भोपाल : प्रदेश में हनीट्रैप मामले (Honeytrap Case) की जांच की आग अब पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ तक पहुंच गई है. कमलनाथ ने कुछ दिन पहले अपने पास एक पेन ड्राइव होने का जिक्र किया था. इस बयान को गंभीरता से लेते हुए उन्हें नोटिस जारी किया गया है. मामले की जांच कर रही SIT ने उन्हें नोटिस भेजा है और 2 जून को उनसे पूछताछ की जाएगी.
जानकारी के मुताबिक, अधिकारी दो जून को कमलनाथ के घर जाएंगे और उनसे वहां पूछताछ करेंगे. साथ ही वह पेन ड्राइव भी लेंगे, जिसका जिक्र उन्होंने अपने बयान में किया था. बताया जा रहा है कि कमलनाथ से पूछताछ का आधार उनका बयान बनाया गया है, जो अखबारों और सोशल मीडिया पर छपे थे.
अधिकारियों के मुताबिक, दो जून की दोपहर को भोपाल के श्यामला हिल्स स्थित कमलनाथ के आवास पर उनसे पूछताछ होगी और उनका बयान दर्ज किया जाएगा. इसके साथ उनसे पेन ड्राइव लिया जाएगा, जिसका उन्होंने जिक्र किया था.
क्यों सुर्खियों में है हनीट्रैप
हाल ही में कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे उमंग सिंगार की गर्लफ्रैंड रही सोनिया भारद्वाज ने आत्महत्या कर लिया था. सोनिया ने अपने सुसाइड नोट में जिक्र किया है कि उमंग हर बात पर गुस्सा हो जाते थे, एडजेस्ट करने की काफी कोशिश की, लेकिन उन्होंने लाइफ में जगह नहीं दी. सुसाइड नोट को आधार बनाते हुए पुलिस ने कांग्रेस नेता उमंग सिंगार पर सोनिया को आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में एफआईआर दर्ज कर ली है. जिसके बाद प्रदेश की सियासत गर्मा गई. कांग्रेस विधायकों के साथ बैठक में कमलनाथ ने बीजेपी को मामले को दबाने का संदेश देते हुए कहा कि उनके पास हनीट्रैप मामले की ऑरिजनल सीडी है.
क्या है 'हनीट्रैप कांड'
- हनीट्रैप कांड का खुलासा 19 सितंबर 2019 को तब हुआ था जब इंदौर नगर निगम के तत्कालीन सिटी इंजीनियर हरभजन सिंह ने इंदौर में शिकायत की कि कुछ युवतियां उसे अश्लील वीडियो बनाकर ब्लैकमेल कर तीन करोड़ रुपये मांग रही हैं.
- इस पर पुलिस ने मामला दर्ज करते हुए पांच महिलाओं को गिरफ्तार किया, ये महिलाएं हाई प्रोफाइल लोगों के वीडियो बनाकर उन्हें ब्लैकमेल करती थीं.
- इस हनीट्रैप मामले में कई नौकरशाह राजनेता और पत्रकारों की भी संदिग्ध भूमिका सामने आई थी. मामले में पुलिस ने श्वेता स्वप्निल जैन, श्वेता जैन, बरखा सोनी सहित पांच महिलाओं को गिरफ्तार किया था.
- मामले ने तूल पकड़ा तो हनीट्रैप जांच के लिए एसआईटी गठित की गई.
- एसआईटी गठित करने के बाद तीन बार एसआईटी प्रमुख को बदला गया. एसआईटी में सबसे पहले श्रीनिवास वर्मा फिर संजीव सैनी को और फिर राजेंद्र कुमार को मुखिया बनाया गया.
- इसे लेकर हाई कोर्ट में याचिका दाखिल भी की गई थी. कोर्ट ने भी बार-बार एसआईटी प्रमुख बदलने पर नाराजगी व्यक्त की थी.
- जबलपुर हाई कोर्ट में याचिका दायर कर पूरे मामले की जांच सीबीआई को सौंपने की मांग की गई थी.
हालांकि, इसके बाद से इस मामले में कोई बड़ी कार्रवाई नहीं हुई. मध्य प्रदेश से कांग्रेस सरकार की विदाई के साथ ही यह मामला भी दब गया था, जो अब एक बार फिर तूल पकड़ता नजर आ रहा है.
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