श्रीनगर : नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने कहा कि कश्मीर में मौजूदा स्थिति सामान्य से बहुत दूर है. प्रशासन द्वारा किए गए सुरक्षा उपाय खुद सामान्य स्थिति और स्थिति में सुधार के दावों का खंडन कर रहे हैं. उमर ने नेकां मुख्यालय नवा-ए-सुभ में एक संवाददाता सम्मेलन में संवाददाताओं से कहा, 'एक तरफ सरकार का दावा है कि स्थिति सामान्य है तो ऐतिहासिक जामिया मस्जिद में जुमा-उल-विदा और शब-ए-क़द्र की नमाज़ को क्यों रोक दिया गया है. जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने श्रीनगर में जामिया मस्जिद के प्रबंधन से जुमे-उल-विदा और शब-ए-क़द्र की नमाज़ नहीं पढ़ने को कहा है. उन्होंने कहा कि पर्यटकों के आगमन को सामान्य स्थिति से जोड़ने से काम नहीं चलेगा. यह एक कृत्रिम सामान्य स्थिति है जिसे सरकार दिखाने की कोशिश कर रही है. तथ्य यह है कि स्थिति सामान्य से बहुत दूर है. सरकार अपने शब्दों से नहीं बल्कि अपनी कार्रवाई से साबित कर रही है कि स्थिति सामान्य से बहुत दूर है.
बिजली कटौती पर साधा निशाना : केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर अभूतपूर्व बिजली कटौती से गुजर रहा है. इस पर नेशनल कॉन्फ्रेंस ने कहा कि यह या तो प्रशासन द्वारा जानबूझकर किया जा रहा है या एलजी प्रशासन की अक्षमता को दर्शाता है. उमर ने कहा, 'सेहरी और इफ्तार के समय बिजली कटौती या तो सरकार द्वारा जानबूझकर किया गया प्रयास है या उसकी अक्षमता है और यह सरकार ही बता सकती है कि यह क्या है.उन्होंने कहा कि पिछली सरकारें रमजान माह के दौरान बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करती थीं, लेकिन वर्तमान प्रशासन ऐसा करने में विफल रहा है.
'मुसलमानों को बनाया जा रहा निशाना' : अब्दुल्ला ने कहा कि अप्रैल के दौरान हमारी अपनी बिजली परियोजनाओं से उत्पादन अपने चरम पर होता है लेकिन फिर भी हमारे पास सेहरी और इफ्तार के समय बिजली नहीं होती है. हमें नहीं पता कि सरकार को बिजली की व्यवस्था कहां से करनी है, लेकिन रमजान के पवित्र महीने को देखते हुए बिजली कटौती तत्काल बंद होनी चाहिए. देश में हिंसक घटनाओं पर टिप्पणी करते हुए, उमर ने कहा कि इस देश में राजनीतिक लाभ के लिए और धर्म के खिलाफ नफरत पैदा करने के लिए केवल मुसलमानों को निशाना बनाया जा रहा है.
सोनिया-महबूबा की मुलाकात पर ये कहा : उमर ने यह भी सुझाव दिया कि पीपुल्स अलायंस फॉर गुपकर डिक्लेरेशन (पीएजीडी) को जम्मू-कश्मीर में संयुक्त रूप से विधानसभा चुनाव लड़ना चाहिए ताकि 'अगस्त 2019 में शुरू हुए हमले' को रोका जा सके. उन्होंने कहा कि 'अगस्त 2019 से शुरू हुए हमले को रोकने के लिए भाजपा के खिलाफ चुनावों में एकजुट चेहरा रखना महत्वपूर्ण है.उन्होंने कहा यह (एक साथ चुनाव लड़ना) मेरी निजी राय है. मैं पीएजीडी का पदाधिकारी नहीं हूं; मैं तय नहीं करता कि पीएजीडी क्या करेंगे.' पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के बीच बैठक के बारे में उमर ने कहा कि हर चीज को पीएजीडी के चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए. उन्होंने कहा, 'मुझे यकीन है कि महबूबा मुफ्ती और सोनिया गांधी के बीच बैठक फलदायी रही, लेकिन इसे पीएजीडी के चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए.'
