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कांग्रेस की नजर बसपा के वोटबैंक पर, सोनिया ने बृजलाल खाबरी को सौंपी यूपी की जिम्मेदारी

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने दलित नेता बृजलाल खाबरी (Dalit leader Brijlal Khabri) को यूपी की जिम्मेदारी सौंपी है. कांग्रेस का ये कदम साफ संकेत है कि पार्टी की नजर अब बसपा के परंपरागत वोट बैंक पर है. 'ईटीवी भारत' के वरिष्ठ संवाददाता अमित अग्निहोत्री की रिपोर्ट.

Sonia names Dalit leader Brij Lal Khabri
सोनिया गांधी बृजलाल खाबरी
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Published : Oct 1, 2022, 5:17 PM IST

नई दिल्ली : कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (Congress chief Sonia Gandhi) ने शनिवार को दलित नेता बृजलाल खाबरी (Brij Lal Khabri) को उत्तर प्रदेश इकाई का प्रमुख चुना. पिछले तीन दशकों में, कांग्रेस ने अपने पारंपरिक दलित वोट बैंक को बसपा के हाथों खो दिया. हालांकि पिछले कुछ वर्षों में यूपी में कांग्रेस और बसपा दोनों ही हाशिए पर रहे हैं, लेकिन पुरानी पार्टी अब लुप्त होती बसपा से लाभ उठाने की कोशिश कर रही है.

2017 में, 403 सदस्यीय यूपी विधानसभा में कांग्रेस के पास केवल 7 सीटें थीं, जबकि बसपा के पास 19 सीटें थीं. जबकि 2022 में कांग्रेस के पास सिर्फ 2 और बसपा के पास सिर्फ 1 सीट रह गई. बृजलाल खाबरी, वर्तमान में बिहार के प्रभारी AICC सचिव हैं. बृजलाल खाबरी 2016 में बसपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए थे. सोनिया गांधी ने छह क्षेत्रीय प्रभारी भी नियुक्त किए हैं, जो बड़े और राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण राज्य के प्रबंधन में नए राज्य इकाई प्रमुख की सहायता करेंगे.

दिलचस्प बात यह है कि उनमें से दो नसीमुद्दीन सिद्दीकी और नकुल दुबे भी बसपा से हैं, जो पिछले वर्षों में कांग्रेस में शामिल हुए थे. मायावती सरकार में पूर्व मंत्री रहे सिद्दीकी 2019 के लोकसभा चुनाव से एक साल पहले 2018 में कांग्रेस में चले गए थे, जबकि विधानसभा चुनावों में बसपा के खराब प्रदर्शन के बाद दुबे इस साल मई में सबसे पुरानी पार्टी में चले गए थे.

2022 के विधानसभा चुनावों के बाद सोनिया ने तत्कालीन राज्य इकाई के प्रमुख अजय कुमार लल्लू को इस्तीफा देने के लिए कहा था.विभिन्न कारणों से नए व्यक्ति की नियुक्ति में देरी हुई थी. हालांकि कांग्रेस ने शनिवार को नई नियुक्तियों के जरिए दलितों को कड़ा संदेश दिया है, लेकिन पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि यूपी में पार्टी को फिर से मजबूत करना एक कठिन काम है.

खाबरी ने कहा, चुनौतियों का डटकर मुकाबला करेंगे : खाबरी ने कहा, 'कई चुनौतियां हैं लेकिन हम उनका डटकर मुकाबला करेंगे. मेरी पहली प्राथमिकता पार्टी को एकजुट करना और संगठन को मजबूत बनाना होगा.' उनके अनुसार, कांग्रेस के पास बसपा के कम हो रहे जनाधार का लाभ उठाने का अवसर है. खाबरी ने कहा कि 'दलित हमारे पास वापस आएंगे. बसपा खत्म हो गई है. बसपा में जो जनाधार था, मैं उसे जुटाऊंगा और कांग्रेस को फिर से संगठित करूंगा.' उन्होंने कहा, 'मैं उस भरोसे पर खरा उतरूंगा जो सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा और राहुल गांधी ने मुझ पर जताया है.'

