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SKM ने किसानों से की अपील, 26 नवंबर को आंदोलन की पहली वर्षगांठ पर दिखाएं ताकत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा तीन विवादास्पद कृषि कानूनों (Three controversial agricultural laws) को निरस्त किए जाने की घोषणा के एक दिन बाद शनिवार को संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने कहा कि उसके पहले से निर्धारित कार्यक्रम जारी रहेंगे.

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Published : Nov 20, 2021, 7:48 PM IST

नई दिल्ली : पीएम की घोषणा के बाद भी संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने कहा कि उसके पहले से निर्धारित कार्यक्रम जारी (schedule continues) रहेंगे. इसके साथ ही मोर्चा ने किसानों से कृषि कानून के खिलाफ आंदोलन की पहली वर्षगांठ (The first anniversary of the movement against the agricultural law) पर 26 नवंबर को सभी प्रदर्शन स्थलों पर बड़ी संख्या में एकत्र होने का आग्रह किया है.

संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रधानमंत्री के फैसले का स्वागत (welcome the decision of the prime minister) किया है लेकिन साथ ही कहा है कि वह संसदीय प्रक्रियाओं के जरिए घोषणा के प्रभावी होने की प्रतीक्षा करेगा. चालीस किसान संघों के प्रमुख संगठन (Major organizations of forty farmers' unions) एसकेएम ने एक बयान में कहा कि प्रदर्शनकारी किसानों की सभी मांगों को पूरा कराने के लिए संघर्ष जारी रहेगा तथा सभी घोषित कार्यक्रम जारी हैं.

बयान में कहा गया है कि मोर्चा विभिन्न उत्तर भारतीय राज्यों के किसानों से 26 नवंबर 2021 को विभिन्न प्रदर्शन स्थलों पर पहुंचने की अपील करता है. उस दिन दिल्ली की सीमाओं पर लगातार शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन का एक साल पूरा हो रहा है.

राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर हजारों किसान, खासकर पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के, तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग के साथ पिछले साल 26 नवंबर से प्रदर्शन कर रहे हैं.

किसान नेताओं ने कहा कि रविवार को सिंघू बॉर्डर धरना स्थल पर मोर्चा की बैठक में आंदोलन के भविष्य और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के मुद्दे पर अंतिम फैसला किया जाएगा. किसान संगठन ने कहा कि आंदोलन की पहली वर्षगांठ (The first anniversary of the movement) पर दूसरे राज्यों में ट्रैक्टर और बैलगाड़ियों की परेड (Tractor and bullock cart parade) आयोजित की जाएगी.

मोर्चा ने बयान में कहा कि दिल्ली से दूर विभिन्न राज्यों में 26 नवंबर को एक साल पूरा होने पर राजधानियों में ट्रैक्टर और बैलगाड़ी परेड के साथ-साथ अन्य प्रदर्शन किए जाएंगे. बयान में कहा गया है कि प्रधानमंत्री ने तीन काले कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की लेकिन वह किसानों की अन्य लंबित मांगों पर चुप रहे.

मोर्चा ने कहा कि किसान आंदोलन में अब तक 670 से अधिक किसान शहीद हुए और भारत सरकार ने उनके बलिदान को स्वीकार तक नहीं किया. इन शहीदों के परिवारों को मुआवजे और रोजगार के अवसरों के साथ समर्थन दिया जाना चाहिए. ये शहीद संसद सत्र में श्रद्धांजलि के हकदार हैं और उनके नाम पर एक स्मारक बनाया जाना चाहिए.

बयान में कहा गया है कि हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, चंडीगढ़, मध्य प्रदेश और अन्य जगहों पर हजारों किसानों को फंसाने के लिए दर्ज मामले बिना शर्त वापस लिए जाने चाहिए. इसमें यह भी कहा गया है कि 29 नवंबर से शुरू हो रहे संसद सत्र के दौरान प्रतिदिन 500 प्रदर्शनकारी ट्रैक्टर ट्रॉलियों से संसद तक शांतिपूर्ण मार्च करेंगे.

