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शारदीय नवरात्रि 2021: आचार्य राजेश महाराज से जानिये पूजन विधि और मुहूर्त

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Published : Oct 7, 2021, 11:09 AM IST

Updated : Oct 7, 2021, 10:41 PM IST

हिंदू पंचांग के अनुसार, 7 अक्टूबर दिन बृहस्पतिवार से नवरात्रि महापर्व की शुरूआत हो रही है. इस पर्व पर देवी की विधि-विधान से पूजा अर्चना की जाती है. आइए जानते हैं इस महापर्व का महत्व, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त...

शारदीय नवरात्रि 2021
शारदीय नवरात्रि 2021

हैदराबाद : हिंदू पंचांग के अनुसार, 7 अक्टूबर दिन बृहस्पतिवार से नवरात्रि महापर्व की शुरूआत हो चुकी है. अगले 9 दिन मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा होगी. नवरात्रि के दौरान शुभ मुहूर्त और पूजन विधि बता रहे हैं लोकमंगल ज्योतिष अनुसंधान संस्थान (बांदा) के निदेशक ज्योतिषाचार्य आचार्य राजेश जी महाराज के अनुसार, शक्ति आराधना का महापर्व नवरात्रि आश्विन मास शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से आरंभ हो नौ दिन तक जारी रहता है.

उन्होंने बताया कि इस पर्व में आत्मविकास एवं राष्ट्ररक्षा, सुख, शांति व समृद्धि हेतु सनातन हिन्दू धर्म प्रेमी जन कलश, दीप आदि स्थापित कर विधिवत व्रत पूजन आदि करते हैं. दक्षिण संक्रांति में कन्या राशि के सूर्य संचरण होने से शरद ऋतु का प्रारंभ होता है. आश्विन शुक्लपक्ष के इस महापर्व को शारदीय नवरात्रि के रूप में भी लोग जानते हैं.

आचार्य राजेश जी महाराज से खास बातचीत.

कलश स्थापना का मुहूर्त

07 अक्टूबर दिन गुरुवार को सूर्योदय काल में प्रतिपदा तिथि होने से शास्त्र अनुसार इसी दिन से नवरात्रि पर्व आरंभ होगा. कलश स्थापना हेतु विशेष मुहूर्त गुरुवार को यानि पहले नवरात्र को सुबह 11.37 बजे से 12.23 तक अभिजित मुहूर्त रहेगा. इसमें कलश स्थापना अत्यंत लाभप्रद है. सूर्योदय पश्चात प्रातः 7 बजे से 12.23 मध्याह्न तक कलश स्थापना का मुहूर्त है.

पूजन विधि

धूप, दीप, नैवेद्य, गंध, अक्षत पुष्ष, चंदन, रोली एवं गंगाजल से मां का पूजन करें. मां दुर्गा के नवीन चित्र को चौकी में स्थापित कर श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ एवं नवार्णमंत्र का जप करने से मनोरथ पूर्ण होते हैं. साथ ही इस मंत्र का जाप करें.

ऊं सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते।।

या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

इस मंत्र का जप करने से सभी प्रकार की विपत्तियों से मुक्ति मिलती है तथा माता की कृपा प्राप्त होती है. इसके अलावा नवार्णय 'ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै' यह मंत्र त्रिगुणात्मक शक्ति स्वरुपा है जो देवी मां को श्रुतिप्रिय है, साथ ही लाल पुष्ष लेकर इस मंत्र के जप से देवी के आशीर्वाद की प्राप्ति होती है.

'महाअष्टमी व्रत'

इस बार 13 अक्टूबर दिन बुधवार को महाष्टमी व्रत या दुर्गाष्टमी व्रत रखा जाएगा. मनोरथ सिद्ध हेतु जागरण एवं जप आदि के साथ मनाया जाएगा. इस दिन कन्या पूजन का विधान है.

नवरात्रि पर पारणा एवं विसर्जन

15 अक्टूबर शुक्रवार को नवरात्रि की पारणा होगी. उसी दिन देवी प्रतिमाओं का विसर्जन और विजय दशमी पर्व भी मनाया जाएगा.

हैदराबाद : हिंदू पंचांग के अनुसार, 7 अक्टूबर दिन बृहस्पतिवार से नवरात्रि महापर्व की शुरूआत हो चुकी है. अगले 9 दिन मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा होगी. नवरात्रि के दौरान शुभ मुहूर्त और पूजन विधि बता रहे हैं लोकमंगल ज्योतिष अनुसंधान संस्थान (बांदा) के निदेशक ज्योतिषाचार्य आचार्य राजेश जी महाराज के अनुसार, शक्ति आराधना का महापर्व नवरात्रि आश्विन मास शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से आरंभ हो नौ दिन तक जारी रहता है.

उन्होंने बताया कि इस पर्व में आत्मविकास एवं राष्ट्ररक्षा, सुख, शांति व समृद्धि हेतु सनातन हिन्दू धर्म प्रेमी जन कलश, दीप आदि स्थापित कर विधिवत व्रत पूजन आदि करते हैं. दक्षिण संक्रांति में कन्या राशि के सूर्य संचरण होने से शरद ऋतु का प्रारंभ होता है. आश्विन शुक्लपक्ष के इस महापर्व को शारदीय नवरात्रि के रूप में भी लोग जानते हैं.

आचार्य राजेश जी महाराज से खास बातचीत.

कलश स्थापना का मुहूर्त

07 अक्टूबर दिन गुरुवार को सूर्योदय काल में प्रतिपदा तिथि होने से शास्त्र अनुसार इसी दिन से नवरात्रि पर्व आरंभ होगा. कलश स्थापना हेतु विशेष मुहूर्त गुरुवार को यानि पहले नवरात्र को सुबह 11.37 बजे से 12.23 तक अभिजित मुहूर्त रहेगा. इसमें कलश स्थापना अत्यंत लाभप्रद है. सूर्योदय पश्चात प्रातः 7 बजे से 12.23 मध्याह्न तक कलश स्थापना का मुहूर्त है.

पूजन विधि

धूप, दीप, नैवेद्य, गंध, अक्षत पुष्ष, चंदन, रोली एवं गंगाजल से मां का पूजन करें. मां दुर्गा के नवीन चित्र को चौकी में स्थापित कर श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ एवं नवार्णमंत्र का जप करने से मनोरथ पूर्ण होते हैं. साथ ही इस मंत्र का जाप करें.

ऊं सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते।।

या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

इस मंत्र का जप करने से सभी प्रकार की विपत्तियों से मुक्ति मिलती है तथा माता की कृपा प्राप्त होती है. इसके अलावा नवार्णय 'ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै' यह मंत्र त्रिगुणात्मक शक्ति स्वरुपा है जो देवी मां को श्रुतिप्रिय है, साथ ही लाल पुष्ष लेकर इस मंत्र के जप से देवी के आशीर्वाद की प्राप्ति होती है.

'महाअष्टमी व्रत'

इस बार 13 अक्टूबर दिन बुधवार को महाष्टमी व्रत या दुर्गाष्टमी व्रत रखा जाएगा. मनोरथ सिद्ध हेतु जागरण एवं जप आदि के साथ मनाया जाएगा. इस दिन कन्या पूजन का विधान है.

नवरात्रि पर पारणा एवं विसर्जन

15 अक्टूबर शुक्रवार को नवरात्रि की पारणा होगी. उसी दिन देवी प्रतिमाओं का विसर्जन और विजय दशमी पर्व भी मनाया जाएगा.

Last Updated : Oct 7, 2021, 10:41 PM IST
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