सपा के मुस्लिम वोट बैंक पर ये कहा : यह पूछे जाने पर कि वह सत्तारूढ़ भाजपा और मुख्य विपक्षी सपा से कैसे मुकाबला करने की योजना बना रहे हैं. यूपी कांग्रेस के नए प्रमुख ने कहा, 'भाजपा सामाजिक ध्रुवीकरण के कारण जीतती है. अगर सपा के 14 फीसदी मुस्लिम समर्थकों को हटा दिया जाए तो उनकी हालत बसपा से भी बदतर हो जाएगी. हम दोनों से लड़ेंगे.'

यूपी कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह नेहरू-गांधी परिवार का गृह राज्य है. सोनिया गांधी लोकसभा में रायबरेली से एकमात्र पार्टी सांसद हैं. राहुल गांधी ने 2019 में अपना गढ़ अमेठी खो दिया था.

इस साल अप्रैल में राहुल ने मायावती पर आरोप लगाया था. उन्होंने कहा था कि मायावती ने यूपी में कांग्रेस के साथ गठबंधन से इनकार कर दिया, जिस वजह से भाजपा को वाकओवर मिल गया. उसी दरार को और बढ़ाते हुए राहुल ने बसपा संस्थापक कांशीराम की तारीफ की थी. राहुल ने कहा था कि कांशीराम समुदाय के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी. राहुल का यह कदम स्पष्ट रूप से बसपा के वोट बैंक का ध्यान आकर्षण करने की कोशिश थी.

तब से, प्रियंका गांधी वाड्रा एआईसीसी प्रभारी के रूप में उत्तरी राज्य का जिम्मा संभाल रही थीं. प्रियंका ने संगठन को फिर से मजबूती देने के लिए कई कदम उठाए. प्रियंका ने टिमखुई विधायक अजय कुमार लल्लू को राज्य इकाई का प्रमुख बनाया था और रामपुर खास की विधायक आराधना मिश्रा को विधानसभा में सीएलपी नेता बनाया था.

प्रियंका ने लल्लू और आराधना की मदद से राज्य में कानून व्यवस्था, महिलाओं के खिलाफ अपराध, दलितों के लिए न्याय, गन्ना किसानों का बकाया और युवाओं के लिए नौकरियों सहित विभिन्न मुद्दों पर योगी आदित्यनाथ सरकार के खिलाफ कई विरोध प्रदर्शनों का नेतृत्व किया. कोविड महामारी के दौरान उन्होंने उन हजारों प्रवासी कामगारों के लिए 1000 बसों की व्यवस्था करने की भी कोशिश की, जिन्हें लॉकडाउन में पैदल चलने के लिए मजबूर होना पड़ा था. हालांकि, राज्य सरकार ने उनके प्रस्ताव को खारिज कर दिया था और बसों को यह कहते हुए अनुमति नहीं दी थी कि वाहनों में उचित दस्तावेजों की कमी है.

राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी की बेटी आराधना मिश्रा को प्रियंका ने दूसरे कार्यकाल के लिए सीएलपी बनाया था. जिन्होंने अब दूसरे विधायक वीरेंद्र चौधरी को खाबरी के तहत क्षेत्रीय प्रभारी बनाया है.

नसीमुद्दीन सिद्दीकी, नकुल दुबे और वीरेंद्र चौधरी के अलावा अन्य तीन क्षेत्रीय प्रभारी पूर्व विधायक अजय राय, योगेश दीक्षित और अनिल यादव हैं. राय पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के पिंडरा से पूर्व विधायक हैं. उन्होंने 2014 का लोकसभा चुनाव मोदी के खिलाफ वाराणसी से लड़ा था. दीक्षित पार्टी के पुराने नेता हैं और गांधी परिवार के वफादार यादव पश्चिमी यूपी के इटावा से हैं.