यह भी पढ़ें- संयुक्त किसान मोर्चा कोर कमेटी की बैठक में हुआ फैसला, '29 नवंबर को संसद कूच होगा'

मोर्चा ने यह भी संकेत दिया कि एमएसपी की वैधानिक गारंटी (Statutory Guarantee of MSP) और बिजली संशोधन विधेयक (electricity amendment bill) वापस लिए जाने की मांग के लिए आंदोलन जारी रहेगा. मोर्चा ने किसानों से 22 नवंबर को लखनऊ किसान महापंचायत (Lucknow Kisan Mahapanchayat) में बड़ी संख्या में शामिल होने की भी अपील की है.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : पीएम की घोषणा के बाद भी संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने कहा कि उसके पहले से निर्धारित कार्यक्रम जारी (schedule continues) रहेंगे. इसके साथ ही मोर्चा ने किसानों से कृषि कानून के खिलाफ आंदोलन की पहली वर्षगांठ (The first anniversary of the movement against the agricultural law) पर 26 नवंबर को सभी प्रदर्शन स्थलों पर बड़ी संख्या में एकत्र होने का आग्रह किया है.

संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रधानमंत्री के फैसले का स्वागत (welcome the decision of the prime minister) किया है लेकिन साथ ही कहा है कि वह संसदीय प्रक्रियाओं के जरिए घोषणा के प्रभावी होने की प्रतीक्षा करेगा. चालीस किसान संघों के प्रमुख संगठन (Major organizations of forty farmers' unions) एसकेएम ने एक बयान में कहा कि प्रदर्शनकारी किसानों की सभी मांगों को पूरा कराने के लिए संघर्ष जारी रहेगा तथा सभी घोषित कार्यक्रम जारी हैं.

बयान में कहा गया है कि मोर्चा विभिन्न उत्तर भारतीय राज्यों के किसानों से 26 नवंबर 2021 को विभिन्न प्रदर्शन स्थलों पर पहुंचने की अपील करता है. उस दिन दिल्ली की सीमाओं पर लगातार शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन का एक साल पूरा हो रहा है.

राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर हजारों किसान, खासकर पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के, तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग के साथ पिछले साल 26 नवंबर से प्रदर्शन कर रहे हैं.

किसान नेताओं ने कहा कि रविवार को सिंघू बॉर्डर धरना स्थल पर मोर्चा की बैठक में आंदोलन के भविष्य और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के मुद्दे पर अंतिम फैसला किया जाएगा. किसान संगठन ने कहा कि आंदोलन की पहली वर्षगांठ (The first anniversary of the movement) पर दूसरे राज्यों में ट्रैक्टर और बैलगाड़ियों की परेड (Tractor and bullock cart parade) आयोजित की जाएगी.

मोर्चा ने बयान में कहा कि दिल्ली से दूर विभिन्न राज्यों में 26 नवंबर को एक साल पूरा होने पर राजधानियों में ट्रैक्टर और बैलगाड़ी परेड के साथ-साथ अन्य प्रदर्शन किए जाएंगे. बयान में कहा गया है कि प्रधानमंत्री ने तीन काले कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की लेकिन वह किसानों की अन्य लंबित मांगों पर चुप रहे.

मोर्चा ने कहा कि किसान आंदोलन में अब तक 670 से अधिक किसान शहीद हुए और भारत सरकार ने उनके बलिदान को स्वीकार तक नहीं किया. इन शहीदों के परिवारों को मुआवजे और रोजगार के अवसरों के साथ समर्थन दिया जाना चाहिए. ये शहीद संसद सत्र में श्रद्धांजलि के हकदार हैं और उनके नाम पर एक स्मारक बनाया जाना चाहिए.

बयान में कहा गया है कि हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, चंडीगढ़, मध्य प्रदेश और अन्य जगहों पर हजारों किसानों को फंसाने के लिए दर्ज मामले बिना शर्त वापस लिए जाने चाहिए. इसमें यह भी कहा गया है कि 29 नवंबर से शुरू हो रहे संसद सत्र के दौरान प्रतिदिन 500 प्रदर्शनकारी ट्रैक्टर ट्रॉलियों से संसद तक शांतिपूर्ण मार्च करेंगे.

यह भी पढ़ें- संयुक्त किसान मोर्चा कोर कमेटी की बैठक में हुआ फैसला, '29 नवंबर को संसद कूच होगा'

मोर्चा ने यह भी संकेत दिया कि एमएसपी की वैधानिक गारंटी (Statutory Guarantee of MSP) और बिजली संशोधन विधेयक (electricity amendment bill) वापस लिए जाने की मांग के लिए आंदोलन जारी रहेगा. मोर्चा ने किसानों से 22 नवंबर को लखनऊ किसान महापंचायत (Lucknow Kisan Mahapanchayat) में बड़ी संख्या में शामिल होने की भी अपील की है.

(पीटीआई-भाषा)

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