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साइबर अपराधियों को लेकर जिलों के SP को मिली अचूक शक्ति, देश भर में 56 लाख तो राज्य में 8 हजार मोबाइल ब्लॉक: अनुराग गुप्ता, डीजी सीआईडी

CID DG Anurag Gupta interview. साइबर आपराधियों पर लगाम लगाने के लिए गृह मंत्रालय भारत सरकार के साथ इंडियन साइबर कोआर्डिनेशन सेंटर और मिनिस्ट्री ऑफ़ इलेक्ट्रॉनिक इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी ने बड़ी पहल की है. अब जिस मोबाइल और सिम का उपयोग साइबर फ्रॉड के लिए किया जाएगा, उसे जिले के SP ही ब्लॉक कर सकेंगे. इस बाबत झारखंड DGP CID ने ईटीवी से खास बात की.

CID DG Anurag Gupta interview
CID DG Anurag Gupta interview
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 22, 2023, 7:45 PM IST

सीआईडी डीजी अनुराग गुप्ता से संवाददाता प्रशांत कुमार की विशेष बातचीत

रांची: साइबर अपराधियों पर नकेल कसने के लिए पूरे देश की पुलिस को खास अधिकार मिल गए हैं. आप सभी जिले के एसपी साइबर फ्रॉड के उपयोग में लाए गए मोबाइल को सिम को ब्लॉक कर सकते हैं. भारत सरकार गृह मंत्रालय के इंडियन साइबर कोआर्डिनेशन सेंटर और मिनिस्ट्री ऑफ़ इलेक्ट्रॉनिक इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी के संयुक्त सहयोग से यह संभव हो सका है. इसके बाद देशभर में 56 लाख और सिर्फ झारखंड में 8 हजार से ज्यादा मोबाइल फोन जो साइबर अपराधी प्रयोग किए हैं, उन्हें बंद करवा दिया है. झारखंड में साइबर अपराधियों के दोनो हथियारों पर प्रहार हो रहा है. पुलिस को साइबर अपराधियों से निपटने के लिए कौन कौन सी नई शक्तियां प्रदान की गई इन सब मुद्दे पर सीआईडी डीजी अनुराग गुप्ता ने ईटीवी भारत के संवाददाता प्रशांत कुमार से विशेष बातचीत की.

पुलिस को मिला ब्लॉक करने का अधिकार: साइबर अपराधियों का सबसे बड़ा हथियार मोबाइल और सिम कार्ड है. इन्हीं दो हथियारों के बल पर वह आम लोगों की गाढ़ी कमाई पर से हाथ साफ करते रहे हैं. लेकिन अब गृह मंत्रालय के सहयोग से हर राज्य की पुलिस साइबर अपराधियों के दोनों हथियारों को कुंद करने में लग गई है. गृह मंत्रालय से मिले आंकड़ों के अनुसार पिछले तीन महीने के भीतर देशभर में 56 लाख मोबाइल फोन ब्लॉक कर दिए गए. जबकि लाखों की संख्या में सिम कार्ड को भी अवैध घोषित करते हुए उसे ब्लॉक किया गया है. जिन पहचान पत्रों के आधार पर साइबर अपराधी सिम कार्ड इशू करवा रहे थे उन पर भी पुलिस के द्वारा दबिश डालना शुरू कर दिया गया है साथ ही उनका दूसरी बार उपयोग करके सिम न लिया जा सके उसपर भी कार्रवाई की जा रही है.

सीआईडी डीजी अनुराग गुप्ता के अनुसार झारखंड के हर जिले के पुलिस अधीक्षक को शक्ति प्रदान की गई है कि वह साइबर क्रिमिनल्स के मोबाइल फोन और सिम कार्ड को ब्लॉक कर सकते हैं. I4C(इंडियन साइबर कोआर्डिनेशन सेंटर) के सहयोग से झारखंड के सभी जिलों में प्रक्रिया शुरू भी कर दी गई है. आंकड़े बताते हैं कि पिछले दो महीने के दौरान पूरे झारखंड में 8000 मोबाइल फोन और सिम कार्ड ब्लॉक कर दिए गए हैं.

I4C के पहल से मिली शक्तियां: सीआईडी डीजी अनुराग गुप्ता ने बताया की इंडियन साइबर कोआर्डिनेशन सेंटर के अथक प्रयास की वजह से ही पुलिस को मोबाइल और सिम कार्ड ब्लॉक करने की शक्तियां प्रदान हुई है पूर्व में यह शक्तियां पुलिस के पास नहीं थी.साइबर कोआर्डिनेशन सेंटर के द्वारा इस मामले को लेकर प्रयास किया गया ,सेंटर के द्वारा मिनिस्ट्री ऑफ़ इलेक्ट्रॉनिक इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी मैं लगातार या आग्रह किया गया कि मोबाइल ब्लॉक करने का अधिकार पुलिस को दिया जाए ताकि त्वरित रूप से साइबर अपराधियों पर नकेल का सजा सके. जिसके बाद सभी जिलों के एसपी को यह शक्तियां प्रदान की गई.

