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असम : विधायकों की क्लास लेकर सदन के तौर-तरीके सिखाएंगे विधानसभा अध्यक्ष दैमारी - असम विधानसभा

126 सदस्यीय असम विधानसभा के अध्यक्ष बिस्वजीत दैमारी जुलाई में शुरू होने वाले सत्र में विधायकों को सदन की कार्यवाही और इसकी मर्यादा बनाए रखने के तरीके सिखाएंगे. 'ईटीवी भारत' के वरिष्ठ संवाददाता गौतम देबरॉय की रिपोर्ट.

बिस्वजीत दैमारी
बिस्वजीत दैमारी
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Published : Jun 9, 2021, 5:49 PM IST

नई दिल्ली: 126 सदस्यीय असम विधानसभा के अध्यक्ष बिस्वजीत दैमारी ने राज्य में सत्तारूढ़ और विपक्षी दलों के सभी विधायकों को सदन की कार्यवाही और इसकी मर्यादा बनाए रखने के तरीके सिखाने के लिए अपनी आस्तीनें चढ़ा ली हैं.

स्पीकर जुलाई में होने वाले राज्य विधानसभा के बजट सत्र से पहले क्लास लेंगे. दैमारी ने बुधवार को 'ईटीवी भारत' को दिए विशेष साक्षात्कार में कहा, 'जब जुलाई में असम विधानसभा का अगला सत्र शुरू होगा, तो मैं सभी विधायकों के लिए क्लास लूंगा.'

असम विधानसभा के नवनियुक्त अध्यक्ष दैमारी लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू से मिलने के लिए राष्ट्रीय राजधानी में थे. अध्यक्ष चुने जाने के बाद दैमारी की नई दिल्ली की यह पहली यात्रा है.

दैमारी ने कहा कि वह विधायकों को सदन के सटीक नियमों, उनके मुद्दों को कैसे उठाएं, कैसे अपने विचार व्यक्त कर सकते हैं, सदन में मर्यादा कैसे बनाए रखें आदि के बारे में जागरूक करने का प्रयास करेंगे.

'नियमों के अनुसार आवाज उठानी होगी'

उन्होंने कहा, 'पार्टी लाइन से हटकर सभी विधायकों को सदन में बोलने का मौका मिलेगा. हालांकि उन्हें सदन के नियमों के अनुसार अपनी आवाज उठानी होगी.' दैमारी ने कहा कि सदन की कार्यवाही को सार्थक बनाने के लिए सभी विधायकों को शून्यकाल के महत्व, ध्यानाकर्षण और अन्य सभी शर्तों के बारे में जागरूक करना अच्छा है.

दैमारी ने कहा, 'एक सांसद के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान मुझे सदन की कार्यवाही और इसके कई अन्य नियमों पर बहुत अनुभव प्राप्त हुआ. वास्तव में मैं भाग्यशाली था कि मुझे सभी दलों के देश के शीर्षतम राजनेताओं के साथ बातचीत करने का अवसर मिला.'

'वरिष्ठ नेता अरुण शौरी से मिला प्रोत्साहन'

असम विधानसभा अध्यक्ष दैमारी ने अनुभवी राजनेता और भाजपा के सबसे वरिष्ठ नेता अरुण शौरी के साथ अपनी मैत्रीपूर्ण बातचीत को भी याद किया. उन्होंने याद किया, 'राज्य सभा में मेरा सत्र बहुत उत्साहजनक था. वास्तव में अरुण शौरी के साथ मेरी बातचीत हमेशा सुखद रही. वह मुझे हर मुद्दे पर प्रेरित करते रहे. जब भी मैं किसी मुद्दे पर बोलता तो शौरी मुझे प्रोत्साहित करते थे. दैमारी ने कहा कि वह विधानसभा में सभी विधायकों के बीच इस तरह की एकजुटता और प्रोत्साहन का परिचय देने का प्रयास करेंगे.

'माहौल मैत्रीपूर्ण बनाने की रहेगी कोशिश'

उन्होंने कहा कि यह मेरे लिए एक बड़ा अवसर है. मुझे सदन की अध्यक्षता करने का मौका मिला और मैं सदन के प्रत्येक सदस्य के साथ बातचीत करने की पूरी कोशिश करूंगा ताकि सदन में माहौल मैत्रीपूर्ण और सौहार्दपूर्ण बना रहे. गौरतलब है कि दैमारी सांसद के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान असम से जुड़े सभी महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाते थे.

राजनीतिक सफर

2001 से 2006 तक विधायक रहे बिस्वजीत दैमारी ने 2008 से 2014 तक राज्यसभा में बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट (बीपीएफ) का प्रतिनिधित्व किया. 2008 से 2014 तक राज्यसभा में सांसद रहे.

पढ़ें- सीएम हिमंत बिस्वा सरमा के सिर कांटों का ताज, क्या चुनौतियों से हो पाएंगे पार!

