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MP: भोपाल पहुंचा शरद यादव का पार्थिव शरीर, आज नर्मदापुरम में होगा अंतिम संस्कार - भोपाल पहुंचा शरद यादव का पार्थिव शरीर

जेडीयू के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव का पार्थिव शरीर दिल्ली से भोपाल पहुंच गया है. इसके बाद सड़क मार्ग द्वारा दोपहर तक नर्मदापुरम के ग्राम आंखमऊ गांव पहुंचेगा, जहां राजकीय सम्मान के साथ उनको अंतिम विदाई दी जाएगी.

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Published : Jan 14, 2023, 1:01 PM IST

नर्मदापुरम। गुरुवार को देर रात जेडीयू के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव का निधन हो गया, शरद यादव का पार्थिव शरीर चार्टर्ड फ्लाइट से दोपहर 12 बजे भोपाल पहुंचा (Sharad Yadav death Updates). स्टेट हैंगर पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने श्रद्धांजलि दी.आज शुक्रवार को उनकी अंत्येष्टि नर्मदा पुरम के ग्राम आंखमऊ में की जाएगी. अंत्येष्टि के लिए उनके ही बगीचे में कार्यक्रम आयोजित होगा, इसको लेकर तैयारियां भी पूरी कर ली गई हैं. समय एवं जानकारी के अनुसार दोपहर 1:30 उनकी अंत्येष्टि का कार्यक्रम आंखमऊ में आयोजित होगा. कार्यक्रम में कांग्रेस एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता भी शामिल होंगे.

होशंगाबाद के आंखमऊ गांव में हुआ था जन्म: शरद यादव का जन्म 1 जुलाई 1947 को एमपी के होशंगाबाद (अब नर्मदापुरम) जिले के माखन नगर तहसील स्थित आंखमऊ गांव में एक किसान परिवार में हुआ. शरद यादव का नर्मदापुरम से भी खासा लगाव रहा है. साल 1971 में जबलपुर में इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान उनकी रुचि राजनीति में हुई. यहां से वह छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए. इसके बाद शरद यादव ने आगे बढ़ते ही गए. उन्होंने जबलपुर से सिविल इंजीनियरिंग में गोल्ड मेडल भी जीता. उनके मन में समाजवादी आंदोलन के सूत्रधार राम मनोहर लोहिया के विचार चल रहे थे. इसीलिए वह लोहिया के आंदोलनों में भाग लेने लगे. शरद यादव को मीसा के तहत कई बार गिरफ्तार किया गया. वह 1970, 72 और 75 में जेल में भी रहे.

शरद यादव ने अपने गृह क्षेत्र के लिए कई योजनाएं बनाईं, कुछ साकार हुईं, कुछ बनीं सपना

7 बार सांसद रहे शरद यादव: देश की सक्रिय राजनीति में पहली बार उन्होंने 1974 में पहली बार जबलपुर लोकसभा सीट से किस्मत आजमाई. इस दौरान जेपी आंदोलन जोरों पर चल रहा था. जेपी ने उन्हें जनता पार्टी से जबलपुर से उम्मीदवार बनाया. शरद यादव ने सबको चौंकाते हुए इस सीट पर जीत हासिल की और संसद भवन की दहलीज पर पहुंचे. इसके बाद साल 1977 में भी वे इसी सीट से सांसद चुने गए. शरद यादव 7 बार सांसद रहे, कई बार केंद्रीय मंत्री रहे.

नर्मदापुरम। गुरुवार को देर रात जेडीयू के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव का निधन हो गया, शरद यादव का पार्थिव शरीर चार्टर्ड फ्लाइट से दोपहर 12 बजे भोपाल पहुंचा (Sharad Yadav death Updates). स्टेट हैंगर पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने श्रद्धांजलि दी.आज शुक्रवार को उनकी अंत्येष्टि नर्मदा पुरम के ग्राम आंखमऊ में की जाएगी. अंत्येष्टि के लिए उनके ही बगीचे में कार्यक्रम आयोजित होगा, इसको लेकर तैयारियां भी पूरी कर ली गई हैं. समय एवं जानकारी के अनुसार दोपहर 1:30 उनकी अंत्येष्टि का कार्यक्रम आंखमऊ में आयोजित होगा. कार्यक्रम में कांग्रेस एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता भी शामिल होंगे.

होशंगाबाद के आंखमऊ गांव में हुआ था जन्म: शरद यादव का जन्म 1 जुलाई 1947 को एमपी के होशंगाबाद (अब नर्मदापुरम) जिले के माखन नगर तहसील स्थित आंखमऊ गांव में एक किसान परिवार में हुआ. शरद यादव का नर्मदापुरम से भी खासा लगाव रहा है. साल 1971 में जबलपुर में इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान उनकी रुचि राजनीति में हुई. यहां से वह छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए. इसके बाद शरद यादव ने आगे बढ़ते ही गए. उन्होंने जबलपुर से सिविल इंजीनियरिंग में गोल्ड मेडल भी जीता. उनके मन में समाजवादी आंदोलन के सूत्रधार राम मनोहर लोहिया के विचार चल रहे थे. इसीलिए वह लोहिया के आंदोलनों में भाग लेने लगे. शरद यादव को मीसा के तहत कई बार गिरफ्तार किया गया. वह 1970, 72 और 75 में जेल में भी रहे.

शरद यादव ने अपने गृह क्षेत्र के लिए कई योजनाएं बनाईं, कुछ साकार हुईं, कुछ बनीं सपना

7 बार सांसद रहे शरद यादव: देश की सक्रिय राजनीति में पहली बार उन्होंने 1974 में पहली बार जबलपुर लोकसभा सीट से किस्मत आजमाई. इस दौरान जेपी आंदोलन जोरों पर चल रहा था. जेपी ने उन्हें जनता पार्टी से जबलपुर से उम्मीदवार बनाया. शरद यादव ने सबको चौंकाते हुए इस सीट पर जीत हासिल की और संसद भवन की दहलीज पर पहुंचे. इसके बाद साल 1977 में भी वे इसी सीट से सांसद चुने गए. शरद यादव 7 बार सांसद रहे, कई बार केंद्रीय मंत्री रहे.

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