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हाथियों को मानव बस्ती से दूर रखेगी सौर ऊर्जा बाड़

असम में हाथियों को मानव बस्ती से दूर रखने के लिए वन विभाग ने सौर ऊर्जा बाड़ (Solar powered fence) का इस्तेमाल किया है. इससे हाथियों द्वारा मानव आवास तथा धान के खेतों को नष्ट करने की समस्या से निजात पाने में सहायता मिली है.

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Published : Aug 2, 2021, 9:11 PM IST

हाथियों को मानव बस्ती से दूर रखने बाड़ लगाया
हाथियों को मानव बस्ती से दूर रखने के लिए बाड़ लगाया

गुवाहाटी : असम के वन विभाग द्वारा लगाई गई सौर ऊर्जा से संचालित लटकती हुई, इलेक्ट्रिक फेन्स (बिजली की बाड़) जंगल के कुछ बाहरी इलाकों से हाथियों को दूर रखने और मानवों के साथ उनके संघर्ष को रोकने में सहायक सिद्ध हो रही है. एक अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी.

इस बाड़ में दोनों किनारे पर तीन मीटर ऊंचे खम्बे से बंधे तार पर ये स्टील के तार लटकते हैं. यह तार सौर ऊर्जा से संचालित बिजली से जुड़े होते होते हैं और हाथी यदि इनके पार जाने की कोशिश में संपर्क में आते हैं तो उन्हें हल्का झटका लगता है.

रेंज अधिकारी मनोरंजन बर्मन ने बताया कि गुवाहाटी के पास रानी रिजर्व वन की सीमाओं पर ऐसी बाड़ लगाई गई है और इससे हाथियों द्वारा मानव आवास तथा धान के खेतों को नष्ट करने की समस्या से निजात पाने में सहायता मिली है.

पिछले साल जुलाई में नालापारा से बेलगुरी और महिंद्री से सिलखुटा के बीच दो किलोमीटर लंबी सौर ऊर्जा से संचालित बाड़ लगाई गई जिसमें आठ लाख रुपये का खर्च आया. ग्रेटर रानी क्षेत्र के मोइरापुर गांव के निवासी दिनेश नाथ ने कहा कि सौर बाड़ के कारण हाथी मनुष्यों की बस्ती के पास नहीं आते और धान के खेत भी नष्ट होने से बचे रहते हैं.

इसे भी पढ़े-मिजोरम की 'जीवनरेखा' प्रभावित, सामान की सप्लाई ठप, कमजोर पड़ी कोविड से लड़ाई

वन अधिकारियों ने कहा कि यह समाधान पारंपरिक बाड़ की तुलना में कम खर्च वाला तो है ही, साथ में एक फायदा यह भी है कि यदि किसी तरह हाथी बाड़ को तोड़कर मानवीय बस्ती में घुस भी जाता है तो बाड़ में बिजली का प्रवाह अस्थायी रूप से बंद कर के उसे फिर से जंगल में लाया जा सकता है.

इस प्रकार की बाड़ को राज्य में पहले भी लगाया गया था. मानस राष्ट्रीय उद्यान में भारतीय वन्यजीव न्यास द्वारा वन विभाग की सहायता से लगाई गई लटकती हुई पांच किलोमीटर की बाड़ से भी हाथियों को मानव बस्ती से दूर रखने में सहायता मिली है.

(पीटीआई-भाषा)

गुवाहाटी : असम के वन विभाग द्वारा लगाई गई सौर ऊर्जा से संचालित लटकती हुई, इलेक्ट्रिक फेन्स (बिजली की बाड़) जंगल के कुछ बाहरी इलाकों से हाथियों को दूर रखने और मानवों के साथ उनके संघर्ष को रोकने में सहायक सिद्ध हो रही है. एक अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी.

इस बाड़ में दोनों किनारे पर तीन मीटर ऊंचे खम्बे से बंधे तार पर ये स्टील के तार लटकते हैं. यह तार सौर ऊर्जा से संचालित बिजली से जुड़े होते होते हैं और हाथी यदि इनके पार जाने की कोशिश में संपर्क में आते हैं तो उन्हें हल्का झटका लगता है.

रेंज अधिकारी मनोरंजन बर्मन ने बताया कि गुवाहाटी के पास रानी रिजर्व वन की सीमाओं पर ऐसी बाड़ लगाई गई है और इससे हाथियों द्वारा मानव आवास तथा धान के खेतों को नष्ट करने की समस्या से निजात पाने में सहायता मिली है.

पिछले साल जुलाई में नालापारा से बेलगुरी और महिंद्री से सिलखुटा के बीच दो किलोमीटर लंबी सौर ऊर्जा से संचालित बाड़ लगाई गई जिसमें आठ लाख रुपये का खर्च आया. ग्रेटर रानी क्षेत्र के मोइरापुर गांव के निवासी दिनेश नाथ ने कहा कि सौर बाड़ के कारण हाथी मनुष्यों की बस्ती के पास नहीं आते और धान के खेत भी नष्ट होने से बचे रहते हैं.

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वन अधिकारियों ने कहा कि यह समाधान पारंपरिक बाड़ की तुलना में कम खर्च वाला तो है ही, साथ में एक फायदा यह भी है कि यदि किसी तरह हाथी बाड़ को तोड़कर मानवीय बस्ती में घुस भी जाता है तो बाड़ में बिजली का प्रवाह अस्थायी रूप से बंद कर के उसे फिर से जंगल में लाया जा सकता है.

इस प्रकार की बाड़ को राज्य में पहले भी लगाया गया था. मानस राष्ट्रीय उद्यान में भारतीय वन्यजीव न्यास द्वारा वन विभाग की सहायता से लगाई गई लटकती हुई पांच किलोमीटर की बाड़ से भी हाथियों को मानव बस्ती से दूर रखने में सहायता मिली है.

(पीटीआई-भाषा)

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