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महादेव की धरती पर 'शिव महोत्सव', चीन सीमा पर गूंजेंगे 5100 शंख - चीन बॉर्डर पर मौजूद व्यापारिक केंद्र गुंजी

उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में चीन और नेपाल बॉर्डर पर स्थित गुंजी दुनिया के सबसे खूबसूरत इलाकों में से एक है. इसे 'शिव की धरती' भी कहा जाता है. यहां पर आदि कैलाश और ओम पर्वत भी स्थित है. कैलाश मानसरोवर यात्रा का ये अहम पड़ाव भी है. ऐसे में पहली बार यहां पर 29 से 31 अक्टूबर तक तीन दिवसीय शिव महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है. महोत्सव के उद्घाटन में 5,100 बच्चों द्वारा शंखनाद भी किया जाएगा.

शिव महोत्सव
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Published : Oct 26, 2021, 7:10 PM IST

पिथौरागढ़: उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के 11 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित गुंजी में 29 से 31 अक्टूबर तक शिव महोत्सव का आयोजन किया जाएगा. हालांकि उत्तराखंड में भारी बारिश और बर्फबारी के कारण इस कार्यक्रम की तारीख को आगे बढ़ाया गया है. इससे पहले इस महोत्सव का आयोजन 18 से 20 अक्टूबर तक होना था. ये पहला मौका है, जब शिव की धरती पर शिव महोत्सव आयोजित होने जा रहा है. इस महोत्सव को लेकर प्रशासन ने तैयारियां तेज कर दी है. सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ ही एडवेंचर से जुड़ी गतिविधियां भी महोत्सव में संचालित की जाएंगी.

11 हजार फीट की ऊंचाई पर भव्य कार्यक्रम

तीन दिनों तक चलने वाले शिव महोत्सव में सीएम पुष्कर सिंह धामी के साथ ही केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट भी शामिल हो सकते हैं. गुंजी 11 हजार फीट की ऊंचाई पर बसा है. इतनी ऊंचाई पर पहली बार भव्य कार्यक्रम आयोजित किया जाना है. बॉर्डर के लोग भी इस आयोजन को लेकर खासे उत्साहित हैं.

महादेव की धरती पर पहली बार होगा शिव महोत्सव.

बता दें, कोरोना संकट के कारण बीते दो साल से कैलाश मानसरोवर यात्रा और इंडो चाइना ट्रेड बंद है. ऐसे में पिथौरागढ़ प्रशासन की पहल पर उच्च हिमालयी क्षेत्र गुंजी में तीन दिवसीय शिव महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है. इस महोत्सव के जरिए चीन बॉर्डर पर मौजूद व्यापारिक केंद्र गुंजी को एक नई पहचान मिलेगी.

कैलाश मानसरोवर यात्रा का अहम पड़ाव है गुंजी

कैलाश मानसरोवर यात्रा और इंडो-चाइना ट्रेड होने पर ये इलाका 4 महीने तक गुलजार रहता था, लेकिन कोरोना संकट के कारण पिछले 2 साल से यहां सन्नाटा पसरा हुआ है. कैलाश मानसरोवर यात्रा का अहम पड़ाव होने के साथ ही गुंजी भारत-चीन स्थलीय व्यापार का भी महत्वपूर्ण केंद्र है. यहां के बाजार चीनी सामान से पटे रहते हैं.

पढ़ें : चीन-नेपाल सीमा की ओर जाने वाली कई सड़कें बंद, बढ़ी परेशानी

लिपुलेख दर्रे (पहाड़ो के बीच की जगह को दर्रा कहते है) तक सड़क की कटिंग के बाद गुंजी पहुंचना आसान हो गया है, लेकिन बीते दो सालों में यहां के लोगों की दिक्कतों में खासा इजाफा हुआ है.

दुनिया के सबसे खूबसूरत इलाकों में से एक है गुंजी

चीन और नेपाल बॉर्डर पर स्थित गुंजी दुनिया के सबसे खूबसूरत इलाकों में से एक है. कैलाश मानसरोवर यात्रा का अहम रूट होने के साथ ही इस इलाके में आदि कैलाश और ऊंचे पर्वत भी मौजूद है. साल भर यहां गगनचुंबी चोटियां बर्फ से लकदक रहती हैं. जबकि, शीतकाल में 6 महीने तक ये इलाका बर्फ से ढका रहता है. साहसिक खेलों के लिए यहां कई बेहतरीन ट्रैक रूट भी मौजूद हैं. इस महोत्सव के जरिए बच्चों को अपने हुनर को दिखाने के लिए एक मंच भी मिलेगा. महोत्सव के उद्घाटन में 5,100 बच्चों द्वारा शंखनाद भी किया जाएगा.

