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SC की सख्ती के बावजूद दिल्ली की 48,000 झुग्गियां रेलवे के लिए बाधा

राजधानी दिल्ली में रेल पटरियों के किनारे बनी लगभग 48 हजार झुग्गिया रेल परिचालन में बाधा बनी हुई है, जिसके मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट ने तय समय सीमा तक इन्हें हटाने का आदेश दिया था, जिसके बाद भी यह परेशानी अब तक जारी है. कोर्ट के सख्त रवैये के बाद भी नहीं दूर हुई परेशानी,

SC की सख्ती
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Published : Sep 14, 2021, 5:39 PM IST

नई दिल्ली : राजधानी दिल्ली में रेल पटरियों के किनारे बनी झुग्गी झोपड़ियां सालों से रेल परिचालन को प्रभावित करती आईं हैं. हाल ही में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सख्त रवैया अपनाते हुए झुग्गी झोपड़ियों को एक तय समय सीमा में हटाने के आदेश दिए थे. सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय किया गया समय भी अब बीत गया है, लेकिन ये समस्या आज भी रेल परिचालक के लिए रोड़ा है.

मौजूदा समय में मामले पर आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय (Ministry of Housing and Urban Affairs) और दिल्ली सरकार (Delhi Government) के बीच बातचीत चल रही है. सुप्रीम कोर्ट में भी इसकी सुनवाई लगातार जारी है. रेलवे का पक्ष मजबूत रखने के लिए उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक ने हाल ही में रेल भूमि से संबंधित सभी कागजातों के डिजिटलीकरण का निर्देश दिया है. अधिकारियों का मानना है कि ऐसा करने से रेलवे को लाभ मिलेगा.

जानकारी के मुताबिक, दिल्ली में रेलवे की करीब पांच लाख 98 हजार 798 वर्ग मीटर जमीन पर अवैध झुग्गियां और अन्य तरीके के कब्जे हैं. कई लोकल स्टेशनों पर तो स्टेशन परिसर के भीतर तक झुग्गियां बनी हुईं हैं. दिल्ली का दयाबस्ती रेलवे स्टेशन तो इन झुग्गियों के लिए मशहूर है. सालों से रेलवे इन झुग्गियों से पीछा छुड़ाना चाह रही है, लेकिन सफलता नहीं मिली.

पढ़ें : अगर ट्रेन के देरी से पहुंचने का कारण स्पष्ट नहीं तो रेलवे देगा मुआवजा

एक अनुमान के मुताबिक दिल्ली में रेलवे की जमीन पर कुल 48000 झुग्गियां बसी हैं. इसमें सबसे अधिक झुग्गियां उत्तरी जिले में है, जिनकी संख्या करीब 13000 है. सेंट्रल जिले में यह 10887, पश्चिमी जिले में 4450, पूर्वी जिले में 5575, और दक्षिण पूर्वी जिले में 4910 हैं. इतना ही नहीं, करीब 24000 झुग्गियां रेलवे के सेफ्टी जोन के भीतर हैं, यानी रेल पटरिओं के 15 मीटर के दायरे में है.

दिल्ली के सुखदेव नगर, जखीरा, मायापुरी, तिलक ब्रिज, शकूरबस्ती, शाहदरा, और दयाबस्ती ऐसे कुछ प्रमुख स्टेशन हैं जहां झुग्गियां हैं. इन स्टेशनों पर आए दिन होने वाली लूटपाट, छीनाझपटी और ऐसी अन्य गैर सामाजिक घटनाओं के लिए झुग्गियों में रहने वाले कुछ लोगों को जिम्मेदार माना जाता है. रेलवे प्रोटेक्शन फ़ोर्स के कर्मचारियों के साथ भी कई बार ऐसी वारदातें हुईं हैं. हालांकि फिलहाल रेलवे के पास इसका कोई समाधान नहीं है.

नई दिल्ली : राजधानी दिल्ली में रेल पटरियों के किनारे बनी झुग्गी झोपड़ियां सालों से रेल परिचालन को प्रभावित करती आईं हैं. हाल ही में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सख्त रवैया अपनाते हुए झुग्गी झोपड़ियों को एक तय समय सीमा में हटाने के आदेश दिए थे. सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय किया गया समय भी अब बीत गया है, लेकिन ये समस्या आज भी रेल परिचालक के लिए रोड़ा है.

मौजूदा समय में मामले पर आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय (Ministry of Housing and Urban Affairs) और दिल्ली सरकार (Delhi Government) के बीच बातचीत चल रही है. सुप्रीम कोर्ट में भी इसकी सुनवाई लगातार जारी है. रेलवे का पक्ष मजबूत रखने के लिए उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक ने हाल ही में रेल भूमि से संबंधित सभी कागजातों के डिजिटलीकरण का निर्देश दिया है. अधिकारियों का मानना है कि ऐसा करने से रेलवे को लाभ मिलेगा.

जानकारी के मुताबिक, दिल्ली में रेलवे की करीब पांच लाख 98 हजार 798 वर्ग मीटर जमीन पर अवैध झुग्गियां और अन्य तरीके के कब्जे हैं. कई लोकल स्टेशनों पर तो स्टेशन परिसर के भीतर तक झुग्गियां बनी हुईं हैं. दिल्ली का दयाबस्ती रेलवे स्टेशन तो इन झुग्गियों के लिए मशहूर है. सालों से रेलवे इन झुग्गियों से पीछा छुड़ाना चाह रही है, लेकिन सफलता नहीं मिली.

पढ़ें : अगर ट्रेन के देरी से पहुंचने का कारण स्पष्ट नहीं तो रेलवे देगा मुआवजा

एक अनुमान के मुताबिक दिल्ली में रेलवे की जमीन पर कुल 48000 झुग्गियां बसी हैं. इसमें सबसे अधिक झुग्गियां उत्तरी जिले में है, जिनकी संख्या करीब 13000 है. सेंट्रल जिले में यह 10887, पश्चिमी जिले में 4450, पूर्वी जिले में 5575, और दक्षिण पूर्वी जिले में 4910 हैं. इतना ही नहीं, करीब 24000 झुग्गियां रेलवे के सेफ्टी जोन के भीतर हैं, यानी रेल पटरिओं के 15 मीटर के दायरे में है.

दिल्ली के सुखदेव नगर, जखीरा, मायापुरी, तिलक ब्रिज, शकूरबस्ती, शाहदरा, और दयाबस्ती ऐसे कुछ प्रमुख स्टेशन हैं जहां झुग्गियां हैं. इन स्टेशनों पर आए दिन होने वाली लूटपाट, छीनाझपटी और ऐसी अन्य गैर सामाजिक घटनाओं के लिए झुग्गियों में रहने वाले कुछ लोगों को जिम्मेदार माना जाता है. रेलवे प्रोटेक्शन फ़ोर्स के कर्मचारियों के साथ भी कई बार ऐसी वारदातें हुईं हैं. हालांकि फिलहाल रेलवे के पास इसका कोई समाधान नहीं है.

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