एक राष्ट्रीय भाषा या धर्म अपनाने के लिहाज से भारत बेहद विविध : पत्रकारों से बात करते हुए, पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य के मुख्यमंत्री रहे अब्दुल्ला ने कहा कि यह पहचानना और सम्मान करना महत्वपूर्ण है कि भारत एक भाषा, एक संस्कृति या एक धर्म से कहीं अधिक है. इस मुद्दे को लेकर हाल में उठे विवाद पर एक सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा, 'एक भाषा रखने के लिहाज से भारत बहुत विविधता वाला देश है. भारत का विचार यह है कि यहां सभी के लिए जगह है. जब आप एक भारतीय रुपये का नोट उठाते हैं, तो आप उस पर कितनी भाषाएं पाते हैं? नोट सभी भाषाओं को स्थान देता है और अगर भारतीय नोट सभी भाषाओं को जगह देता है, तो जाहिर तौर पर यह समझा जाता है कि हम सिर्फ एक भाषा, एक संस्कृति, एक धर्म से ज्यादा हैं.'
अब्दुल्ला ने कहा, 'हमें हर किसी को जगह देनी चाहिए. अगर हम जम्मू-कश्मीर में एक भाषा नहीं थोपते हैं, तो किसी को ऐसा क्यों करना चाहिए? लोगों को चुनने दें. एक राष्ट्रीय भाषा क्यों होनी चाहिए? मुझे नहीं लगता कि भारत जैसी जगह को राष्ट्रीय भाषा की जरूरत है. हमें राष्ट्रीय धर्म की जरूरत नहीं है. हमें हर किसी को जगह देने की जरूरत है.'
यह पूछे जाने पर कि क्या सांप्रदायिकता मुख्यधारा बन गई है और चुनाव अब केवल हिंदू-मुस्लिम मुद्दों पर लड़े जाते हैं, उन्होंने कहा कि यह कुछ नया नहीं है, 'लेकिन अब, वृद्धि हुई है.' उन्होंने कहा, 'इसे पहले की तरह मुख्यधारा में लाया गया है. यह सच है और यह दुर्भाग्यपूर्ण है.' यह पूछे जाने पर कि अब पूरे देश में स्थिति को देखते हुए, क्या उन्हें लगता है कि जम्मू-कश्मीर का भारत में विलय एक गलती थी, नेकां नेता ने नकारात्मक जवाब दिया. उन्होंने कहा, कोई भी भविष्यवाणी नहीं कर सकता था कि चीजें कैसे होंगी. विलय कोई गलती नहीं थी. मुझे विश्वास नहीं है कि भारत ने इस रास्ते को अपरिवर्तनीय रूप से अपनाया है. लेकिन यह चिंता का विषय है. हो भी क्यों नहीं? जब आप मस्जिदों के बाहर जुलूस निकालते हैं और वहां 'क्या मुल्क में रहना है तो जय श्री राम कहना है' के नारे हैं, आपको क्या लगता है लोग क्या महसूस करेंगे?
बुलडोजर को लेकर साधा निशाना : अब्दुल्ला ने कहा, 'माफ कीजिएगा, लेकिन जब मुसलमानों के घरों पर बुलडोजर चलाए जाते हैं और टेलीविजन चैनल के एंकर कहते हैं कि अब बुलडोजर की कमी हो जाएगी, हमें बुलडोजर आयात करना होगा, या भारत में बने बुलडोजर होंगे, आपको क्या लगता है हमें कैसा महसूस होता है?' अब्दुल्ला ने पूछा, 'जब टेलीविजन चैनल के एंकर बुलडोजर पर चढ़ते हैं और ड्राइवर से कहते हैं कि आपने केवल छत को नष्ट किया है और दीवारें अब भी खड़ी हैं, आप इसे भी नष्ट कर दें, आपको क्या लगता है कि लोग क्या महसूस करेंगे? कृपया समझें कि इससे जुड़ी भावनाएं हैं, हम समझते हैं कि राजनेता राजनीतिक उद्देश्यों के लिए चीजें करेंगे, लेकिन जिन लोगों से हम अपेक्षा करते हैं वे निष्पक्ष होंगे, जब वे इस तरह पक्षपात करते हैं, तो आप हमसे कैसा महसूस करने की उम्मीद करते हैं?'
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