नई दिल्ली: अडाणी-हिंडनबर्ग विवाद में एक जनहित याचिका याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष रिकॉर्ड में आरोप लगाया है कि बाजार नियामक सेबी ने उससे महत्वपूर्ण तथ्य छिपाए और अडाणी फर्म स्टॉक हेरफेर पर राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) के पत्र को 'दबाए रखा.'
शीर्ष अदालत के समक्ष दायर एक हलफनामे में याचिकाकर्ताओं में से एक अनामिका जयसवाल ने कहा है कि सेबी ने जनवरी 2014 के डीआरआई अलर्ट को छुपाया है, जिसमें कहा गया है कि अडाणी ने पैसे निकालकर दुबई और मॉरीशस स्थित संस्थाओं के माध्यम से अडाणी सूचीबद्ध कंपनियों में निवेश किया है.
2014 में डीआरआई संयुक्त अरब अमीरात स्थित सहायक कंपनी से अडाणी समूह की विभिन्न संस्थाओं द्वारा उपकरण और मशीनरी के आयात के अधिक मूल्यांकन के मामले की जांच कर रहा था. इस संबंध में डीआरआई ने 15 मई 2014 को अडानी समूह के खिलाफ कारण बताओ नोटिस भी जारी किया था.
हलफनामे में कहा गया है कि यह चौंकाने वाला है कि सेबी ने इस महत्वपूर्ण जानकारी को अदालत से छुपाया और डीआरआई अलर्ट के आधार पर कभी कोई जांच नहीं की.
हलफनामे में कहा गया है कि यह चौंकाने वाला है कि सेबी ने आज तक डीआरआई से उक्त पत्र और साक्ष्य की प्राप्ति का खुलासा नहीं किया है. हलफनामे में कहा गया है, 'बल्कि, उन्होंने विशेषज्ञ समिति के समक्ष स्पष्ट रूप से कहा है कि अडाणी समूह की कंपनियों द्वारा नियमों और विनियमों के संभावित उल्लंघन की जांच जून-जुलाई 2020 में शिकायतें प्राप्त होने के बाद 23.10.2020 को शुरू हुई.'
हलफनामे में दावा किया गया कि पत्र के साथ एक सीडी थी जिसमें 2,323 करोड़ रुपये की हेराफेरी के सबूत थे और डीआरआई द्वारा जांच किए जा रहे मामले पर दो नोट्स थे. इसमें आगे कहा गया है कि पत्र में यह भी कहा गया है कि डीआरआई की मुंबई जोनल यूनिट से और दस्तावेज प्राप्त किए जा सकते हैं.
हलफनामे में दलील दी गई कि डीआरआई के पत्र से यह स्पष्ट है कि सेबी ने तथ्यों को छुपाया है और गलत जानकारी दी है जो झूठी गवाही के समान है.
हलफनामा में कहा गया है कि 'तत्कालीन सेबी अध्यक्ष यू.के. सिन्हा ने डीआरआई पत्र पर कार्रवाई करने के बजाय अडाणी समूह में चल रही जांच को बंद करना पसंद किया. यहां यह उल्लेख करना उचित है कि जनवरी 2014 में उक्त सेबी अध्यक्ष को 18 फरवरी, 2011 को नियुक्त किया गया था और 01 मार्च, 2017 को सेवानिवृत्त हुए. दिलचस्प बात यह है कि वह वर्तमान में एनडीटीवी के 'गैर-कार्यकारी स्वतंत्र निदेशक-अध्यक्ष' के रूप में कार्यरत हैं, जिसने 2022 में अडाणी समूह द्वारा अधिग्रहण कर लिया गया.
हलफनामे में आरोप लगाया गया, 'न केवल सेबी ने इस अदालत से महत्वपूर्ण तथ्यों को छुपाया है और डीआरआई अलर्ट पर सोया है, बल्कि सेबी द्वारा अडानी की जांच करने में हितों का स्पष्ट टकराव भी है.'
हलफनामे में कहा गया है, सिरिल श्रॉफ, मैनेजिंग पार्टनर, सिरिल अमरचंद मंगलदास, कॉर्पोरेट गवर्नेंस पर सेबी की समिति के सदस्य रहे हैं, जो इनसाइडर ट्रेडिंग जैसे अपराधों को देखती है. यहां यह भी उल्लेख करना उचित है कि सेबी की 24 जांच रिपोर्टों में से 5 अडाणी समूह की कंपनियों के खिलाफ अंदरूनी व्यापार के आरोपों पर हैं.
इसमें कहा गया है कि श्रॉफ की बेटी की शादी गौतम अडाणी के बेटे से हुई है. हलफनामे में कहा गया है कि यह हितों के स्पष्ट टकराव को दर्शाता है. पत्रकार संघ 'ऑर्गनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट' की जांच के दौरान सामने आए दस्तावेजों का हवाला देते हुए हलफनामे में कहा गया है कि मॉरीशस स्थित दो कंपनियों - इमर्जिंग इंडिया फोकस फंड (ईआईएफएफ) और ईएम रिसर्जेंट फंड (ईएमआरएफ) ने एक में निवेश और कारोबार किया था. 2013 से 2018 के बीच चार अडाणी कंपनियों के शेयरों में बड़ी मात्रा में गिरावट आई.
हलफनामे में दावा किया गया है कि इन दोनों कंपनियों के नाम सेबी की 13 संदिग्ध विदेशी पोर्टफोलियो निवेश/विदेशी संस्थाओं की सूची में शामिल हैं, लेकिन सेबी उनके अंतिम लाभकारी मालिकों या आर्थिक हित वाले शेयरधारकों का पता लगाने में असमर्थ रहा है.
शीर्ष अदालत ने अडाणी-हिंडनबर्ग विवाद के संबंध में वकील एमएल शर्मा और विशाल तिवारी, कांग्रेस नेता जया ठाकुर और अनामिका जयसवाल सहित जनहित याचिकाओं के एक बैच को जब्त कर लिया.
25 अगस्त को, सेबी ने एक स्थिति रिपोर्ट में सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि अडाणी-हिंडनबर्ग विवाद में उसकी 24 जांचों में से 22 अंतिम प्रकृति की हैं और 2 अंतरिम हैं. सेबी ने कहा कि अंतरिम जांच में अडाणी की कंपनियों की 13 विदेशी इकाइयां शामिल हैं और उसने एफपीआई पर पांच देशों से विवरण मांगा है और कहा है, 'इन विदेशी निवेशकों से जुड़ी कई इकाइयां टैक्स हेवन क्षेत्राधिकार में स्थित हैं, जो आर्थिक हित के शेयरधारकों की स्थापना कर रही हैं' 12 एफपीआई चुनौती बने हुए हैं.'