बदायूं : रक्षाबंधन को भाई और बहन के बीच प्यार का पर्व माना जाता है. इस त्योहार पर बहन भाई के माथे पर अक्षत और चावल लगाकर कलाई पर राखी बांधकर अपनी रक्षा का वचन लेती है, लेकिन बदायूं में एक परिवार ऐसा भी है जहां पर इस बार रक्षाबंधन का त्योहार अनोखा है. क्योंकि यहां दो बहनों ने अपने भाई का जीवन बचाने के लिए अपना जीवन दांव पर लगा दिया और एक अनमोल तोहफा रक्षाबंधन से पहले अपने भाई और पूरे परिवार को दिया. जिस वजह से इस परिवार में रक्षाबंधन को लेकर एक अलग ही उल्लास है.
बदायूं के रहने वाले राजेश कुमार गुप्ता जो बिल्सी के जैन इंटर कॉलेज में प्रधानाचार्य पद पर कार्यरत हैं. इनके बेटे अक्षत वैश्य उर्फ कृष्णा जिनकी उम्र 14 साल है. वह 10वीं क्लास के विद्यार्थी हैं. अचानक एक दिन कृष्णा के पेट में थोड़ा सा दर्द उठा. जिसके बाद कृष्णा को शहर के ही एक प्राइवेट क्लीनिक पर दिखाया गया. जहां पर उसकी टेस्टिंग हुई. जिसके बाद डॉक्टर ने उन्हें बरेली ले जाने की सलाह दी.
लिवर ट्रांसप्लांट के सिवा कोई उपाय नहीं
बच्चे के दर्द से परेशान परिवार बरेली पहुंचा और वहां पर टेस्टिंग में कृष्णा के लिवर में इन्फेक्शन पाया गया. डॉक्टरों ने कृष्णा को हायर सेंटर भेजने की सलाह दी. जिससे परिजन खासा परेशान हो गए. आखिर में बच्चे को मेदांता हॉस्पिटल गुड़गांव ले जाया गया. जहां डॉक्टरों ने बच्चे का चेकअप करके बताया कि बच्चे का लिवर पूरी तरह खराब हो चुका है. लिवर ट्रांसप्लांट के सिवा कोई उपाय नहीं है. परिवार में अचानक आई विपदा को लेकर सभी लोग बहुत परेशान हो गए. तब कृष्णा की छोटी बहन प्रेरणा ने परिजनों की समस्या को देखते हुए कहा कि वह अपना लिवर भाई कृष्णा को डोनेट करेगी. जिसकी जानकारी डॉक्टरों को दी गई. वहीं, कृष्णा का उपचार लगातार चल रहा था.
इटली में पढ़ाई कर रही बहन भागी चली आई
इस दौरान कृष्णा का वजन कुछ ज्यादा ही बढ़ गया जिसपर डॉक्टर ने कहा कि कृष्णा को 2 डोनर की जरूरत पड़ेगी. यह जानकारी जब कृष्णा की बहन नेहा को हुई. जो इटली में अपनी पढ़ाई कर रही थी. वह तुरंत ही फ्लाइट पकड़कर इंडिया आ गई और उसने भी अपने भाई कृष्णा को लिवर डोनेट करने की बात कही. जिसके बाद कृष्णा के ऑपरेशन की तैयारी की गई. कृष्णा का ऑपरेशन लगभग 18 घंटे चला. जहां दोनों बहनें नेहा और प्रेरणा को भी 7 दिन अस्पताल में भर्ती रहना पड़ा. वहीं, कृष्णा 21 दिन बाद अस्पताल से बिल्कुल ठीक होकर निकले.
कृष्णा के पिताजी का कहना है कि उनकी बेटियों ने इस रक्षाबंधन पर ऐसा काम किया है. जिसके बारे में कुछ भी कहना कम होगा. मैं चाहता हूं कि हर परिवार में ऐसी बहन और ऐसा भाई हो. वहीं, कृष्णा कहते हैं कि इस बार परिवार (बहनों) ने उन्हें ऐसा तोहफा दिया है. जिसके लिए उनके पास कोई शब्द ही नहीं है.
परिवार में खुशी
कृष्णा की बहन नेहा बताती हैं कि जब उन्हें कृष्णा के बारे में पता चला तो वह तुरंत इटली से फ्लाइट लेकर इंडिया आ गई. छोटी बहन प्रेरणा ने पहले से ही लिवर डोनेट करने का मन बना लिया था. अमूमन डोनेट करने के लिए एक ही लिवर की जरूरत पड़ती है, लेकिन कृष्णा का वजन ज्यादा होने के कारण जब डॉक्टरों ने कहा कि 2 लिवर की जरूरत पड़ेगी, तो हम तुरंत टेस्टिंग के लिए तैयार हो गए. आज हम अपने पूरे परिवार के साथ भाई के ठीक होने के बाद यह पर्व अपने घर पर मना रहे हैं जिसकी हम लोगों में बहुत खुशी है.
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