एक बार हुआ ब्लॉक तो दुबारा नही होगा ओपन: झारखंड DGP CID अनुराग गुप्ता ने बताया कि एक बार अगर कोई फोन या सिम कार्ड ब्लॉक कर दिया गया तो फिर उसे दोबारा चालू नहीं किया जा सकता है. हां अगर जांच के क्रम में यह बात सामने आती है कि जिस मोबाइल और सिम कार्ड का प्रयोग साइबर अपराध के लिए किया गया है वह किसी असहाय व्यक्ति का है तो आवश्यक पुलिस कार्रवाई कर मोबाइल और सिम कार्ड दोनों को अनब्लॉक किया जा सकता है.

बैंक खाते भी फ्रिज के बाद नहीं होगा दोबारा ओपन: मोबाइल और सिम कार्ड के जैसे ही जिन खातों में साइबर ठगी के पैसे जाते हैं उन्हें अगर पुलिस के द्वारा उन्हें फ्रिज किया जाता है तो वह खाता हमेशा के लिए बंद हो जाएंगे ,दोबारा उस पते और उसे पहचान पत्र के आधार पर किसी भी बैंक में खाते नहीं खुल सकेंगे. पुलिस ने इस मामले में कुछ लिबर्टी वैसे लोगों को दी है जिनके जानकारी के बगैर अगर खाते में साइबर अपराधी के द्वारा पैसे डाले जाते हैं वैसे स्थिति में अगर खाता फ्रिज होता है तो उसमें भी पुलिसिया कार्रवाई के बाद खाते को अनफ्रीज कर दिया जाएगा.

हाई कोर्ट में महत्वपूर्ण मामला लंबित है: झारखंड सीआईडी के द्वारा एक अहम पहल इस दिशा में की गई है ताकि पीड़ित लोगों के पैसे तुरंत उनके खाते में ही वापस कर दिए जाएं. इसके लिए झारखंड सीआईडी के द्वारा एक याचिका हाईकोर्ट में दायर की गई है जिसमें यह कहा गया है की अदालत उन्हें शक्ति प्रदान करे कि खातों में फ्रिज पैसे तुरंत उन्हें लौटा दिया जाए जो पीड़ित है. सीआईडी डीजी के अनुसार उन्हें उम्मीद है की अदालत के द्वारा उनके पक्ष में फैसला आएगा.

सीआईडी डीजी अनुराग गुप्ता से संवाददाता प्रशांत कुमार की विशेष बातचीत

रांची: साइबर अपराधियों पर नकेल कसने के लिए पूरे देश की पुलिस को खास अधिकार मिल गए हैं. आप सभी जिले के एसपी साइबर फ्रॉड के उपयोग में लाए गए मोबाइल को सिम को ब्लॉक कर सकते हैं. भारत सरकार गृह मंत्रालय के इंडियन साइबर कोआर्डिनेशन सेंटर और मिनिस्ट्री ऑफ़ इलेक्ट्रॉनिक इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी के संयुक्त सहयोग से यह संभव हो सका है. इसके बाद देशभर में 56 लाख और सिर्फ झारखंड में 8 हजार से ज्यादा मोबाइल फोन जो साइबर अपराधी प्रयोग किए हैं, उन्हें बंद करवा दिया है. झारखंड में साइबर अपराधियों के दोनो हथियारों पर प्रहार हो रहा है. पुलिस को साइबर अपराधियों से निपटने के लिए कौन कौन सी नई शक्तियां प्रदान की गई इन सब मुद्दे पर सीआईडी डीजी अनुराग गुप्ता ने ईटीवी भारत के संवाददाता प्रशांत कुमार से विशेष बातचीत की.

