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कोरोना महामारी के दौरान फैला फर्जी समाचार का वायरस

कोरोना वायरस के कारण महमारी फैलने के बाद से हमारी जीवनशैली में नाटकीय बदलाव आए हैं. समाचार जगत में महामारी फैलने के साथ ही गलत जानकारी का वायरस भी फैल रहा है. डब्ल्यूएचओ, वंडरमैन थॉम्पसन, यूनिवर्सिटी ऑफ मेलबर्न और पोलफिश ने इसको लेकर एक शोध किया है. जानें उन्होंने शोध में क्या पाया.

Social media and COVID-19
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Published : Mar 29, 2021, 12:26 PM IST

हैदराबाद : डब्ल्यूएचओ, वंडरमैन थॉम्पसन, यूनिवर्सिटी ऑफ मेलबर्न और पोलफिश ने एक वैश्विक अध्ययन किया, जिसका उद्देश्य यह पता लगाना था कि जेन जेड और मिलेनियल्स को कोविड-19 महामारी से जुड़ी जानकारी कैसे मिलती है.

एक वर्ष पहले जब कोरोना वायरस के कारण महामारी फैली तो उसी समय सोशल मीडिया और अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्मों पर गलत सूचना भी वायरस की तरह फैली, जो वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए खतरा साबित हो रहा है.

कोरोना महामारी के दौरान सोशल मीडिया और अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्मों पर गलत सूचना का प्रसार बढ़ गया. प्रौद्योगिकी में प्रगति और सोशल मीडिया लोगों को सुरक्षित, सूचित और जुड़े रहने के अवसर प्रदान करता है. हालांकि, इन्ही माध्यमों से वर्तमान इन्फोडेमिक भी फैल रहा है, जो महामारी को नियंत्रित करने के प्रयासों में खलल डाल रहा है.

यद्यपि युवा लोगों को कोविड-19 जैसी गंभीर बीमारी का खतरा कम होता है, हालांकि इस वायरस के प्रसार को कम करने और इस महामारी को रोकने में वह अहम भूमिका निभाते हैं. युवा प्रतिदिन औसतन पांच डिजिटल प्लेटफॉर्म (जैसे, ट्विटर, फेसबुक, यूट्यूब और इंस्टाग्राम) पर सक्रीय रहते हैं. इन प्लेटफॉर्मों पर इन्ही की संख्या सबसे ज्यादा है.

यह समझने के लिए कि इस वैश्विक संचार संकट के दौरान युवा कैसे प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर रहे हैं, एक अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन किया गया था. इसमें 23,500 उत्तरदाताओं को शामिल किया गया था, जिनकी आयु 18-40 वर्ष के बीच थी और यह लोग पांच महाद्वीपों के 24 देशों से थे.

यह परियोजना विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ), वंडरमैन थॉम्पसन, यूनिवर्सिटी ऑफ मेलबर्न और पोलफिश ने मिलकर शुरू की थी. अक्टूबर 2020 के अंत से जनवरी 2021 के अंत तक आंकड़े एकत्र किए गए थे.

यह दिखाता है कि जेन जेड और मिलेनियल्स कोविड​​-19 की जानकारी कहां से पाते हैं, उन्हें किस स्रोतों पर भरोसा है, वह झूठी खबरों को लेकर कितने जागरूक हैं आदि.

विज्ञान सामग्री को शेयर योग्य देखा गया
यह पूछे जाने पर कि वह किस तरह की कोविड-19 की जानकारी (यदि हो तो) सोशल मीडिया पर पोस्ट करेंगे, 43.9% उत्तरदाताओं, दोनों पुरुष और महिला, ने कहा कि वह संभवतः अपने सोशल मीडिया पर 'वैज्ञानिक' सामग्री साझा करेंगे.

शोध के आंकड़ों से पता चला है कि यह सामान्य प्रवृत्ति के विपरीत हैं, जिसमें मजेदार, मनोरंजक और भावनात्मक सामग्री सबसे तेजी से फैलती है. इसके बाद 'प्रासंगिक' (36.7%) और 'संबंधित' (28.5%) सामग्री आती है.

