बेंगलुरु: कर्नाटक की निवर्तमान भारतीय जनता पाटी (भाजपा) सरकार में मंत्री के. सुधाकर ने बुधवार को पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया से सवाल किया कि क्या 2019 में गठबंधन सरकार के राज्य की सत्ता में रहने के दौरान कांग्रेस विधायकों के पार्टी छोड़ने के कदम में उनकी कोई 'गुप्त या स्पष्ट' भूमिका नहीं थी. सुधाकर ने यह मुद्दा ऐसे समय उठाया है जब सिद्धरमैया राज्य के नए मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शुमार हैं. उनका मुकाबला कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डी के शिवकुमार से है.
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During the JDS-Cong coalition govt in 2018, whenever MLAs went to the then Coordination Committe Chairman Shri Siddaramaiah with their concerns, he used to express his helplessness and say that he has no say in the govt and his constituency/district works itself are stalled.
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सुधाकर ने ट्वीट कर आरोप लगाया कि सिद्धरमैया ने विधायकों को आश्वासन दिया था कि 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद वह तत्कालीन एच डी कुमारस्वामी नीत गठबंधन सरकार को एक भी दिन टिकने नहीं देंगे. सुधाकर पहले कांग्रेस में थे. कांग्रेस और जनता दल (सेक्यूलर) छोड़कर भाजपा में शामिल होने वाले 17 विधायकों में वह खुद भी शामिल थे. इस वजह से गठबंधन सरकार गिर गयी थी और भाजपा के सत्ता में आने का रास्ता साफ हुआ था.
सुधाकर ने दावा किया, '2018 में जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन सरकार के दौरान जब कांग्रेस विधायक अपनी चिंताओं के साथ समन्वय समिति के अध्यक्ष सिद्धरमैया के पास गये तो उन्होंने असमर्थता जाहिर करते हुए कहा था कि सरकार में उनकी बिल्कुल नहीं चलती और स्वयं उनके क्षेत्र में भी काम रुके हुए हैं.' उन्होंने कहा कि सिद्धरमैया ने विधायकों को आश्वासन दिया था कि 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद वह तत्कालीन एच डी कुमारस्वामी नीत गठबंधन सरकार को एक भी दिन नहीं टिकने देंगे.
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भाजपा में शामिल होने के बाद सुधाकर ने पार्टी के टिकट पर उपचुनाव लड़ा और जीत भी दर्ज की. वह भाजपा सरकार में स्वास्थ्य मंत्री बने. हालांकि, गत 10 मई को हुए विधानसभा चुनाव में वह चिकबल्लापुर सीट से चुनाव हार गये.
पीटीआई-भाषा