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Budget 2022: SKM ने बताया किसान विरोधी बजट, MSP के लिए 'बड़े संघर्ष' का आह्वान

संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए पेश किए गए आम बजट को किसान विरोधी बताया और इसकी निंदा करता है. साथ ही एसकेएम ने देश के किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य और अन्य ज्वलंत मुद्दों के लिए एक और बड़े संघर्ष के लिए तैयार रहने का आह्वान करता है.

Budget 2022 SKM
संयुक्त किसान मोर्चा
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Published : Feb 2, 2022, 12:49 AM IST

नई दिल्ली : संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने मंगलवार को आरोप लगाया कि 2022-23 के केंद्रीय बजट ने दिखा दिया है कि सरकार को किसानों के कल्याण की कोई परवाह नहीं है. संगठन ने किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) और अन्य मुद्दों को लेकर एक और 'बड़े संघर्ष' के लिए तैयार रहने का आह्वान किया. निरस्त किए जा चुके केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व करने वाले एसकेएम ने दावा किया कि कृषि और संबद्ध गतिविधियों की बजटीय हिस्सेदारी पिछली बार के 4.3 प्रतिशत से घटकर 3.8 प्रतिशत रह गई है.

संगठन ने दावा किया कि सरकार किसानों को विवादास्पद कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर एक साल तक चले उनके आंदोलन की कामयाबी की सजा देना चाहती है, जिसके चलते उसे संसद में इन कानूनों को वापस लेना पड़ा था. एसकेएम ने एक बयान में कहा, 'कुल मिलाकर, इस बजट ने दिखाया है कि सरकार अपने मंत्रालय के नाम में 'किसान कल्याण' का जुमला जोड़ने के बावजूद किसानों के कल्याण की परवाह नहीं करती. तीन किसान विरोधी कानूनों पर अपनी हार से बौखलाकर सरकार किसान समुदाय से बदला लेना चाहती है.'

यह भी पढ़ें- आम लोगों को निराश करने वाला बजट, करेंगे विरोध : सीताराम येचुरी

बयान में कहा गया है, 'एसकेएम इस किसान विरोधी बजट की निंदा करता है और देश के किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य और अन्य ज्वलंत मुद्दों के लिए एक और बड़े संघर्ष के लिए तैयार रहने का आह्वान करता है.'

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने मंगलवार को आरोप लगाया कि 2022-23 के केंद्रीय बजट ने दिखा दिया है कि सरकार को किसानों के कल्याण की कोई परवाह नहीं है. संगठन ने किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) और अन्य मुद्दों को लेकर एक और 'बड़े संघर्ष' के लिए तैयार रहने का आह्वान किया. निरस्त किए जा चुके केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व करने वाले एसकेएम ने दावा किया कि कृषि और संबद्ध गतिविधियों की बजटीय हिस्सेदारी पिछली बार के 4.3 प्रतिशत से घटकर 3.8 प्रतिशत रह गई है.

संगठन ने दावा किया कि सरकार किसानों को विवादास्पद कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर एक साल तक चले उनके आंदोलन की कामयाबी की सजा देना चाहती है, जिसके चलते उसे संसद में इन कानूनों को वापस लेना पड़ा था. एसकेएम ने एक बयान में कहा, 'कुल मिलाकर, इस बजट ने दिखाया है कि सरकार अपने मंत्रालय के नाम में 'किसान कल्याण' का जुमला जोड़ने के बावजूद किसानों के कल्याण की परवाह नहीं करती. तीन किसान विरोधी कानूनों पर अपनी हार से बौखलाकर सरकार किसान समुदाय से बदला लेना चाहती है.'

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बयान में कहा गया है, 'एसकेएम इस किसान विरोधी बजट की निंदा करता है और देश के किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य और अन्य ज्वलंत मुद्दों के लिए एक और बड़े संघर्ष के लिए तैयार रहने का आह्वान करता है.'

(पीटीआई-भाषा)

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