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बंगाल फर्जी टीकाकरण : आराेपी देबंजन देब और शारदा चिटफंड घोटालेबाज सुदीप्त सेन 'एक जैसे' - आराेपी देबंजन देब

पश्चिम बंगाल में फर्जी टीकाकरण मामले के मास्टरमाइंड देबंजन देब के काम करने का तरीका बहुत हद तक बंगाल की जेल में बंद शारदा चिटफंड घोटालेबाज सुदीप्त सेन के तरीके से मेल खाता है. यह कहना है मामले की जांच कर रहे एक पुलिस अधिकारियाें का.

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Published : Jun 26, 2021, 8:58 PM IST

कोलकाता : पश्चिम बंगाल में फर्जी टीकाकरण मामले के मास्टरमाइंड देबंजन देब काे गिरफ्तार कर लिया गया है. मामले की जांच के लिए एक कमेटी का भी गठन किया गया है.

सुदीप्त सेन जैसा मृदुभाषी है देबंजन देब

सूत्राें का कहना है कि देबंजन देब का इरादा कई कंपनियां खोलने का था और उसकी फुटबॉल क्लब के मालिक होने की भी योजना थी और यही उसके सामाजिक-कल्याण कार्यक्रमों जैसे टीकाकरण शिविर, सैनिटाइज़र और मास्क वितरण शिविरों के आयोजन के पीछे के मुख्य कारण थे. वह राजनेताओं के साथ अपनी तस्वीरें खींचवाता था और बाद में अपने कनेक्शन से लाभ पाना चाहता था. देब में लोगों का दिल आसानी से जीतने और उनके करीब आने का गुण था, यही गुण जो शारदा घोटाले के सरगना सुदीप्त सेन में है. सुदीप्त सेन भी बेहद मृदुभाषी और मुखर है और इन गुणों के माध्यम से वह समाज के प्रभावशाली वर्गों के करीब होने में काफी हद तक सफल रहा. सेन और देब एक निस्वार्थ छवि पेश करने में सक्षम रहे. इसलिए दोनों ही मामलों में घोटाले का भंडाफोड़ होने से पहले कोई सोच भी नहीं सकता था कि उस निस्वार्थ छवि के पीछे इतना संगठित आपराधिक दिमाग है.

जांच के लिए एसआईटी का गठन

कोलकाता पुलिस ने कथित तौर पर खुद काे एक आईएएस अधिकारी बताकर फर्जी टीकाकरण अभियान चलाने के मामले की जांच के लिए शुक्रवार को एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया है.

टीएमसी-भाजपा के बीच आरोप-प्रत्यारोप शुरू

फर्जी टीकाकरण अभियान को लेकर तृणमूल कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच आरोप-प्रत्यारोप भी शुरू हो गया है. भाजपा ने बड़ी साजिश बताते हुए मामले की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने की मांग की है. वहीं तृणमूल कांग्रेस नेतृत्व ने मामले में किसी प्रकार की संलिप्तता से इनकार किया है. पुलिस द्वारा उसके अभियान का भंडाफोड़ करने के बाद इस सप्ताह की शुरुआत में देबांजन देब (28) को गिरफ्तार कर लिया गया. देब ने कई शिविर लगाए थे, जहां संभवत: 2000 लोगों को टीका दिया गया.

केंद्र काे बदनाम करने की टीएमसी की साजिश : शुभेंदु अधिकारी

पुलिस ने बुधवार को देबांजन को गिरफ्तार कर लिया, जिसने आईएएस अधिकारी होने का दावा करते हुए कस्बा क्षेत्र में एक कोविड-19 टीकाकरण शिविर का आयोजन किया था. पुलिस अधिकारियों के अनुसार देबांजन खुद को कोलकाता नगर निगम में संयुक्त आयुक्त के पद पर कार्यरत बताया करता था. वह अपनी कार पर राज्य सरकार के प्रतीक चिह्न का भी इस्तेमाल करता था. राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने दावा किया कि यह टीएमसी की एक साजिश है. उन्होंने कहा कि हमें लगता है कि पश्चिम बंगाल सरकार और सत्ताधारी पार्टी ने केंद्र को फंसाने के लिए एक बड़ी साजिश रची है. वे विवादित पहचान वाले लोगों को शिविर आयोजित करने में मदद कर रहे हैं, जहां नरेंद्र मोदी सरकार को बदनाम करने के लिए नकली टीके दिए गए थे.