सूत्रों ने कहा कि नई टीम को अंतिम रूप देने पर पिछले हफ्तों में यूपी में आवश्यक विभिन्न जाति समीकरणों को ध्यान में रखते हुए चर्चा की गई थी. कांग्रेस को चलाने के लिए ब्राह्मण, ठाकुर, ओबीसी या दलित नेता के बीच चुनाव किया जाना था.

पढ़ें- उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष बने बृजलाल खाबरी, जानिए कौन हैं?

नई दिल्ली : कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (Congress chief Sonia Gandhi) ने शनिवार को दलित नेता बृजलाल खाबरी (Brij Lal Khabri) को उत्तर प्रदेश इकाई का प्रमुख चुना. पिछले तीन दशकों में, कांग्रेस ने अपने पारंपरिक दलित वोट बैंक को बसपा के हाथों खो दिया. हालांकि पिछले कुछ वर्षों में यूपी में कांग्रेस और बसपा दोनों ही हाशिए पर रहे हैं, लेकिन पुरानी पार्टी अब लुप्त होती बसपा से लाभ उठाने की कोशिश कर रही है.

2017 में, 403 सदस्यीय यूपी विधानसभा में कांग्रेस के पास केवल 7 सीटें थीं, जबकि बसपा के पास 19 सीटें थीं. जबकि 2022 में कांग्रेस के पास सिर्फ 2 और बसपा के पास सिर्फ 1 सीट रह गई. बृजलाल खाबरी, वर्तमान में बिहार के प्रभारी AICC सचिव हैं. बृजलाल खाबरी 2016 में बसपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए थे. सोनिया गांधी ने छह क्षेत्रीय प्रभारी भी नियुक्त किए हैं, जो बड़े और राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण राज्य के प्रबंधन में नए राज्य इकाई प्रमुख की सहायता करेंगे.

दिलचस्प बात यह है कि उनमें से दो नसीमुद्दीन सिद्दीकी और नकुल दुबे भी बसपा से हैं, जो पिछले वर्षों में कांग्रेस में शामिल हुए थे. मायावती सरकार में पूर्व मंत्री रहे सिद्दीकी 2019 के लोकसभा चुनाव से एक साल पहले 2018 में कांग्रेस में चले गए थे, जबकि विधानसभा चुनावों में बसपा के खराब प्रदर्शन के बाद दुबे इस साल मई में सबसे पुरानी पार्टी में चले गए थे.

2022 के विधानसभा चुनावों के बाद सोनिया ने तत्कालीन राज्य इकाई के प्रमुख अजय कुमार लल्लू को इस्तीफा देने के लिए कहा था.विभिन्न कारणों से नए व्यक्ति की नियुक्ति में देरी हुई थी. हालांकि कांग्रेस ने शनिवार को नई नियुक्तियों के जरिए दलितों को कड़ा संदेश दिया है, लेकिन पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि यूपी में पार्टी को फिर से मजबूत करना एक कठिन काम है.

खाबरी ने कहा, चुनौतियों का डटकर मुकाबला करेंगे : खाबरी ने कहा, 'कई चुनौतियां हैं लेकिन हम उनका डटकर मुकाबला करेंगे. मेरी पहली प्राथमिकता पार्टी को एकजुट करना और संगठन को मजबूत बनाना होगा.' उनके अनुसार, कांग्रेस के पास बसपा के कम हो रहे जनाधार का लाभ उठाने का अवसर है. खाबरी ने कहा कि 'दलित हमारे पास वापस आएंगे. बसपा खत्म हो गई है. बसपा में जो जनाधार था, मैं उसे जुटाऊंगा और कांग्रेस को फिर से संगठित करूंगा.' उन्होंने कहा, 'मैं उस भरोसे पर खरा उतरूंगा जो सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा और राहुल गांधी ने मुझ पर जताया है.'

