ETV Bharat / bharat

RSS Chief Mohan Bhagwat के आरक्षण वाले बयान पर शिवानंद तिवारी बोले- 'यकीन करना मुश्किल'

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि जब तक समाज में भेदभाव है, तब तक आरक्षण जारी रहना चाहिए. उनके इस बयान पर आरजेडी के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने हमला किया है और इस बयान को 2024 के चुनाव के फायदे के लिए दिया गया बयान करार दिया है.

शिवानंद तिवारी का मोहन भागवत पर हमला
शिवानंद तिवारी का मोहन भागवत पर हमला
author img

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 7, 2023, 7:32 PM IST

पटना: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत के आरक्षण वाले बयान पर राष्ट्रीय जनता दल के वरिष्ठ नेता व पार्टी के उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने प्रतिक्रिया दी है. शिवानंद तिवारी ने इसे चुनाव के मद्देनजर दिया गया बयान कहा है. उन्होंने कहा कि अगले लोकसभा चुनाव को नजर में रखकर मोहन भागवत ने संविधान में दिए गए पिछड़े, दलितों और आदिवासियों के आरक्षण व्यवस्था का समर्थन किया है.

पढ़ें- Protest For Maratha Reservation: मराठा आरक्षण की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों पर पुलिस ने बरसाईं लाठियां

शिवानंद तिवारी का मोहन भागवत पर हमला: बता दें कि मोहन भागवत ने कहा है कि जब तक समाज में भेदभाव है तब तक आरक्षण जारी रहना चाहिए. उनका यह भी कहना है कि हमने अपनी समाज व्यवस्था में अपने साथी मनुष्यों को पिछले दो हज़ार वर्षों से पीछे रखा है. हमने उनकी परवाह नहीं की. उनको समानता का अधिकार देने के लिए संविधान में दिया गया आरक्षण एक उपाय है. हम उसका पूरा समर्थन करते हैं. उनके अनुसार आरक्षण की व्यवस्था सिर्फ अधिकार देने के लिए ही नहीं है बल्कि जिनको आरक्षण मिल रहा है उनको सम्मान देने के लिए भी है.

बयान को बताया चुनावी स्टंट: इस पर शिवानंद तिवारी ने कहा कि मोहन भागवत ने 2015 में आरक्षण पर पुनर्विचार करने की जरूरत बताई थी. अभी दो दिन पहले इंडिया और भारत के सवाल पर भागवत ने संवैधानिक व्यवस्था के विपरीत इंडिया के स्थान पर सिर्फ भारत के प्रयोग का निर्णय सुनाया था. उनके नियमन के बाद राष्ट्रपति जी ने विश्व नेताओं के लिए भोज का न्योता अंग्रेज़ी में ‘प्रेसिडेंट ऑफ भारत’ का प्रयोग किया है. सवाल हिंदू राष्ट्र का भी है. राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने की बात करता है.

"हिंदू समाज व्यवस्था जातीय भेदभाव आधारित है. उसी व्यवस्था के तहत देश की बड़ी आबादी पीछे छूट गई. बल्कि आबादी के हिस्से को अस्पृश्य करार दे दिया गया. इन सब विसंगतियों को दूर करने का प्रावधान हमारे संविधान में किया गया है. इसलिए जब तक मोहन भागवत और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ देश को हिंदू राष्ट्र बनाने के संकल्प को तिलांजलि नहीं देते हैं तब तक भागवत के बयान पर यकीन करना मुश्किल है. उनके बयान को अगले लोकसभा चुनाव में समाज के दलितों और वंचितों लुभाने के प्रयास के रूप में देखा जाएगा."- शिवानंद तिवारी, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, आरजेडी

वहीं सुशील मोदी ने भी महागठबंधन पर पलटवार करते हुए और मोहन भागवत के बयान के समर्थन करते हुए कहा कि राजद-जदयू जैसे दलों की बेचैनी बढ़ी हुई है.उन्होंने कहा कि संघ ( आरएसएस), भाजपा और हिंदू धर्म के विरुद्ध जगदानंद का बयान इसी हताशा का परिणाम है. वे संघ को आरक्षण विरोधी साबित करने में कभी सफल नहीं हो पाएंगे.