पुलिस को मिला ब्लॉक करने का अधिकार: साइबर अपराधियों का सबसे बड़ा हथियार मोबाइल और सिम कार्ड है. इन्हीं दो हथियारों के बल पर वह आम लोगों की गाढ़ी कमाई पर से हाथ साफ करते रहे हैं. लेकिन अब गृह मंत्रालय के सहयोग से हर राज्य की पुलिस साइबर अपराधियों के दोनों हथियारों को कुंद करने में लग गई है. गृह मंत्रालय से मिले आंकड़ों के अनुसार पिछले तीन महीने के भीतर देशभर में 56 लाख मोबाइल फोन ब्लॉक कर दिए गए. जबकि लाखों की संख्या में सिम कार्ड को भी अवैध घोषित करते हुए उसे ब्लॉक किया गया है. जिन पहचान पत्रों के आधार पर साइबर अपराधी सिम कार्ड इशू करवा रहे थे उन पर भी पुलिस के द्वारा दबिश डालना शुरू कर दिया गया है साथ ही उनका दूसरी बार उपयोग करके सिम न लिया जा सके उसपर भी कार्रवाई की जा रही है.

सीआईडी डीजी अनुराग गुप्ता के अनुसार झारखंड के हर जिले के पुलिस अधीक्षक को शक्ति प्रदान की गई है कि वह साइबर क्रिमिनल्स के मोबाइल फोन और सिम कार्ड को ब्लॉक कर सकते हैं. I4C(इंडियन साइबर कोआर्डिनेशन सेंटर) के सहयोग से झारखंड के सभी जिलों में प्रक्रिया शुरू भी कर दी गई है. आंकड़े बताते हैं कि पिछले दो महीने के दौरान पूरे झारखंड में 8000 मोबाइल फोन और सिम कार्ड ब्लॉक कर दिए गए हैं.

I4C के पहल से मिली शक्तियां: सीआईडी डीजी अनुराग गुप्ता ने बताया की इंडियन साइबर कोआर्डिनेशन सेंटर के अथक प्रयास की वजह से ही पुलिस को मोबाइल और सिम कार्ड ब्लॉक करने की शक्तियां प्रदान हुई है पूर्व में यह शक्तियां पुलिस के पास नहीं थी.साइबर कोआर्डिनेशन सेंटर के द्वारा इस मामले को लेकर प्रयास किया गया ,सेंटर के द्वारा मिनिस्ट्री ऑफ़ इलेक्ट्रॉनिक इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी मैं लगातार या आग्रह किया गया कि मोबाइल ब्लॉक करने का अधिकार पुलिस को दिया जाए ताकि त्वरित रूप से साइबर अपराधियों पर नकेल का सजा सके. जिसके बाद सभी जिलों के एसपी को यह शक्तियां प्रदान की गई.

एक बार हुआ ब्लॉक तो दुबारा नही होगा ओपन: झारखंड DGP CID अनुराग गुप्ता ने बताया कि एक बार अगर कोई फोन या सिम कार्ड ब्लॉक कर दिया गया तो फिर उसे दोबारा चालू नहीं किया जा सकता है. हां अगर जांच के क्रम में यह बात सामने आती है कि जिस मोबाइल और सिम कार्ड का प्रयोग साइबर अपराध के लिए किया गया है वह किसी असहाय व्यक्ति का है तो आवश्यक पुलिस कार्रवाई कर मोबाइल और सिम कार्ड दोनों को अनब्लॉक किया जा सकता है.

बैंक खाते भी फ्रिज के बाद नहीं होगा दोबारा ओपन: मोबाइल और सिम कार्ड के जैसे ही जिन खातों में साइबर ठगी के पैसे जाते हैं उन्हें अगर पुलिस के द्वारा उन्हें फ्रिज किया जाता है तो वह खाता हमेशा के लिए बंद हो जाएंगे ,दोबारा उस पते और उसे पहचान पत्र के आधार पर किसी भी बैंक में खाते नहीं खुल सकेंगे. पुलिस ने इस मामले में कुछ लिबर्टी वैसे लोगों को दी है जिनके जानकारी के बगैर अगर खाते में साइबर अपराधी के द्वारा पैसे डाले जाते हैं वैसे स्थिति में अगर खाता फ्रिज होता है तो उसमें भी पुलिसिया कार्रवाई के बाद खाते को अनफ्रीज कर दिया जाएगा.

हाई कोर्ट में महत्वपूर्ण मामला लंबित है: झारखंड सीआईडी के द्वारा एक अहम पहल इस दिशा में की गई है ताकि पीड़ित लोगों के पैसे तुरंत उनके खाते में ही वापस कर दिए जाएं. इसके लिए झारखंड सीआईडी के द्वारा एक याचिका हाईकोर्ट में दायर की गई है जिसमें यह कहा गया है की अदालत उन्हें शक्ति प्रदान करे कि खातों में फ्रिज पैसे तुरंत उन्हें लौटा दिया जाए जो पीड़ित है. सीआईडी डीजी के अनुसार उन्हें उम्मीद है की अदालत के द्वारा उनके पक्ष में फैसला आएगा.

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