भाजपा में जाने और 2021 में राज्यसभा सांसद के रूप में चुने जाने से पहले उन्होंने 2014 से 2020 तक फिर से संसद में बीपीएफ का प्रतिनिधित्व किया. दैमारी ने पनेरी निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा के टिकट पर हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया, जिसमें उन्होंने जीत हासिल की.

नई दिल्ली: 126 सदस्यीय असम विधानसभा के अध्यक्ष बिस्वजीत दैमारी ने राज्य में सत्तारूढ़ और विपक्षी दलों के सभी विधायकों को सदन की कार्यवाही और इसकी मर्यादा बनाए रखने के तरीके सिखाने के लिए अपनी आस्तीनें चढ़ा ली हैं.

स्पीकर जुलाई में होने वाले राज्य विधानसभा के बजट सत्र से पहले क्लास लेंगे. दैमारी ने बुधवार को 'ईटीवी भारत' को दिए विशेष साक्षात्कार में कहा, 'जब जुलाई में असम विधानसभा का अगला सत्र शुरू होगा, तो मैं सभी विधायकों के लिए क्लास लूंगा.'

असम विधानसभा के नवनियुक्त अध्यक्ष दैमारी लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू से मिलने के लिए राष्ट्रीय राजधानी में थे. अध्यक्ष चुने जाने के बाद दैमारी की नई दिल्ली की यह पहली यात्रा है.

दैमारी ने कहा कि वह विधायकों को सदन के सटीक नियमों, उनके मुद्दों को कैसे उठाएं, कैसे अपने विचार व्यक्त कर सकते हैं, सदन में मर्यादा कैसे बनाए रखें आदि के बारे में जागरूक करने का प्रयास करेंगे.

'नियमों के अनुसार आवाज उठानी होगी'

उन्होंने कहा, 'पार्टी लाइन से हटकर सभी विधायकों को सदन में बोलने का मौका मिलेगा. हालांकि उन्हें सदन के नियमों के अनुसार अपनी आवाज उठानी होगी.' दैमारी ने कहा कि सदन की कार्यवाही को सार्थक बनाने के लिए सभी विधायकों को शून्यकाल के महत्व, ध्यानाकर्षण और अन्य सभी शर्तों के बारे में जागरूक करना अच्छा है.

दैमारी ने कहा, 'एक सांसद के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान मुझे सदन की कार्यवाही और इसके कई अन्य नियमों पर बहुत अनुभव प्राप्त हुआ. वास्तव में मैं भाग्यशाली था कि मुझे सभी दलों के देश के शीर्षतम राजनेताओं के साथ बातचीत करने का अवसर मिला.'

'वरिष्ठ नेता अरुण शौरी से मिला प्रोत्साहन'

असम विधानसभा अध्यक्ष दैमारी ने अनुभवी राजनेता और भाजपा के सबसे वरिष्ठ नेता अरुण शौरी के साथ अपनी मैत्रीपूर्ण बातचीत को भी याद किया. उन्होंने याद किया, 'राज्य सभा में मेरा सत्र बहुत उत्साहजनक था. वास्तव में अरुण शौरी के साथ मेरी बातचीत हमेशा सुखद रही. वह मुझे हर मुद्दे पर प्रेरित करते रहे. जब भी मैं किसी मुद्दे पर बोलता तो शौरी मुझे प्रोत्साहित करते थे. दैमारी ने कहा कि वह विधानसभा में सभी विधायकों के बीच इस तरह की एकजुटता और प्रोत्साहन का परिचय देने का प्रयास करेंगे.

'माहौल मैत्रीपूर्ण बनाने की रहेगी कोशिश'

उन्होंने कहा कि यह मेरे लिए एक बड़ा अवसर है. मुझे सदन की अध्यक्षता करने का मौका मिला और मैं सदन के प्रत्येक सदस्य के साथ बातचीत करने की पूरी कोशिश करूंगा ताकि सदन में माहौल मैत्रीपूर्ण और सौहार्दपूर्ण बना रहे. गौरतलब है कि दैमारी सांसद के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान असम से जुड़े सभी महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाते थे.

राजनीतिक सफर

2001 से 2006 तक विधायक रहे बिस्वजीत दैमारी ने 2008 से 2014 तक राज्यसभा में बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट (बीपीएफ) का प्रतिनिधित्व किया. 2008 से 2014 तक राज्यसभा में सांसद रहे.

पढ़ें- सीएम हिमंत बिस्वा सरमा के सिर कांटों का ताज, क्या चुनौतियों से हो पाएंगे पार!

भाजपा में जाने और 2021 में राज्यसभा सांसद के रूप में चुने जाने से पहले उन्होंने 2014 से 2020 तक फिर से संसद में बीपीएफ का प्रतिनिधित्व किया. दैमारी ने पनेरी निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा के टिकट पर हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया, जिसमें उन्होंने जीत हासिल की.

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