"विपक्षी गठबंधन ऐसे गैरजिम्मेदार बयानबाजोंं का जमघट हो गया है, जिसमें हिंदू धर्म, मोदी सरनेम या गुजरात प्रांत के सभी लोगों को गाली देने की होड़ लगी है. राजद के जगदानंद और कांग्रेस के पवन खेड़ा भी इस होड़ में शामिल हो गए हैं."- सुशील मोदी, राज्यसभा सांसद

पटना: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत के आरक्षण वाले बयान पर राष्ट्रीय जनता दल के वरिष्ठ नेता व पार्टी के उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने प्रतिक्रिया दी है. शिवानंद तिवारी ने इसे चुनाव के मद्देनजर दिया गया बयान कहा है. उन्होंने कहा कि अगले लोकसभा चुनाव को नजर में रखकर मोहन भागवत ने संविधान में दिए गए पिछड़े, दलितों और आदिवासियों के आरक्षण व्यवस्था का समर्थन किया है.

पढ़ें- Protest For Maratha Reservation: मराठा आरक्षण की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों पर पुलिस ने बरसाईं लाठियां

शिवानंद तिवारी का मोहन भागवत पर हमला: बता दें कि मोहन भागवत ने कहा है कि जब तक समाज में भेदभाव है तब तक आरक्षण जारी रहना चाहिए. उनका यह भी कहना है कि हमने अपनी समाज व्यवस्था में अपने साथी मनुष्यों को पिछले दो हज़ार वर्षों से पीछे रखा है. हमने उनकी परवाह नहीं की. उनको समानता का अधिकार देने के लिए संविधान में दिया गया आरक्षण एक उपाय है. हम उसका पूरा समर्थन करते हैं. उनके अनुसार आरक्षण की व्यवस्था सिर्फ अधिकार देने के लिए ही नहीं है बल्कि जिनको आरक्षण मिल रहा है उनको सम्मान देने के लिए भी है.

बयान को बताया चुनावी स्टंट: इस पर शिवानंद तिवारी ने कहा कि मोहन भागवत ने 2015 में आरक्षण पर पुनर्विचार करने की जरूरत बताई थी. अभी दो दिन पहले इंडिया और भारत के सवाल पर भागवत ने संवैधानिक व्यवस्था के विपरीत इंडिया के स्थान पर सिर्फ भारत के प्रयोग का निर्णय सुनाया था. उनके नियमन के बाद राष्ट्रपति जी ने विश्व नेताओं के लिए भोज का न्योता अंग्रेज़ी में ‘प्रेसिडेंट ऑफ भारत’ का प्रयोग किया है. सवाल हिंदू राष्ट्र का भी है. राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने की बात करता है.

"हिंदू समाज व्यवस्था जातीय भेदभाव आधारित है. उसी व्यवस्था के तहत देश की बड़ी आबादी पीछे छूट गई. बल्कि आबादी के हिस्से को अस्पृश्य करार दे दिया गया. इन सब विसंगतियों को दूर करने का प्रावधान हमारे संविधान में किया गया है. इसलिए जब तक मोहन भागवत और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ देश को हिंदू राष्ट्र बनाने के संकल्प को तिलांजलि नहीं देते हैं तब तक भागवत के बयान पर यकीन करना मुश्किल है. उनके बयान को अगले लोकसभा चुनाव में समाज के दलितों और वंचितों लुभाने के प्रयास के रूप में देखा जाएगा."- शिवानंद तिवारी, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, आरजेडी

वहीं सुशील मोदी ने भी महागठबंधन पर पलटवार करते हुए और मोहन भागवत के बयान के समर्थन करते हुए कहा कि राजद-जदयू जैसे दलों की बेचैनी बढ़ी हुई है.उन्होंने कहा कि संघ ( आरएसएस), भाजपा और हिंदू धर्म के विरुद्ध जगदानंद का बयान इसी हताशा का परिणाम है. वे संघ को आरक्षण विरोधी साबित करने में कभी सफल नहीं हो पाएंगे.

"विपक्षी गठबंधन ऐसे गैरजिम्मेदार बयानबाजोंं का जमघट हो गया है, जिसमें हिंदू धर्म, मोदी सरनेम या गुजरात प्रांत के सभी लोगों को गाली देने की होड़ लगी है. राजद के जगदानंद और कांग्रेस के पवन खेड़ा भी इस होड़ में शामिल हो गए हैं."- सुशील मोदी, राज्यसभा सांसद

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.