नई दिल्ली: सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे के लद्दाख दौरे के बाद सुरक्षा स्थिति को लेकर बड़ा कदम उठाया गया है. पूर्वोत्तर सीमा पर भारतीय सेना की छह डिवीजनों को स्थानांतरित कर दिया गया है, जो पहले आतंकवाद विरोधी अभियानों तथा पाकिस्तान के मोर्चे की देखभाल करने के लिए लद्दाख में तैनात थीं. बता दें, एक डिवीजन में लगभग 18 हजार जवान होते हैं. चीनी सीमा पर बढ़ते खतरे को देखते हुए वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर सुरक्षा स्थिति की समीक्षा के बाद यह कदम उठाया गया है.
बता दें, चीन के साथ भारत का सैन्य गतिरोध दो साल से अधिक समय से चला आ रहा है. चीन के सैनिकों के द्वारा मई 2020 में लद्दाख की गलवान घाटी में भारतीय चौकियों के खिलाफ बड़ी संख्या में सैनिकों को स्थानांतरित कर यथास्थिति को एकतरफा तरीके से बदलने की कोशिश की थी. इसके बाद से ही भारतीय सेना अपने बलों का पुनर्गठन कर रही है.
सूत्रों के मुताबिक इतना ही नहीं पिछले दो वर्षों में सेना की दो डिवीजन यानी लगभग 35,000 सैनिकों को आतंकवाद विरोधी भूमिकाओं से चीन की सीमा पर तैनात किया गया है. इसके अलावा राष्ट्रीय राइफल्स से एक डिवीजन को जम्मू-कश्मीर से आतंकवाद विरोधी भूमिकाओं से हटा दिया गया था और अब इसे भी पूर्वी लद्दाख सेक्टर में तैनात किया गया है. इसी तरह तेजपुर स्थित गजराज कोर के तहत असम स्थित एक डिवीजन को राज्य से अपनी उग्रवाद विरोधी भूमिका से हटा दिया गया है. अब इसका काम पूर्वोत्तर में चीन की सीमा की निगरानी करना है. वहीं सेना के दस्ते की कटौती के साथ असम में आतंकवाद विरोधी अभियानों में अब कोई सेना इकाई शामिल नहीं है.
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इतना ही नहीं इसके अलावा 17 माउंटेन स्ट्राइक कॉर्प्स जो पहले लद्दाख सेक्टर में काम करती थीं. अब केवल पूर्वोत्तर तक सीमित है. उन्हें झारखंड से बाहर एक और डिवीजन दिया गया है. डिवीजन को पहले पश्चिमी मोर्चे पर हवाई हमले के संचालन का काम सौंपा गया था. वहीं, उत्तर प्रदेश स्थित दो सेना की डिवीजनों को भी अब लद्दाख थिएटर के लिए उत्तरी कमान को सौंपा गया है. सूत्रों के मुताबिक दोनों कमान को पहले युद्ध की स्थिति में पश्चिमी मोर्चे पर लड़ने का काम सौंपा गया था. इसी तरह उत्तराखंड स्थित एक स्ट्राइक कोर के डिवीजन को पूरे सेंट्रल सेक्टर की देखभाल के लिए सेंट्रल कमांड को फिर से सौंपा गया है, जहां चीनी सेना कई मौकों पर सीमा का उल्लंघन का प्रयास कर रहे हैं.
(एजेंसी)