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अगले दो महीनों में मैदानगढ़ी में शिफ्ट होगी साउथ एशियन यूनिवर्सिटी

पिछले 8 साल से सार्क सम्मेलन नहीं होने और कोरोना के कारण साउथ एशियन यूनिवर्सिटी को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा. हालांकि यूनिवर्सिटी के अधिकारियों का दावा है कि हालात सामान्य है और अगले दो महीने में यूनिवर्सिटी का कैंपस मैदानगढ़ी में शिफ्ट हो जाएगा.

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Published : Jun 11, 2022, 5:27 PM IST

साउथ एशियन यूनिवर्सिटी
साउथ एशियन यूनिवर्सिटी

नई दिल्ली : साउथ एशियन यूनिवर्सिटी अगले दो महीनों में अपने मैदानगढ़ी में नए कैंपस में शिफ्ट हो जाएगा. सूत्रों के अनुसार, यूनिवर्सिटी में जल्द ही जनरल बॉडी की मीटिंग होगी और इसके साथ ही एक रेग्युलर प्रेसिडेंट की नियुक्त हो जाएगी. यूनिवर्सिटी के एक सीनियर अफसर ने इसकी पुष्टि की है.
साउथ एशियन यूनिवर्सिटी में पिछले दो साल से प्रेसिडेंट का पोस्ट खाली है. बता दें कि सार्क देशों की ओर से हायर एजुकेशन के लिए बनाई गई इस यूनिवर्सिटी में सोशल साइंस, इंटरनेशनल रिलेशन, लीगल स्टडीज, मैथेमैटिक्स और कंप्यूटर से जुड़े कोर्स की पढ़ाई होती है. 2017 के बाद से इस यूनिवर्सिटी में गवर्निंग बॉडी की मीटिंग नहीं हुई है. तय प्लान के मुताबिक यूनिवर्सिटी को मैदानगढ़ी वाले कैंपस में शिफ्ट करने के लिए एक जून की समयसीमा निर्धारित की गई थी. मगर यह संभव नहीं हुआ. इस बीच साउथ एशियन यूनिवर्सिटी से जुड़े सोशल साइंस के फैकल्टी और सोशियोलॉजी डिपार्टमेंट के डीन रिजाइन कर चुके हैं.
यूनिवर्सिटी के एक सीनियर अफसर ने इन इस्तीफों को रूटीन बताया. उन्होंने इस्तीफों के पीछे किसी तरह के असंतोष से भी इनकार किया. उन्होंने कहा कि हाल में ही यहां नॉन टीचिंग स्टाफ को प्रमोशन दिया गया है. प्रोसेस के तहत कर्मचारियों और प्रोफेसर्स को प्रमोशन दिया जा रहा है. सोशियोलॉजी डिपार्टमेंट के डीन ने अपने दायित्व से इस्तीफा दिया मगर वह यहां बतौर फैकल्टी पढ़ाना जारी रखेंगे.

यूनिवर्सिटी के अधिकारियों का कहना है कि कोविड महामारी की शुरुआत के साथ, रीजनल और जियोपॉलिटिकल बदलाव के कारण सार्क सदस्यों के भीतर सहमति कम हुई है, इसका असर आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्रों पर पड़ा है. मगर उन्होंने आश्वस्त किया कि साउथ एशियन यूनिवर्सिटी में एडिमिनिस्ट्रेशन, फैकल्टी और छात्र सही से काम कर रहे हैं. अधिकारियों ने बताया कि संस्थान के हितों के लिए वे सार्क सेक्रेटरी से नियमित संवाद करते हैं. यूनिवर्सिटी के खर्चे भारत सरकार वहन करती है, इसका हर साल सीएजी ऑडिट होता है. इसके संचालन में विदेश मंत्रालय सहयोग कर रहा है. हालांकि उन्होंने माना कि सात साल से सार्क की मीटिंग नहीं होने के कारण संस्थान पर असर पड़ा है. पिछला सार्क शिखर सम्मेलन 2016 में हुआ था. कोरोना महामारी के कारण ऑनलाइन क्लासेज भी प्रभावित हुई हैं. अधिकारियों के मुताबिक, कुछ दिन पहले एंट्रेंस हुआ था और सोमवार या मंगलवार तक रिजल्ट आ जाएगा.

