मुंबई : महाराष्ट्र में हड़ताल के जरिए मजदूरों के लिए खड़े होने वाले और जिनके नाम से फैक्ट्री मालिकों के पसीने छूट जाते थे, कॉमरेड दत्ता सामंत की 1997 में हत्या कर दी गई थी. उनकी हत्या का आरोप अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन पर लगा था. इस मामले में सबूतों के अभाव में आज एक विशेष सीबीआई अदालत ने छोटा राजन को बरी कर दिया.
सामंत पर चलाई गईं 17 गोलियां : 16 जनवरी 1997 को डॉ. दत्ता सामंत पवई से घाटकोपर की ओर जा रहे थे. पंतनगर जाते समय पद्मावती रोड पर उन पर हमला हुआ. पुलिस के मुताबिक, चार अज्ञात आरोपी बाइक पर आए और दत्ता सामंत की कार को रोक लिया. उन्होंने उन पर करीब 17 गोलियां चलाईं और चले गए. इसके बाद पुलिस घटना की जांच में जुट गई. मामला निचली अदालत से लेकर सीबीआई कोर्ट तक गया.
सबूतों के अभाव में बरी : कॉमरेड दत्ता सामंत का मामला विशेष सीबीआई अदालत में स्थानांतरित कर दिया गया. विशेष सीबीआई अदालत ने इस मामले में कई तथ्यों और सबूतों को जांचने का काम किया. लेकिन अदालत के सामने इस आरोप के समर्थन में कोई पुख्ता सबूत नहीं आया कि छोटा राजन ने कॉमरेड दत्ता सामंत की हत्या की. आखिरकार कोर्ट ने सबूतों के अभाव में छोटा राजन को बरी कर दिया. सीबीआई कोर्ट के विशेष न्यायाधीश ए. एम. पाटिल ने यह फैसला सुनाया है.
'हत्यारों को राजनीतिक ताकतों का समर्थन प्राप्त था': इस संदर्भ में ऑल श्रमिक वर्कर्स यूनियन के नेता कॉमरेड उदय भट्ट ने कहा, 'उस समय फैक्ट्री मालिक श्रमिकों का शोषण कर रहे थे. लेकिन दत्ता सामंत ने लाखों श्रमिकों के कल्याण के लिए एक स्टैंड लिया था. इसीलिए कई लोगों को लगा कि यह एक समस्या है. इसलिए उन्हें सामंत को मारने के लिए सुपारी दी गई. दत्ता सामंत के हत्यारों को राजनीतिक ताकतों का समर्थन प्राप्त था. वह मारे गए, लेकिन उनका असली हत्यारा नहीं मिला.'