चेन्नई : एसपी डी. कन्नन का एफआईआर में नाम आने के बाद कई दिनों तक अनिवार्य प्रतीक्षा में रखे जाने के बाद स्थानांतरित किया गया. दरअसल पूर्व विशेष डीजीपी के खिलाफ महिला आईपीएस ने यौन उत्पीड़न की शिकायत दर्ज कराई है.
महिला की शिकायत के बाद तमिलनाडु सरकार ने मामले की जांच के लिए एक आंतरिक शिकायत समिति का गठन किया. तमिलनाडु सरकार द्वारा पुलिस अधीक्षक डी. कन्नन का तबादला किए जाने के कुछ घंटों बाद भारतीय निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने राज्य को अधिकारी को निलंबित करने और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करने का निर्देश दिया. मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश में कहा गया है कि अदालत जांच की निगरानी करेगी.
पहले होना चाहिए था निलंबन
इस बीच, शुक्रवार को मद्रास उच्च न्यायालय ने एक पूर्व विशेष डीजीपी को निलंबित न करने के लिए राज्य सरकार को फटकार लगाई. जिन पर एक अधीनस्थ महिला आईपीएस अधिकारी का यौन उत्पीड़न का आरोप लगा है. कोर्ट ने कहा कि इस मामले में निलंबन पहली कार्रवाई होनी चाहिए थी.
कोर्ट ने की सख्त टिप्पणी
न्यायमूर्ति एन आनंद वेंकटेश सवाल किया कि आरोप लगाने वाली महिला एसपी को निलंबित कर दिया गया, जबकि विशेष डीजीपी को नहीं. उन्हें निलंबित करने में क्या संकोच है? क्या वह इतना शक्तिशाली हैं कि आप उन्हें निलंबित नहीं कर सकते हैं?
निष्पक्ष जांच जरूरी
न्यायमूर्ति वेंकटेश ने पीड़ित, अभियुक्तों और गवाहों के नामों का खुलासा न करके, अपने पहले के आदेश का पालन करने के लिए मीडिया की प्रशंसा की. उन्होंने कहा कि लोगों ने इस मामले में अदालत और राज्य पर भरोसा जताया है, इसलिए यह सुनिश्चित करना हमारी जिम्मेदारी बन जाती है कि एक स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच की जाए.
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हाईकोर्ट ने पुलिस को 16 मार्च को विशेष पुलिस महानिदेशक पर स्थिति रिपोर्ट दर्ज करने का आदेश दिया है. साथ ही चेतावनी दी कि मामले की जांच अदालत द्वारा बारीकी से की जाएगी.
बता दें कि 10 से अधिक महिला आईपीएस अधिकारियों ने DGP (कानून-व्यवस्था) से मुलाकात की और उनके निलंबन की मांग की थी, फिर भी उन्हें निलंबित नहीं किया गया.