाल भेजे गए हैं.

बर्ड फ्लू के सभी स्ट्रेंज घातक

पशुपालन विभाग प्रभावित क्षेत्रों में मृत पक्षियों के शवों का वैज्ञानिक रूप से निस्तारण करने में जुटा है. पशुपालन विभाग और वन विभाग की देखरेख में बीमार पक्षियों का उपचार किया जा रहा है. पशुपालन विभाग के मुताबिक, प्रदेश में करीब 300 से ज्यादा कौओं की मौत हो चुकी है.

राज्य स्तर पर नियंत्रण कक्ष स्थापित
इसके साथ ही सांभर झील में प्रवासी पक्षियों की मृत्यु की निगरानी के लिए एक विशेषज्ञ दल सप्ताह में एक दिन सांभर झील का दौरा करेगा. पशुपालन विभाग के निदेशक डॉ. वीरेंद्र सिंह ने बताया कि स्थिति पर नजर रखने के लिए पशुपालन विभाग ने राज्य स्तर पर नियंत्रण कक्ष स्थापित किए हैं, जिसका नंबर 0141-2374617 है.

विभाग के स्तर से सभी जिलाधिकारियों, स्वास्थ्य विभाग, वन विभाग और संबंधित विभागों को त्वरित कार्रवाई के लिए निर्देशित किया गया है. इस संबंध में जिला कलेक्टर को भी सतर्कता बरतने के लिए निर्देशित किया जा रहा है.

पक्षी उद्यान के लिए एडवाइजरी जारी

क्या कहते हैं एक्सपर्ट
बर्ड्स एक्सपर्ट रोहित गंगवाल ने बताया कि झालावाड़ में ब्लू फ्लू से कौओं की मौत हुई है, बर्ड फ्लू के सभी स्ट्रेंज घातक होते हैं. यह संक्रमण इंसानों में भी फैलने का खतरा रहता है. झालावाड़ में प्रदूषित वातावरण भी संक्रमण की वजह मानी जा रही है. मृत जीव से यह संक्रमण जल्दी फैलता है. जब एक कौआ की मौत हो जाती है तो, काफी संख्या में अन्य कौए वहां एकत्रित हो जाते हैं, जिससे संक्रमण दूसरे कौओं में फैल जाता है. बर्डस एक्सपर्ट ने कहा कि बर्ड फ्लू से पक्षियों को बचाना बहुत जरूरी है.

पक्षियों की मौत के मामले में प्रॉपर तरीके से जांच पड़ताल होनी चाहिए. जानकारों के मुताबिक, बर्ड फ्लू देश में पहली बार 2006 में महाराष्ट्र और गुजरात में फैला था. तब 10 लाख पक्षियों की मौत हुई थी. देश में अब तक 49 बार अलग-अलग राज्यों में यह बीमारी फैल चुकी है.

अक्टूबर 2016 और फरवरी 2017 के दौरान देश के 9 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई थी. इसके बाद 6 जून 2017 में भारत के कृषि मंत्रालय ने एवियन इनफ्लुएंजा एच-5, एन-8 और एच-5 एन-1 से मुक्त घोषित किया और इसकी सूचना भी विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन को दी गई थी.

आखिरी बार कर्नाटक के बीदर जिले के हुमनाबाद में बर्ड फ्लू के मामले सामने आए थे. इसे फैलने से रोकने के लिए 1 किलोमीटर की परिधि में आने वाले इलाकों में पक्षियों को मारने और साफ सफाई का काम किया गया था.

केवलादेव राष्ट्रीय पक्षी उद्यान के लिए एडवाइजरी जारी
प्रदेश के झालावाड़ जिले में सैकड़ों कौओं को मौत की नींद सुला चुका एवियन इनफ्लुएंजा भरतपुर के केवलादेव राष्ट्रीय पक्षी उद्यान के लिए भी घातक सिद्ध हो सकता है. सरकार ने इसके खतरे को भांपते हुए केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के लिए भी एडवाइजरी जारी कर दी है.

पक्षी विशेषज्ञों की मानें तो इस इनफ्लुएंजा से बचाव के लिए घना प्रशासन के साथ ही स्थानीय प्रशासन को भी अलर्ट रहकर आसपास के माहौल पर पूरी नजर रखनी होगी. पक्षी विशेषज्ञ एवं पर्यावरणविद डॉ. सत्य प्रकाश मेहरा ने बताया कि एवियन इनफ्लुएंजा कौवों के माध्यम से अन्य पक्षियों में भी फैल सकता है. ऐसे में अगर यह इन्फेक्शन झालावाड़ से भरतपुर के केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में किसी माध्यम से पहुंच गया तो, यहां हजारों प्रवासी पक्षियों के लिए बड़ा खतरा खड़ा हो सकता है. ऐसे में घना प्रशासन के साथ ही स्थानीय प्रशासन को घना के चारों ओर बसे गांव के लोगों को तुरंत जागरूक करना चाहिए.

कहां कितनी मौत...?
झालावाड़ में 100, कोटा में 48, बारां में 72, पाली में 19, जोधपुर में 13, गंगापुर में 20, सवाईमाधोपुर में 22 और जयपुर में 51 कौओं की मौत हो चुकी हैं. पशुपालन विभाग और वन विभाग के उच्च अधिकारियों ने दौरा कर स्थिति का मौका मुआयना किया गया है. फील्ड अधिकारियों को व्यापक इंतजाम करने के निर्देश दिए गए हैं.

वन विभाग के चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन मोहन लाल मीणा ने बताया कि संक्रमण से निपटने के लिए वन विभाग और पशुपालन विभाग के कर्मचारियों के सहयोग से कार्य किया जा रहा है. इसके लिए विशेषज्ञ दल गठित किया गया है. कोटा, जोधपुर, भरतपुर, अजमेर संभाग समेत अन्य जगह पर विशेषज्ञ दल को भेजा गया है. विशेषज्ञ दल विशेष रूप से अजमेर और भरतपुर के केवलादेव उद्यान का दौरा कर स्थिति का जायजा लेंगे.

मुकुंदरा टाइगर रिजर्व में बढ़ाई गई सतर्कता
कोटा संभाग में रविवार को भी 65 पक्षियों की मौत हो गई. बर्ड फ्लू को देखते हुए मुकुंदरा टाइगर रिजर्व में भी सतर्कता बढ़ा दी गई है. उपवन संरक्षक बीजू जोये ने बताया कि झालावाड़ में कौओं की मौत का सिलसिला जारी है, इसको देखते हुए झालावाड़ और कोटा जिले की सीमा से सटे मुकुंदरा रिजर्व के सभी रेंजर्स और एसीएफ को पाबंद कर दिया गया है. वहीं, डॉक्टर्स को नोडल आफिसर के रूप में नियुक्त कर दिया गया है. इसके साथ ही जितने भी स्टाफ हैं उनको भी पाबंद कर दिया गया है और जितने भी वाटर पॉइंट हैं उन पर निगरानी रखी जा रही है.

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