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Senthil Balaji Case: सिब्बल ने कहा- गिरफ्तारी के 15 दिन बाद पुलिस हिरासत की मांग नहीं कर सकती ईडी

मद्रास हाई कोर्ट (Madras High Court) को वरिष्ठ अधिवक्ता कपित सिब्बल (Senior Counsel Kapil Sibal) ने बताया कि ईडी गिरफ्तारी की तिथि से 15 दिन से अधिक पुलिस हिरासत की मांग नहीं कर सकती है. सिब्बल ने यह दलील सेंथिल बालाजी की पत्नी द्वारा दायर की गई बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका की सुनवाई पर दी.

Madras High Court
मद्रास हाई कोर्ट
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Published : Jul 11, 2023, 9:29 PM IST

चेन्नई : वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल (Senior Counsel Kapil Sibal) ने मंगलवार को मद्रास उच्च न्यायालय ( Madras High Court) को सूचित किया कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) गिरफ्तारी की तारीख से 15 दिनों की अवधि से अधिक पुलिस हिरासत की मांग नहीं कर सकता है. सिब्बल ने गिरफ्तार मंत्री सेंथिल बालाजी की पत्नी की ओर से दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका की सुनवाई के दौरान यह दलील दी. जब यह मामला न्यायमूर्ति सी वी कार्तिकेयन के समक्ष सुनवाई के लिए आया, तो बालाजी की पत्नी मेगाला की ओर से पेश हुए सिब्बल ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय सेंथिल बालाजी को पुलिस हिरासत में लेने के उद्देश्य से उनके चिकित्सा उपचार की अवधि को कम करने की मांग नहीं कर सकता है.

उन्होंने कहा कि बालाजी को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया और उसके बाद ईडी ने आठ दिनों की पुलिस हिरासत का आदेश प्राप्त किया, लेकिन उन्होंने आदेश पर अमल नहीं किया, इसलिए वे 15 दिनों की अवधि के बाद फिर से पुलिस हिरासत की मांग नहीं कर सकते. सेंथिल बालाजी अब न्यायिक हिरासत में हैं. सिब्बल ने दलील दी कि अगर ईडी उनसे पूछताछ करना चाहती है, तो वह बालाजी के न्यायिक हिरासत में रहते हुए भी ऐसा कर सकती है.

उन्होंने कहा कि पुलिस हिरासत मांगने की कोई जरूरत नहीं है. सिब्बल ने उच्चतम न्यायालय के कई फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि ईडी के पास पुलिस हिरासत मांगने की कोई शक्ति नहीं है, क्योंकि ईडी के अधिकारी पुलिस अधिकारी नहीं हैं. उन्होंने कहा कि पीएमएलए एक अनोखा क़ानून है, जो ईडी को गिरफ़्तारी का अधिकार देता है, लेकिन इस शर्त पर कि उसके पास भौतिक सबूत हों और यह मानने के कारण हों कि हिरासत में लिया गया व्यक्ति किसी अपराध का दोषी है. उन्होंने कहा कि इसके अलावा मौखिक रूप से गिरफ्तारी का आधार बताना पर्याप्त नहीं है.

सिब्बल ने कहा कि गिरफ्तारी के आधार के बारे में आरोपी को अवगत कराया जाना चाहिए. बालाजी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील एन आर एलंगो ने कहा कि बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका सुनवाई योग्य है. ईडी की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता बुधवार को अपनी दलीलें रखेंगे.

ये भी पढ़ें - Manipur Violence : सुप्रीम कोर्ट ने कहा-सशस्त्र बलों पर नागरिक नियंत्रण लोकतंत्र की पहचान, सेना को नहीं जारी करेंगे निर्देश

(पीटीआई-भाषा)

चेन्नई : वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल (Senior Counsel Kapil Sibal) ने मंगलवार को मद्रास उच्च न्यायालय ( Madras High Court) को सूचित किया कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) गिरफ्तारी की तारीख से 15 दिनों की अवधि से अधिक पुलिस हिरासत की मांग नहीं कर सकता है. सिब्बल ने गिरफ्तार मंत्री सेंथिल बालाजी की पत्नी की ओर से दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका की सुनवाई के दौरान यह दलील दी. जब यह मामला न्यायमूर्ति सी वी कार्तिकेयन के समक्ष सुनवाई के लिए आया, तो बालाजी की पत्नी मेगाला की ओर से पेश हुए सिब्बल ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय सेंथिल बालाजी को पुलिस हिरासत में लेने के उद्देश्य से उनके चिकित्सा उपचार की अवधि को कम करने की मांग नहीं कर सकता है.

उन्होंने कहा कि बालाजी को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया और उसके बाद ईडी ने आठ दिनों की पुलिस हिरासत का आदेश प्राप्त किया, लेकिन उन्होंने आदेश पर अमल नहीं किया, इसलिए वे 15 दिनों की अवधि के बाद फिर से पुलिस हिरासत की मांग नहीं कर सकते. सेंथिल बालाजी अब न्यायिक हिरासत में हैं. सिब्बल ने दलील दी कि अगर ईडी उनसे पूछताछ करना चाहती है, तो वह बालाजी के न्यायिक हिरासत में रहते हुए भी ऐसा कर सकती है.

उन्होंने कहा कि पुलिस हिरासत मांगने की कोई जरूरत नहीं है. सिब्बल ने उच्चतम न्यायालय के कई फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि ईडी के पास पुलिस हिरासत मांगने की कोई शक्ति नहीं है, क्योंकि ईडी के अधिकारी पुलिस अधिकारी नहीं हैं. उन्होंने कहा कि पीएमएलए एक अनोखा क़ानून है, जो ईडी को गिरफ़्तारी का अधिकार देता है, लेकिन इस शर्त पर कि उसके पास भौतिक सबूत हों और यह मानने के कारण हों कि हिरासत में लिया गया व्यक्ति किसी अपराध का दोषी है. उन्होंने कहा कि इसके अलावा मौखिक रूप से गिरफ्तारी का आधार बताना पर्याप्त नहीं है.

सिब्बल ने कहा कि गिरफ्तारी के आधार के बारे में आरोपी को अवगत कराया जाना चाहिए. बालाजी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील एन आर एलंगो ने कहा कि बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका सुनवाई योग्य है. ईडी की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता बुधवार को अपनी दलीलें रखेंगे.

ये भी पढ़ें - Manipur Violence : सुप्रीम कोर्ट ने कहा-सशस्त्र बलों पर नागरिक नियंत्रण लोकतंत्र की पहचान, सेना को नहीं जारी करेंगे निर्देश

(पीटीआई-भाषा)

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