इसके अलावा, 28.3% का कहना है कि वे ऐसा कंटेंट साझा करते हैं जिसमें लेख शामिल है, इसके बाद वीडियो (24.1%), छवि (23.0%), कथा (20.8%), एक भावनात्मक प्रतिक्रिया (18.2%) और ह्यूमर (18.1%) शामिल हैं.

सोशल मीडिया पर साझा करने की संभावनासामग्री (प्रकार) साझा करने की अधिक संभावना
43.9 % वैज्ञानिक सामग्री28.3% सामग्री
36.7% प्रासंगिक जानकारी24.1% वीडियो
28.5% जानकारी जो चिंताजनक है23.0% इमेज

झूठी खबरों के बारे में जागरूकता और उदासीनता
जेन जेड और मिलेनियल्स के सर्वेक्षण में आधे से ज्यादा (59.1%) कोविड-19 से जुड़ी फर्जी खबरों के बारे में जागरूक हैं और उन्हें पहचान सकते हैं. हालांकि, ज्यादातर इसको काउंटर नहीं करते और 35.1% इसकी अनदेखी कर देते हैं.

24.4% सामग्री को रिपोर्ट करते हैं और 19.3% उस पर टिप्पणी करते हैं. इसे साझा करने वाले खाते को केवल 8.7% अनफॉलो करते हैं. 40.8% कहते हैं कि वे हमेशा यह सुनिश्चित करते हैं कि जो सामग्री वह सोशल मीडिया पर पोस्ट करने जा रहे हैं वह सही है या नहीं.

36.6% का कहना है कि वे ऐसा 'ज्यादातर समय करते हैं.' बस एक तिहाई (37.5%) ने माना की उन्होंने सोशल मीडिया पर सामग्री साझा कर दी, जो उन्हें बाद में पता चला कि गलत थी. इनमें से, 87.1% कहते हैं कि उन्होंने बाद में सामग्री को ठीक किया या हटा दिया.

फर्जी खबरों पर प्रतिक्रिया

35.10%अनदेखा कर देते हैं
24.4रिपोर्ट कर देते हैं
19.30%कमेंट करते हैं
8.70%पोस्ट करने वाले को अनफॉलो कर देते हैं
7.10%शेयर कर देते हैं
5.50%नहीं पता

जेन जेड और मिलेनियल्स को कई चिंताएं

अक्सर यह कहा जाता है कि युवा चिंता मुक्त होते हैं. हालांकि शोध के डेटा के मुताबिक 90% से अधिक प्रतिभागियों को संक्रमण की चिंता सता रही थी.

खुद बीमार होने के अलावा उनकी (55.5%) चिंता का मुख्य विषय था कि कहीं उनके परिजन और मित्र न संक्रमित हो जाएं. इसके बाद गिरती अर्थव्यवस्था चिंता 53.8% का विषय थी.

ये आंकड़े स्वास्थ्य संगठनों, सरकारों, मीडिया, व्यवसायों की मदद कर सकती हैं. वह अपनी सेवाओं को बेहतर बना सकते हैं और युवाओं के लिए प्रासंगिक नितियां बना सकते हैं.

महामारी के दौरान चिंता के मुख्य कारण

परिजनों और मित्रों के संक्रमित होने का खतरा55.50%
गिरती अर्थव्यवस्था53.80%
रोजगार अनिश्चितता39.80%
आर्थिक तंगी39.70%
परिजनों से न मिल पाना38.20%
जीवनशैली में महत्वपूर्ण बदलाव33.70%
मानसिक स्वास्थ्य33.40%
स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच नहीं होना31.10%
शिक्षा तक पहुंच27.00%
सामाजिक समुदाय के साथ संपर्क खोना22.50%
भोजन19.70%
राजनीतिक तनाव18.70%
भेदभाव11.70%
निवास को लेकर अनिश्चितता9.30%
मैं कोविड-19 संकट के व्यापक प्रभावों से चिंतित नहीं हूं3.20%
अन्य1.30%

कोविड-19 के बारे में कहां से आती है जानकारी

यह पूछे जाने पर कि वे कोविड-19 समाचार और सूचना के लिए किसको प्राथमिकता देता हैं, कुल मिलाकर 43.6% उत्तरदाताओं ने कहा: राष्ट्रीय समाचार पत्र, टीवी और रेडियो; 36.2% का कहना है कि वे साइटों पर खोजते हैं और 35.2% अंतरराष्ट्रीय समाचार मीडिया को चुनते हैं.

