पुणे: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अध्यक्ष शरद पवार ने राजनीति में आने को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक पुराने बयान पर कटाक्ष करते हुए शुक्रवार को कहा कि इससे उन्हें 'संसद में जाने से थोड़ा डर लगता है'. पवार ने प्रधानमंत्री का जिक्र किए बिना यह टिप्पणी की. इससे पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार शिंदे ने राकांपा प्रमुख के संरक्षण में राजनीति में ऊपर उठने की बात कही थी. पवार और शिंदे यहां पिंपरी में 18वें जगतिक मराठी सम्मेलन में बोल रहे थे.
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जागतिक मराठी अकादमी आणि डॉ. डी. वाय. पाटील विद्यापीठ, पिंपरी, पुणे यांच्या संयुक्त विद्यमाने आयोजित १८ व्या जागतिक मराठी संमेलनास उपस्थित राहून साहित्य रसिकांशी संवाद साधला.#जागतिकमराठीसाहित्यसंमेलनhttps://t.co/8rZKQ605lN
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शरद पवार ने कहा कि सुशील कुमार शिंदे ने कहा कि राजनीति के क्षेत्र में उनका पालन-पोषण मेरे संरक्षण में हुआ है. हाल ही में, मैं (ऐसे बयानों से) बहुत डरा हुआ हूं क्योंकि किसी ने कहा था कि वह शरद पवार की उंगली पकड़कर राजनीति में आए हैं. तब से मुझे संसद जाने में भी थोड़ा डर लग रहा है. गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2016 में एक कार्यक्रम में शरद पवार की मौजूदगी में कहा था कि वह 'राजनीति में पवार की उंगली पकड़कर आए हैं'.
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गौरतलब है कि शरद पवार को लेकर जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी काफी आदर भाव रखते हैं वहीं भाजपा नेता उनकी आलोचना का कोई मौका नहीं छोड़ते हैं. पिछले साल नवंबर में एक कार्यक्रम के दौरान भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक प्रवक्ता ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अध्यक्ष शरद पवार को काला जादू करने वाले भोंदू बाबा कह दिया था. जिसके बाद राजनीतिक गलियारे में एक नई बहस शुरु हो गई थी. राज्य भाजपा अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने मीडिया से बातचीत के दौरान यह टिप्पणी की थी.
बावनकुले ने दावा किया था कि शरद पवार एक 'भोंदू बाबा' (नकली बाबा) की तरह हैं. वह अपने प्रभाव क्षेत्र में आने वाले किसी भी व्यक्ति पर 'काला जादू' का सहारा लेते हैं. वास्तव में, उनकी पूरी पार्टी भी ऐसा करती है. अपने विचित्र दावे को सही ठहराते हुए, राज्य भाजपा प्रमुख ने पार्टी के प्रतिद्वंद्वी, शिवसेना (यूबीटी) के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे को एक प्रमुख उदाहरण के रूप में संदर्भित किया, जो 2019 में पवार की कथित मम्बो-जम्बो चाल का शिकार हुए थे.
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बावनकुले ने कहा था कि, जब हम सरकार बनाने की प्रक्रिया में थे, तब ठाकरे उनके (पवार) संपर्क में आए और पवार के जाल में फंस गए. इसलिए उन्होंने हमारे लिए दरवाजा बंद कर दिया, हमें छोड़ दिया और फिर कभी नहीं लौटे. जो भी पवार के जाल में फंस जाता है, उसका वही हाल होता है. तब राकांपा की पहली प्रतिक्रिया में, पार्टी विधायक नीलेश डी. लांके ने बावनकुले के बयानों को विक्षिप्त दिमाग का परिणाम बताया था.
राकांपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता क्लाइड क्रेस्टो ने बावनकुले की आलोचना करते हुए कहा था कि वह अपने होश खो चुके हैं. क्रेस्टो ने कहा था कि वह भ्रमित है और इसलिए, वह काला जादू जैसी चीजों में विश्वास करते हैं. ऐसा लगता है कि वह जानते है कि यह कैसे काम करता है. समय के साथ दुनिया आधुनिक हो गई है, लेकिन वह अभी भी अतीत में जी रहे है और सस्ता प्रचार पाने के लिए इस तरह की बातें कर रहे हैं.
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(एक्सट्रा इनपुट: पीटीआई भाषा)