नई दिल्ली : साउथ एशियन यूनिवर्सिटी अगले दो महीनों में अपने मैदानगढ़ी में नए कैंपस में शिफ्ट हो जाएगा. सूत्रों के अनुसार, यूनिवर्सिटी में जल्द ही जनरल बॉडी की मीटिंग होगी और इसके साथ ही एक रेग्युलर प्रेसिडेंट की नियुक्त हो जाएगी. यूनिवर्सिटी के एक सीनियर अफसर ने इसकी पुष्टि की है.
साउथ एशियन यूनिवर्सिटी में पिछले दो साल से प्रेसिडेंट का पोस्ट खाली है. बता दें कि सार्क देशों की ओर से हायर एजुकेशन के लिए बनाई गई इस यूनिवर्सिटी में सोशल साइंस, इंटरनेशनल रिलेशन, लीगल स्टडीज, मैथेमैटिक्स और कंप्यूटर से जुड़े कोर्स की पढ़ाई होती है. 2017 के बाद से इस यूनिवर्सिटी में गवर्निंग बॉडी की मीटिंग नहीं हुई है. तय प्लान के मुताबिक यूनिवर्सिटी को मैदानगढ़ी वाले कैंपस में शिफ्ट करने के लिए एक जून की समयसीमा निर्धारित की गई थी. मगर यह संभव नहीं हुआ. इस बीच साउथ एशियन यूनिवर्सिटी से जुड़े सोशल साइंस के फैकल्टी और सोशियोलॉजी डिपार्टमेंट के डीन रिजाइन कर चुके हैं.
यूनिवर्सिटी के एक सीनियर अफसर ने इन इस्तीफों को रूटीन बताया. उन्होंने इस्तीफों के पीछे किसी तरह के असंतोष से भी इनकार किया. उन्होंने कहा कि हाल में ही यहां नॉन टीचिंग स्टाफ को प्रमोशन दिया गया है. प्रोसेस के तहत कर्मचारियों और प्रोफेसर्स को प्रमोशन दिया जा रहा है. सोशियोलॉजी डिपार्टमेंट के डीन ने अपने दायित्व से इस्तीफा दिया मगर वह यहां बतौर फैकल्टी पढ़ाना जारी रखेंगे.

यूनिवर्सिटी के अधिकारियों का कहना है कि कोविड महामारी की शुरुआत के साथ, रीजनल और जियोपॉलिटिकल बदलाव के कारण सार्क सदस्यों के भीतर सहमति कम हुई है, इसका असर आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्रों पर पड़ा है. मगर उन्होंने आश्वस्त किया कि साउथ एशियन यूनिवर्सिटी में एडिमिनिस्ट्रेशन, फैकल्टी और छात्र सही से काम कर रहे हैं. अधिकारियों ने बताया कि संस्थान के हितों के लिए वे सार्क सेक्रेटरी से नियमित संवाद करते हैं. यूनिवर्सिटी के खर्चे भारत सरकार वहन करती है, इसका हर साल सीएजी ऑडिट होता है. इसके संचालन में विदेश मंत्रालय सहयोग कर रहा है. हालांकि उन्होंने माना कि सात साल से सार्क की मीटिंग नहीं होने के कारण संस्थान पर असर पड़ा है. पिछला सार्क शिखर सम्मेलन 2016 में हुआ था. कोरोना महामारी के कारण ऑनलाइन क्लासेज भी प्रभावित हुई हैं. अधिकारियों के मुताबिक, कुछ दिन पहले एंट्रेंस हुआ था और सोमवार या मंगलवार तक रिजल्ट आ जाएगा.

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