पारंपरिक मीडिया द्वारा सामाजिक मीडिया सामग्री को 34.2% और विश्व स्वास्थ्य संगठन के सोशल मीडिया को 31.5% प्राथमिकता मिलती है. इसके अलावा स्वास्थ्य और विज्ञान विशेषज्ञ (28.8%) और सरकारी स्रोत (28.3%) भी शामिल हैं.

भारत, मैक्सिको और नाइजीरिया में, विश्व स्वास्थ्य संगठन का सोशल मीडिया चैनल कोविड-19 समाचार और सूचना के लिए सबसे लोकप्रिय स्रोत है. जबकि मिस्र, इंडोनेशिया, रूस और दक्षिण कोरिया में, यह प्लेटफॉर्म पहली पसंद हैं.

व्यक्तिगत सहभागिता (22.4%) कम है, जिसमें कोविड-19 की जानकारी परिवार से 19.8% दोस्तों से और 16.1% उनके दोस्तों के सोशल मीडिया सामग्री के माध्यम से मिलती है.

कोविड-19 समाचार और सूचना के स्रोत

राष्ट्रीय समाचार पत्र, टेलीविजन और रेडियो43.60%
सक्रिय रूप से सर्च करना36.20%
अंतर्राष्ट्रीय समाचार पत्र, टेलीविजन और रेडियो35.20%
पारंपरिक मीडिया द्वारा सामाजिक मीडिया सामग्री34.20%
विश्व स्वास्थ्य संगठन की सोशल मीडिया सामग्री31.50%
विज्ञान और स्वास्थ्य विशेषज्ञों की सोशल मीडिया सामग्री28.80%
सरकार की सोशल मीडिया सामग्री28.30%
परिवार22.40%
दोस्त19.80%
दोस्तों की सोशल मीडिया सामग्री16.10%
परिवार की सोशल मीडिया सामग्री12.80%
सह कार्यकर्ता12.50%
मशहूर हस्तियों की सोशल मीडिया सामग्री11.60%
वैकल्पिक आंदोलन के नेताओं की सोशल मीडिया सामग्री10.30%
शिक्षक1.00%
अज्ञात सूत्र9.40%
धार्मिक नेता4.30%
अन्य1.30%
सामान्य रूप से सोशल मीडिया0.90%

हैदराबाद : डब्ल्यूएचओ, वंडरमैन थॉम्पसन, यूनिवर्सिटी ऑफ मेलबर्न और पोलफिश ने एक वैश्विक अध्ययन किया, जिसका उद्देश्य यह पता लगाना था कि जेन जेड और मिलेनियल्स को कोविड-19 महामारी से जुड़ी जानकारी कैसे मिलती है.

एक वर्ष पहले जब कोरोना वायरस के कारण महामारी फैली तो उसी समय सोशल मीडिया और अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्मों पर गलत सूचना भी वायरस की तरह फैली, जो वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए खतरा साबित हो रहा है.

कोरोना महामारी के दौरान सोशल मीडिया और अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्मों पर गलत सूचना का प्रसार बढ़ गया. प्रौद्योगिकी में प्रगति और सोशल मीडिया लोगों को सुरक्षित, सूचित और जुड़े रहने के अवसर प्रदान करता है. हालांकि, इन्ही माध्यमों से वर्तमान इन्फोडेमिक भी फैल रहा है, जो महामारी को नियंत्रित करने के प्रयासों में खलल डाल रहा है.

यद्यपि युवा लोगों को कोविड-19 जैसी गंभीर बीमारी का खतरा कम होता है, हालांकि इस वायरस के प्रसार को कम करने और इस महामारी को रोकने में वह अहम भूमिका निभाते हैं. युवा प्रतिदिन औसतन पांच डिजिटल प्लेटफॉर्म (जैसे, ट्विटर, फेसबुक, यूट्यूब और इंस्टाग्राम) पर सक्रीय रहते हैं. इन प्लेटफॉर्मों पर इन्ही की संख्या सबसे ज्यादा है.

