वाराणसी: सिगरेट व अन्य तंबाकू उत्पादों का सेवन मनुष्यों के लिए हानिकारक है. इससे आमजन-जीवन बुरी तरह प्रभावित हो जाता है. इसके दुष्परिणामों के बारे में लोगों को जागरूक करने और इस आदत से छुटकारा दिलाने में उनकी मदद करने के उद्देश्य से हर साल नौ मार्च को 'धूम्रपान निषेध दिवस' मनाया जाता है. देश के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भी लोगों को नशे की लत से छुटकारा दिलाने के लिए वृहद स्वास्थ्य अभियान चलाया जा रहा है, जिसका परिणाम यह है कि अब तक जनपद में 20 हजार से ज्यादा लोगों की काउंसलिंग की गई है. वहीं करीब 200 लोगों ने तंबाकू का सेवन करना छोड़ा है.
इस वर्ष की थीम है 'क्विट योर वे' यानी 'अपना रास्ता छोड़ो'
बता दें कि हर साल मार्च के दूसरे बुधवार को मनाए जाने वाले धूम्रपान निषेध दिवस की अपनी एक थीम होती है. इस वर्ष की थीम 'क्विट योर वे' यानी 'अपना रास्ता छोड़ो' रखी गई है. यह दिवस एक जागरूकता अभियान की तरह है, जो धूम्रपान करने वालों को सिगरेट व अन्य किसी तरह के तंबाकू सेवन को छोड़ने के लिए प्रोत्साहित करता है.
युवा हो रहे सबसे ज्यादा शिकार, कैंसर का बढ़ रहा खतरा
इस बाबत वाराणसी सीएमओ डॉ. संदीप चौधरी ने बताया कि धूम्रपान या चबाने वाला तंबाकू सबसे बुरी आदतों में से एक है. किसी भी व्यक्ति के लिए भी इसे अपनाना आसान है, लेकिन इससे उतना ही ज्यादा स्वास्थ्य का जोखिम है. 12 से 17 वर्ष के युवाओं में धूम्रपान करने की आदतें बढ़ती जा रही हैं. इन युवाओं पर एक-दूसरे को देखकर एवं अन्य प्रचार माध्यमों का गहरा प्रभाव पड़ता है. इससे हृदय रोग, ब्रोंकाइटिस, निमोनिया, स्ट्रोक, मधुमेह और कैंसर जैसी कई समस्याएं पैदा होती हैं. इन स्वास्थ्य समस्याओं के प्रति युवा वर्ग को जागरूक करना बेहद जरूरी है जिससे वह इन आदतों का शिकार न बनें और स्वस्थ व खुशहाल समाज का निर्माण कर सकें.
आस पास के लोग भी इसके धुंए से होते हैं प्रभावित
राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम के जिला परामर्शदाता डॉ. सौरभ सिंह ने बताया की तंबाकू और बीड़ी-सिगरेट का सेवन स्वास्थ्य के लिए बहुत ही नुकसानदायक है. तंबाकू के इस्तमाल से रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है जिसके साथ यह फेफड़ों को भी नुकसान पहुंचाता है. बीड़ी-सिगरेट पीने या अन्य किसी भी रूप में तंबाकू का सेवन करने वालों को कई तरह के कैंसर और अन्य गंभीर बीमारियों की चपेट में आने की पूरी संभावना रहती है. इसमें मुंह व गले का कैंसर प्रमुख हैं. यही नहीं धूम्रपान करने वालों के फेफड़ों तक तो करीब 30 फीसद ही धुँआ पहुँचता है बाकी बाहर निकलने वाला करीब 70 फीसद धुँआ उन लोगों को प्रभावित करता है जो कि धूम्रपान करने वालों के आस-पास रहते हैं.
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एक नजर जनपद की पांच वर्ष की उपलब्धियों पर
डॉ. सौरभ सिंह ने बताया कि राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम के तहत जिले में वर्ष 2017-18 से अबतक कई जन जागरूकता कार्यक्रम, हेल्थ कैंप आयोजित किए गए तथा तंबाकू छोड़ने के लिए लोगों की काउंसलिंग भी की गई.
- पिछले पांच वर्षों में लगभग 20,346 लोगों की काउंसलिंग की गयी.
- विभाग के निरंतर प्रयास से पिछले पाँच वर्षों में जिले में कुल 165 लोगों ने तंबाकू छोड़ी.
- कुल 403 विद्यालयों में जन जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए गए और उन्हें तंबाकू मुक्त परिसर भी घोषित किया गया.
- लगभग 320 तंबाकू सेवन करने वालों के साथ समुदाय में जन जागरूकता कार्यक्रम किए गए.
- येलो लाइन कैंपेन के जरिये जिले के लगभग 357 सरकारी कार्यालयों, विद्यालयों को तंबाकू मुक्त परिसर घोषित किया गया.
- जिले में कई इलाकों में कुल 120 हेल्थ कैंप लगाए गए जिसमें जनमानस को धूम्रपान के दुष्प्रभावों और उससे बचने के उपाय के बारे में बताया गया.
- इसके साथ ही समय-समय पर घाटों पर लोगों के बीच 182 जागरूकता कार्यक्रम किए गए.
- इसके साथ ही कार्यक्रम के तहत समय-समय पर रैली, गोष्ठी और हस्ताक्षर अभियान चलाकर भी लोगों को जागरूक किया गया.