सपा के मुस्लिम वोट बैंक पर ये कहा : यह पूछे जाने पर कि वह सत्तारूढ़ भाजपा और मुख्य विपक्षी सपा से कैसे मुकाबला करने की योजना बना रहे हैं. यूपी कांग्रेस के नए प्रमुख ने कहा, 'भाजपा सामाजिक ध्रुवीकरण के कारण जीतती है. अगर सपा के 14 फीसदी मुस्लिम समर्थकों को हटा दिया जाए तो उनकी हालत बसपा से भी बदतर हो जाएगी. हम दोनों से लड़ेंगे.'

यूपी कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह नेहरू-गांधी परिवार का गृह राज्य है. सोनिया गांधी लोकसभा में रायबरेली से एकमात्र पार्टी सांसद हैं. राहुल गांधी ने 2019 में अपना गढ़ अमेठी खो दिया था.

इस साल अप्रैल में राहुल ने मायावती पर आरोप लगाया था. उन्होंने कहा था कि मायावती ने यूपी में कांग्रेस के साथ गठबंधन से इनकार कर दिया, जिस वजह से भाजपा को वाकओवर मिल गया. उसी दरार को और बढ़ाते हुए राहुल ने बसपा संस्थापक कांशीराम की तारीफ की थी. राहुल ने कहा था कि कांशीराम समुदाय के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी. राहुल का यह कदम स्पष्ट रूप से बसपा के वोट बैंक का ध्यान आकर्षण करने की कोशिश थी.

तब से, प्रियंका गांधी वाड्रा एआईसीसी प्रभारी के रूप में उत्तरी राज्य का जिम्मा संभाल रही थीं. प्रियंका ने संगठन को फिर से मजबूती देने के लिए कई कदम उठाए. प्रियंका ने टिमखुई विधायक अजय कुमार लल्लू को राज्य इकाई का प्रमुख बनाया था और रामपुर खास की विधायक आराधना मिश्रा को विधानसभा में सीएलपी नेता बनाया था.

प्रियंका ने लल्लू और आराधना की मदद से राज्य में कानून व्यवस्था, महिलाओं के खिलाफ अपराध, दलितों के लिए न्याय, गन्ना किसानों का बकाया और युवाओं के लिए नौकरियों सहित विभिन्न मुद्दों पर योगी आदित्यनाथ सरकार के खिलाफ कई विरोध प्रदर्शनों का नेतृत्व किया. कोविड महामारी के दौरान उन्होंने उन हजारों प्रवासी कामगारों के लिए 1000 बसों की व्यवस्था करने की भी कोशिश की, जिन्हें लॉकडाउन में पैदल चलने के लिए मजबूर होना पड़ा था. हालांकि, राज्य सरकार ने उनके प्रस्ताव को खारिज कर दिया था और बसों को यह कहते हुए अनुमति नहीं दी थी कि वाहनों में उचित दस्तावेजों की कमी है.

राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी की बेटी आराधना मिश्रा को प्रियंका ने दूसरे कार्यकाल के लिए सीएलपी बनाया था. जिन्होंने अब दूसरे विधायक वीरेंद्र चौधरी को खाबरी के तहत क्षेत्रीय प्रभारी बनाया है.

नसीमुद्दीन सिद्दीकी, नकुल दुबे और वीरेंद्र चौधरी के अलावा अन्य तीन क्षेत्रीय प्रभारी पूर्व विधायक अजय राय, योगेश दीक्षित और अनिल यादव हैं. राय पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के पिंडरा से पूर्व विधायक हैं. उन्होंने 2014 का लोकसभा चुनाव मोदी के खिलाफ वाराणसी से लड़ा था. दीक्षित पार्टी के पुराने नेता हैं और गांधी परिवार के वफादार यादव पश्चिमी यूपी के इटावा से हैं.

सूत्रों ने कहा कि नई टीम को अंतिम रूप देने पर पिछले हफ्तों में यूपी में आवश्यक विभिन्न जाति समीकरणों को ध्यान में रखते हुए चर्चा की गई थी. कांग्रेस को चलाने के लिए ब्राह्मण, ठाकुर, ओबीसी या दलित नेता के बीच चुनाव किया जाना था.

पढ़ें- उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष बने बृजलाल खाबरी, जानिए कौन हैं?

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