यह समझने के लिए कि इस वैश्विक संचार संकट के दौरान युवा कैसे प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर रहे हैं, एक अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन किया गया था. इसमें 23,500 उत्तरदाताओं को शामिल किया गया था, जिनकी आयु 18-40 वर्ष के बीच थी और यह लोग पांच महाद्वीपों के 24 देशों से थे.

यह परियोजना विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ), वंडरमैन थॉम्पसन, यूनिवर्सिटी ऑफ मेलबर्न और पोलफिश ने मिलकर शुरू की थी. अक्टूबर 2020 के अंत से जनवरी 2021 के अंत तक आंकड़े एकत्र किए गए थे.

यह दिखाता है कि जेन जेड और मिलेनियल्स कोविड​​-19 की जानकारी कहां से पाते हैं, उन्हें किस स्रोतों पर भरोसा है, वह झूठी खबरों को लेकर कितने जागरूक हैं आदि.

विज्ञान सामग्री को शेयर योग्य देखा गया
यह पूछे जाने पर कि वह किस तरह की कोविड-19 की जानकारी (यदि हो तो) सोशल मीडिया पर पोस्ट करेंगे, 43.9% उत्तरदाताओं, दोनों पुरुष और महिला, ने कहा कि वह संभवतः अपने सोशल मीडिया पर 'वैज्ञानिक' सामग्री साझा करेंगे.

शोध के आंकड़ों से पता चला है कि यह सामान्य प्रवृत्ति के विपरीत हैं, जिसमें मजेदार, मनोरंजक और भावनात्मक सामग्री सबसे तेजी से फैलती है. इसके बाद 'प्रासंगिक' (36.7%) और 'संबंधित' (28.5%) सामग्री आती है.

इसके अलावा, 28.3% का कहना है कि वे ऐसा कंटेंट साझा करते हैं जिसमें लेख शामिल है, इसके बाद वीडियो (24.1%), छवि (23.0%), कथा (20.8%), एक भावनात्मक प्रतिक्रिया (18.2%) और ह्यूमर (18.1%) शामिल हैं.

सोशल मीडिया पर साझा करने की संभावनासामग्री (प्रकार) साझा करने की अधिक संभावना
43.9 % वैज्ञानिक सामग्री28.3% सामग्री
36.7% प्रासंगिक जानकारी24.1% वीडियो
28.5% जानकारी जो चिंताजनक है23.0% इमेज

झूठी खबरों के बारे में जागरूकता और उदासीनता
जेन जेड और मिलेनियल्स के सर्वेक्षण में आधे से ज्यादा (59.1%) कोविड-19 से जुड़ी फर्जी खबरों के बारे में जागरूक हैं और उन्हें पहचान सकते हैं. हालांकि, ज्यादातर इसको काउंटर नहीं करते और 35.1% इसकी अनदेखी कर देते हैं.

24.4% सामग्री को रिपोर्ट करते हैं और 19.3% उस पर टिप्पणी करते हैं. इसे साझा करने वाले खाते को केवल 8.7% अनफॉलो करते हैं. 40.8% कहते हैं कि वे हमेशा यह सुनिश्चित करते हैं कि जो सामग्री वह सोशल मीडिया पर पोस्ट करने जा रहे हैं वह सही है या नहीं.

36.6% का कहना है कि वे ऐसा 'ज्यादातर समय करते हैं.' बस एक तिहाई (37.5%) ने माना की उन्होंने सोशल मीडिया पर सामग्री साझा कर दी, जो उन्हें बाद में पता चला कि गलत थी. इनमें से, 87.1% कहते हैं कि उन्होंने बाद में सामग्री को ठीक किया या हटा दिया.

फर्जी खबरों पर प्रतिक्रिया

35.10%अनदेखा कर देते हैं
24.4रिपोर्ट कर देते हैं
19.30%कमेंट करते हैं
8.70%पोस्ट करने वाले को अनफॉलो कर देते हैं
7.10%शेयर कर देते हैं
5.50%नहीं पता

जेन जेड और मिलेनियल्स को कई चिंताएं

अक्सर यह कहा जाता है कि युवा चिंता मुक्त होते हैं. हालांकि शोध के डेटा के मुताबिक 90% से अधिक प्रतिभागियों को संक्रमण की चिंता सता रही थी.

