नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की उस याचिका पर सुनवाई के लिए मंगलवार को राजी हो गया जो उन्होंने उत्तराखंड उच्च न्यायालय से जारी कारण बताओ नोटिस के खिलाफ दायर की थी.
दरसअल, उच्च न्यायालय में दायर एक याचिका में कोश्यारी के मुख्यमंत्री रहने के दौरान आवंटित सरकारी बंगले का किराया कथित तौर पर नहीं भरने के कारण उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की मांग की गई थी जिसके बाद अदालत ने उनके खिलाफ कारण बताओ नोटिस जारी किया था.
न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन, न्यायमूर्ति केएम जोसफ और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ ने उत्तराखंड सरकार को नोटिस जारी किया तथा इस मामले को इसी मुद्दे पर लंबित याचिकाओं अन्य याचिकाओं के साथ जोड़ दिया. राज्य सरकार की ओर से पेश अधिवक्ता ने नोटिस स्वीकार कर लिया.
पूर्व मुख्यमंत्रियों को जारी को जारी हुआ था नोटिस
कोश्यारी ने उच्च न्यायालय के आदेश पर स्थगन लगाने की अपनी याचिका में दलील दी थी कि वह महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं और संविधान के अनुच्छेद 361 के तहत उन्हें ऐसी किसी भी कार्यवाही से संरक्षण प्राप्त है.
उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने पिछले वर्ष तीन मई को राज्य के पूर्व मुख्यमंत्रियों को आदेश दिया था कि पद से हटने के बाद वे जितनी अवधि तक सरकारी आवास में रहे हैं, उसका बाजार के मुताबिक किराया उन्हें अदा करना होगा.
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पोखरियाल के खिलाफ रोक दी थी कार्यवाही
इससे पहले, 26 अक्टूबर को शीर्ष अदालत ने केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल के खिलाफ शुरू हुई अवमानना कार्यवाही पर रोक लगा दी थी. दरअसल, राज्य के पूर्व मुख्यमंत्रियों द्वारा सरकारी आवास के किराए का भुगतान करने के उत्तराखंड उच्च न्यायालय के पिछले साल के आदेश का कथित तौर पर पालन नहीं करने के मामले में पोखरियाल के खिलाफ कार्यवाही शुरू की गई थी.
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