मुंबई : अरुणाचल प्रदेश में चीनी घुसपैठ की खबर धक्कादायक और हिंदुस्तान की चिंता बढ़ानेवाली हैं. अरुणाचल में हो रहे घटनाक्रम केवल चिंता बढ़ाने वाले नहीं, बल्कि चिढ़ बढ़ाने वाली है. जो लद्दाख में किया, चीन अब वही अरुणाचल प्रदेश में कर रहा है. हिंदुस्तान की सीमा में घुसकर अरुणाचल प्रदेश के सीमा क्षेत्र में चीन ने एक पूरा गांव बसा लिया है. यह सब कुछ एक रात में नहीं हुआ, कई महीनों से चीनी सैनिक और वहां के लाल बंदरों की सरकार इस गांव को बसाने में जुटी हुई थी. सवाल ये है कि हमारी हद में जब चीन नया गांव बसा रहा था, उस समय हमारे प्रधानसेवक और चौकीदार आदि कहे जानेवाली शक्तिशाली सरकार क्या कर रही थी? ऐस सवाल शिवसेना के मुखपत्र सामना में पीएम मोदी से पूछा गया है.
किसी गांव में एक घर निर्माण करने के लिए ईंट-पत्थर, सीमेंट, स्टील और रेत के ढेर लाने पड़ते हैं. माल यातायात की शुरुआत होती है और यह बात गांवभर में फैल जाती है कि कहीं निर्माण कार्य शुरू है. यहां तो एक-दो घर ही नहीं बल्कि पूरा गांव ही बसा दिया गया, लेकिन किसी प्रकार का शोर नहीं हुआ! कई इमारतें खड़ी हो गईं और पक्के घरों के निर्माण भी हुआ. इस निर्माण कार्य के लिए चीन के सैनिक और प्रशासन लगातार जुटे हुए थे. निर्माण कार्य के संसाधन आ रहे थे, लेकिन हमारी केंद्र की सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी.
लद्दाख में भी चीन ने की घुसपैठ
लद्दाख में भी इसी प्रकार कई किलोमीटर भीतर घुसकर चीन ने हिंदुस्तान की हजारों वर्ग किलोमीटर जमीन हड़प ली. उसी तरह फिर एक बार चीनियों ने अरुणाचल में हिंदुस्तान की सीमा में एक नया गांव बसा डाला. हालांकि ऐसा एक ही गांव बसाया गया है या दो-तीन गांव बना लिए गए हैं, यह साफ नहीं हो पाया है. हिंदुस्तान का विदेश मंत्रालय ही इस पर प्रकाश डाल सकता है. दुर्भाग्य यह है कि लद्दाख की गलवान घाटी में चीनियों ने जब घुसपैठ की, तब मोदी सरकार ने दावा किया था कि चीनी सैनिक हमारी सीमा में घुसे ही नहीं क्योंकि चीन की सरकार ने गलवान घाटी में घुसपैठ की बात से पहले इनकार किया था.
नए गांव की सैटेलाइट तस्वीरें प्रसारित की गईं
बदनामी के डर से हमारी सरकार की शुरुआती भूमिका भी यही थी, जिससे चीन को मौका मिला और उसने गलवान घाटी में अपने आपको मजबूत कर लिया. अब अरुणाचल प्रदेश में चीन ने नया गांव बसा लिया है. सैटेलाइट तस्वीरों के साथ सरकार तक इस तरह की शिकायत पहुंची है. कुछ चैनलों ने अगस्त 2019 में अरुणाचल के निर्जन सीमा क्षेत्र और उसी जगह की नवंबर 2020 के कई निर्माण कार्य किए गए. नए गांव की सैटेलाइट तस्वीरें प्रसारित की हैं. चीन द्वारा बसाए गांव के इस सबूत को देखकर देश के किसी भी नागरिक का दिमाग गर्मा जाएगा. सवाल सिर्फ इतना है कि जनता के मन की आग सरकार के दिमाग में जाएगी क्या?
नहीं आई किसी प्रकार की प्रतिक्रिया
हिंदुस्तान सरकार की ओर से अरुणाचल में चीनी गांव के बारे में अब तक न कोई निषेध व्यक्त किया गया और न ही किसी प्रकार की प्रतिक्रिया आई है. सच कहें तो इस विषय पर बोलने या प्रतिक्रिया व्यक्त करने जैसी क्या बात है? किसी भी नगरपालिका या मनपा की हद में बनाए गए अवैध निर्माण को मनपा के अधिकारी बुलडोजर लगाकर उद्ध्वस्त कर देते हैं, उसी प्रकार सारे अंतरराष्ट्रीय कानून को एक तरफ रखकर हमारी सीमा में बनाए गए अवैध गांव को उद्ध्वस्त करने का अधिकार हिंदुस्तान को है. हम इस अधिकार का प्रयोग करनेवाले हैं या चीन की बढ़ती मनमानी को चुपचाप सहन करने वाले हैं? सवाल सिर्फ इतना है.
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पाकिस्तान पर की गई सर्जिकल स्ट्राइक या पुलवामा हत्याकांड के बाद पाकिस्तान पर की गई एयर स्ट्राइक का निवेश और मार्केटिंग करनेवाले चीन की नई घुसपैठ के बारे में चुप्पी नहीं साधेंगे, जनता को ऐसी आशा है. चीनी घुसपैठ करके हिंदुस्तान को कमजोर करने का प्रयास कर रहे हैं. यह सब कब तक सहा जाएगा? ‘अब आंखों में आंखें डालकर बात होगी’, ऐसी पंक्ति वाली विदेश नीति खुद प्रधानमंत्री मोदी ने घोषित की थी, जो बहुत प्रसिद्ध हुई थी. उसी बयान को ध्यान में रखते हुए हिंदुस्तान में चीनी गांव बसानेवाले चीनियों के खिलाफ प्रधानमंत्री अवश्य एकाध ‘मास्टरस्ट्रोक’ मारेंगे, ऐसी आशा करने में कोई हर्जा नहीं है. अरुणाचल प्रदेश के चीनी गांव पर हथौड़ा कब चलाओगे?