खुद बीमार होने के अलावा उनकी (55.5%) चिंता का मुख्य विषय था कि कहीं उनके परिजन और मित्र न संक्रमित हो जाएं. इसके बाद गिरती अर्थव्यवस्था चिंता 53.8% का विषय थी.

ये आंकड़े स्वास्थ्य संगठनों, सरकारों, मीडिया, व्यवसायों की मदद कर सकती हैं. वह अपनी सेवाओं को बेहतर बना सकते हैं और युवाओं के लिए प्रासंगिक नितियां बना सकते हैं.

महामारी के दौरान चिंता के मुख्य कारण

परिजनों और मित्रों के संक्रमित होने का खतरा55.50%
गिरती अर्थव्यवस्था53.80%
रोजगार अनिश्चितता39.80%
आर्थिक तंगी39.70%
परिजनों से न मिल पाना38.20%
जीवनशैली में महत्वपूर्ण बदलाव33.70%
मानसिक स्वास्थ्य33.40%
स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच नहीं होना31.10%
शिक्षा तक पहुंच27.00%
सामाजिक समुदाय के साथ संपर्क खोना22.50%
भोजन19.70%
राजनीतिक तनाव18.70%
भेदभाव11.70%
निवास को लेकर अनिश्चितता9.30%
मैं कोविड-19 संकट के व्यापक प्रभावों से चिंतित नहीं हूं3.20%
अन्य1.30%

कोविड-19 के बारे में कहां से आती है जानकारी

यह पूछे जाने पर कि वे कोविड-19 समाचार और सूचना के लिए किसको प्राथमिकता देता हैं, कुल मिलाकर 43.6% उत्तरदाताओं ने कहा: राष्ट्रीय समाचार पत्र, टीवी और रेडियो; 36.2% का कहना है कि वे साइटों पर खोजते हैं और 35.2% अंतरराष्ट्रीय समाचार मीडिया को चुनते हैं.

पारंपरिक मीडिया द्वारा सामाजिक मीडिया सामग्री को 34.2% और विश्व स्वास्थ्य संगठन के सोशल मीडिया को 31.5% प्राथमिकता मिलती है. इसके अलावा स्वास्थ्य और विज्ञान विशेषज्ञ (28.8%) और सरकारी स्रोत (28.3%) भी शामिल हैं.

भारत, मैक्सिको और नाइजीरिया में, विश्व स्वास्थ्य संगठन का सोशल मीडिया चैनल कोविड-19 समाचार और सूचना के लिए सबसे लोकप्रिय स्रोत है. जबकि मिस्र, इंडोनेशिया, रूस और दक्षिण कोरिया में, यह प्लेटफॉर्म पहली पसंद हैं.

व्यक्तिगत सहभागिता (22.4%) कम है, जिसमें कोविड-19 की जानकारी परिवार से 19.8% दोस्तों से और 16.1% उनके दोस्तों के सोशल मीडिया सामग्री के माध्यम से मिलती है.

कोविड-19 समाचार और सूचना के स्रोत

राष्ट्रीय समाचार पत्र, टेलीविजन और रेडियो43.60%
सक्रिय रूप से सर्च करना36.20%
अंतर्राष्ट्रीय समाचार पत्र, टेलीविजन और रेडियो35.20%
पारंपरिक मीडिया द्वारा सामाजिक मीडिया सामग्री34.20%
विश्व स्वास्थ्य संगठन की सोशल मीडिया सामग्री31.50%
विज्ञान और स्वास्थ्य विशेषज्ञों की सोशल मीडिया सामग्री28.80%
सरकार की सोशल मीडिया सामग्री28.30%
परिवार22.40%
दोस्त19.80%
दोस्तों की सोशल मीडिया सामग्री16.10%
परिवार की सोशल मीडिया सामग्री12.80%
सह कार्यकर्ता12.50%
मशहूर हस्तियों की सोशल मीडिया सामग्री11.60%
वैकल्पिक आंदोलन के नेताओं की सोशल मीडिया सामग्री10.30%
शिक्षक1.00%
अज्ञात सूत्र9.40%
धार्मिक नेता4.30%
अन्य1.30%
सामान्य रूप से सोशल मीडिया0.90%
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