पिथौरागढ़: उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के 11 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित गुंजी में 29 से 31 अक्टूबर तक शिव महोत्सव का आयोजन किया जाएगा. हालांकि उत्तराखंड में भारी बारिश और बर्फबारी के कारण इस कार्यक्रम की तारीख को आगे बढ़ाया गया है. इससे पहले इस महोत्सव का आयोजन 18 से 20 अक्टूबर तक होना था. ये पहला मौका है, जब शिव की धरती पर शिव महोत्सव आयोजित होने जा रहा है. इस महोत्सव को लेकर प्रशासन ने तैयारियां तेज कर दी है. सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ ही एडवेंचर से जुड़ी गतिविधियां भी महोत्सव में संचालित की जाएंगी.

11 हजार फीट की ऊंचाई पर भव्य कार्यक्रम

तीन दिनों तक चलने वाले शिव महोत्सव में सीएम पुष्कर सिंह धामी के साथ ही केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट भी शामिल हो सकते हैं. गुंजी 11 हजार फीट की ऊंचाई पर बसा है. इतनी ऊंचाई पर पहली बार भव्य कार्यक्रम आयोजित किया जाना है. बॉर्डर के लोग भी इस आयोजन को लेकर खासे उत्साहित हैं.

महादेव की धरती पर पहली बार होगा शिव महोत्सव.

बता दें, कोरोना संकट के कारण बीते दो साल से कैलाश मानसरोवर यात्रा और इंडो चाइना ट्रेड बंद है. ऐसे में पिथौरागढ़ प्रशासन की पहल पर उच्च हिमालयी क्षेत्र गुंजी में तीन दिवसीय शिव महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है. इस महोत्सव के जरिए चीन बॉर्डर पर मौजूद व्यापारिक केंद्र गुंजी को एक नई पहचान मिलेगी.

कैलाश मानसरोवर यात्रा का अहम पड़ाव है गुंजी

कैलाश मानसरोवर यात्रा और इंडो-चाइना ट्रेड होने पर ये इलाका 4 महीने तक गुलजार रहता था, लेकिन कोरोना संकट के कारण पिछले 2 साल से यहां सन्नाटा पसरा हुआ है. कैलाश मानसरोवर यात्रा का अहम पड़ाव होने के साथ ही गुंजी भारत-चीन स्थलीय व्यापार का भी महत्वपूर्ण केंद्र है. यहां के बाजार चीनी सामान से पटे रहते हैं.

पढ़ें : चीन-नेपाल सीमा की ओर जाने वाली कई सड़कें बंद, बढ़ी परेशानी

लिपुलेख दर्रे (पहाड़ो के बीच की जगह को दर्रा कहते है) तक सड़क की कटिंग के बाद गुंजी पहुंचना आसान हो गया है, लेकिन बीते दो सालों में यहां के लोगों की दिक्कतों में खासा इजाफा हुआ है.

दुनिया के सबसे खूबसूरत इलाकों में से एक है गुंजी

चीन और नेपाल बॉर्डर पर स्थित गुंजी दुनिया के सबसे खूबसूरत इलाकों में से एक है. कैलाश मानसरोवर यात्रा का अहम रूट होने के साथ ही इस इलाके में आदि कैलाश और ऊंचे पर्वत भी मौजूद है. साल भर यहां गगनचुंबी चोटियां बर्फ से लकदक रहती हैं. जबकि, शीतकाल में 6 महीने तक ये इलाका बर्फ से ढका रहता है. साहसिक खेलों के लिए यहां कई बेहतरीन ट्रैक रूट भी मौजूद हैं. इस महोत्सव के जरिए बच्चों को अपने हुनर को दिखाने के लिए एक मंच भी मिलेगा. महोत्सव के उद्घाटन में 5,100 बच्चों द्वारा शंखनाद भी किया जाएगा.

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