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सड़क दुर्घटना में किसी कार्य या चूक के लिए व्यक्ति को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए : न्यायालय - कर्नाटक उच्च न्यायालय

सड़क दुर्घटना से संबंधित एक मामले में उच्चतम न्यायालय ने कहा कि सड़क दुर्घटना में किसी ऐसे व्यक्ति को कुछ कार्य या चूक के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए, जिसके खिलाफ लापरवाही का आरोप लगाया गया हो. पढ़ें पूरी खबर...

सड़क दुर्घटना से संबंधित मामले पर दिल्ली दिल्ली HC
सड़क दुर्घटना से संबंधित मामले पर दिल्ली दिल्ली HC
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Published : Oct 13, 2021, 7:21 PM IST

नई दिल्ली : सड़क दुर्घटना से संबंधित एक मामले में उच्चतम न्यायालय ने कहा कि सड़क दुर्घटना में किसी ऐसे व्यक्ति को कुछ कार्य या चूक के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए, जिसके खिलाफ लापरवाही का आरोप लगाया गया हो.

न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यम की पीठ ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के एक फैसले के खिलाफ एक महिला और उनके नाबालिग बच्चों की अपील पर अपने फैसले में यह टिप्पणी की.

उच्च न्यायालय ने कहा था कि महिला के दिवंगत पति भी लापरवाही के दोषी हैं. ट्रक से टक्कर में संलिप्त कार इस महिला के पति रहे थे और वह भी लापरवाही में योगदान के दोषी हैं. अदालत ने कहा कि ऐसी स्थिति में महिला और उनके नाबालिग बच्चे मुआवजे की निर्धारित राशि के केवल 50 प्रतिशत के हकदार हैं.

हालांकि, शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय का निर्णय पलटते हुये कहा कि कुछ असाधारण सावधानी बरतकर टक्कर से बचने में नाकामी अपने आप में लापरवाही नहीं है.

पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय का निष्कर्ष ऐसे किसी सबूत पर आधारित नहीं है. यह महज एक अनुमान है कि यदि कार का चालक सतर्क होता और यातायात नियमों का पालन करते हुए वाहन सावधानीपूर्वक चलाता, तो यह दुर्घटना नहीं होती.

पीठ ने छह अक्टूबर के अपने आदेश में कहा कि यह जताने के लिए रिकॉर्ड में कुछ भी नहीं था कि कार का चालक मध्यम गति से गाड़ी नहीं चला रहा था या उसने यातायात नियमों का पालन नहीं किया था. इसके विपरीत, उच्च न्यायालय का मानना ​​है कि यदि ट्रक को राजमार्ग पर खड़ा नहीं किया गया होता तो कार की गति तेज होने पर भी दुर्घटना नहीं होती.

पढ़ें : सीआर पार्क: कार ने युवक को मारी टक्कर, इलाज के दौरान हुई मौत

पीठ ने अपील स्वीकार करते हुए उच्च न्यायालय के फैसले को संशोधित किया और नौ प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से ब्याज के साथ कुल 50,89,96 रुपये के मुआवजे का भुगतान करने का निर्देश दिया.

इस मामले में 10 फरवरी, 2011 को मृतक की कार एक ट्रक से उस समय सामने से टकरा गयी जब उसके चालक ने किसी संकेत के बगैर अपना वाहन अचानक ही रोक दिया था। इस हादसे में कार चला रहे मृतक को गंभीर चोटें लगीं थीं और उसकी मौके पर ही मृत्यु हो गयी थी.

याचिकाकर्ताओं ने ट्रक चालक की लापरवाही के कारण यह दुर्घटना होने का दावा करते हुए मोटी दुर्घटना दावा अधिकरण में 54,10,000 रुपए के मुआवजे का दावा किया था.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : सड़क दुर्घटना से संबंधित एक मामले में उच्चतम न्यायालय ने कहा कि सड़क दुर्घटना में किसी ऐसे व्यक्ति को कुछ कार्य या चूक के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए, जिसके खिलाफ लापरवाही का आरोप लगाया गया हो.

न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यम की पीठ ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के एक फैसले के खिलाफ एक महिला और उनके नाबालिग बच्चों की अपील पर अपने फैसले में यह टिप्पणी की.

उच्च न्यायालय ने कहा था कि महिला के दिवंगत पति भी लापरवाही के दोषी हैं. ट्रक से टक्कर में संलिप्त कार इस महिला के पति रहे थे और वह भी लापरवाही में योगदान के दोषी हैं. अदालत ने कहा कि ऐसी स्थिति में महिला और उनके नाबालिग बच्चे मुआवजे की निर्धारित राशि के केवल 50 प्रतिशत के हकदार हैं.

हालांकि, शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय का निर्णय पलटते हुये कहा कि कुछ असाधारण सावधानी बरतकर टक्कर से बचने में नाकामी अपने आप में लापरवाही नहीं है.

पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय का निष्कर्ष ऐसे किसी सबूत पर आधारित नहीं है. यह महज एक अनुमान है कि यदि कार का चालक सतर्क होता और यातायात नियमों का पालन करते हुए वाहन सावधानीपूर्वक चलाता, तो यह दुर्घटना नहीं होती.

पीठ ने छह अक्टूबर के अपने आदेश में कहा कि यह जताने के लिए रिकॉर्ड में कुछ भी नहीं था कि कार का चालक मध्यम गति से गाड़ी नहीं चला रहा था या उसने यातायात नियमों का पालन नहीं किया था. इसके विपरीत, उच्च न्यायालय का मानना ​​है कि यदि ट्रक को राजमार्ग पर खड़ा नहीं किया गया होता तो कार की गति तेज होने पर भी दुर्घटना नहीं होती.

पढ़ें : सीआर पार्क: कार ने युवक को मारी टक्कर, इलाज के दौरान हुई मौत

पीठ ने अपील स्वीकार करते हुए उच्च न्यायालय के फैसले को संशोधित किया और नौ प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से ब्याज के साथ कुल 50,89,96 रुपये के मुआवजे का भुगतान करने का निर्देश दिया.

इस मामले में 10 फरवरी, 2011 को मृतक की कार एक ट्रक से उस समय सामने से टकरा गयी जब उसके चालक ने किसी संकेत के बगैर अपना वाहन अचानक ही रोक दिया था। इस हादसे में कार चला रहे मृतक को गंभीर चोटें लगीं थीं और उसकी मौके पर ही मृत्यु हो गयी थी.

याचिकाकर्ताओं ने ट्रक चालक की लापरवाही के कारण यह दुर्घटना होने का दावा करते हुए मोटी दुर्घटना दावा अधिकरण में 54,10,000 रुपए के मुआवजे का दावा किया था.

(पीटीआई-भाषा)

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