इसे भी पढ़ें : फर्जी टीकाकरण : शुभेंदु अधिकारी ने स्वास्थ्य मंत्री को लिखा पत्र, जांच की मांग

उन्होंने कहा कि अगर टीका लगाए गए लोगों पर कोई प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, तो टीएमसी नकली टीके उपलब्ध कराने के लिए केंद्र को दोषी ठहराएगी. सत्तारूढ़ टीएमसी ने आरोपों को बेबुनियाद और राजनीति से प्रेरित करार दिया.

कोलकाता : पश्चिम बंगाल में फर्जी टीकाकरण मामले के मास्टरमाइंड देबंजन देब काे गिरफ्तार कर लिया गया है. मामले की जांच के लिए एक कमेटी का भी गठन किया गया है.

सुदीप्त सेन जैसा मृदुभाषी है देबंजन देब

सूत्राें का कहना है कि देबंजन देब का इरादा कई कंपनियां खोलने का था और उसकी फुटबॉल क्लब के मालिक होने की भी योजना थी और यही उसके सामाजिक-कल्याण कार्यक्रमों जैसे टीकाकरण शिविर, सैनिटाइज़र और मास्क वितरण शिविरों के आयोजन के पीछे के मुख्य कारण थे. वह राजनेताओं के साथ अपनी तस्वीरें खींचवाता था और बाद में अपने कनेक्शन से लाभ पाना चाहता था. देब में लोगों का दिल आसानी से जीतने और उनके करीब आने का गुण था, यही गुण जो शारदा घोटाले के सरगना सुदीप्त सेन में है. सुदीप्त सेन भी बेहद मृदुभाषी और मुखर है और इन गुणों के माध्यम से वह समाज के प्रभावशाली वर्गों के करीब होने में काफी हद तक सफल रहा. सेन और देब एक निस्वार्थ छवि पेश करने में सक्षम रहे. इसलिए दोनों ही मामलों में घोटाले का भंडाफोड़ होने से पहले कोई सोच भी नहीं सकता था कि उस निस्वार्थ छवि के पीछे इतना संगठित आपराधिक दिमाग है.

जांच के लिए एसआईटी का गठन

कोलकाता पुलिस ने कथित तौर पर खुद काे एक आईएएस अधिकारी बताकर फर्जी टीकाकरण अभियान चलाने के मामले की जांच के लिए शुक्रवार को एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया है.

टीएमसी-भाजपा के बीच आरोप-प्रत्यारोप शुरू

फर्जी टीकाकरण अभियान को लेकर तृणमूल कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच आरोप-प्रत्यारोप भी शुरू हो गया है. भाजपा ने बड़ी साजिश बताते हुए मामले की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने की मांग की है. वहीं तृणमूल कांग्रेस नेतृत्व ने मामले में किसी प्रकार की संलिप्तता से इनकार किया है. पुलिस द्वारा उसके अभियान का भंडाफोड़ करने के बाद इस सप्ताह की शुरुआत में देबांजन देब (28) को गिरफ्तार कर लिया गया. देब ने कई शिविर लगाए थे, जहां संभवत: 2000 लोगों को टीका दिया गया.

केंद्र काे बदनाम करने की टीएमसी की साजिश : शुभेंदु अधिकारी

पुलिस ने बुधवार को देबांजन को गिरफ्तार कर लिया, जिसने आईएएस अधिकारी होने का दावा करते हुए कस्बा क्षेत्र में एक कोविड-19 टीकाकरण शिविर का आयोजन किया था. पुलिस अधिकारियों के अनुसार देबांजन खुद को कोलकाता नगर निगम में संयुक्त आयुक्त के पद पर कार्यरत बताया करता था. वह अपनी कार पर राज्य सरकार के प्रतीक चिह्न का भी इस्तेमाल करता था. राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने दावा किया कि यह टीएमसी की एक साजिश है. उन्होंने कहा कि हमें लगता है कि पश्चिम बंगाल सरकार और सत्ताधारी पार्टी ने केंद्र को फंसाने के लिए एक बड़ी साजिश रची है. वे विवादित पहचान वाले लोगों को शिविर आयोजित करने में मदद कर रहे हैं, जहां नरेंद्र मोदी सरकार को बदनाम करने के लिए नकली टीके दिए गए थे.

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उन्होंने कहा कि अगर टीका लगाए गए लोगों पर कोई प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, तो टीएमसी नकली टीके उपलब्ध कराने के लिए केंद्र को दोषी ठहराएगी. सत्तारूढ़ टीएमसी ने आरोपों को बेबुनियाद और राजनीति से प्रेरित करार दिया.

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