नई दिल्ली : सेंगोल का मतलब – राजदंड होता है. यह एक प्रकार की छड़ी होती है. पुराने समय में राजाओं और महाराजाओं के समय में इसका उपयोग किया जाता था. यह न्याय और निष्पक्षता का प्रतीक समझा जाता था. आम तौर पर जब भी सत्ता का हस्तांतरण किया जाता था, तो इसे इसके जरिए हस्तांतरित किया जाता था. साथ ही यह जिसके पास रहता था, उससे न्याय प्रिय होकर शासन करने की उम्मीद की जाती थी.
आजादी के समय भी इसका प्रयोग किया गया था. देश के गृह मंत्री अमित शाह ने इस बाबत जानकारी देते हुए कहा था कि इस परंपरा को फिर से स्थापित किया जाएगा. आजादी के समय लॉर्ड माउंटबेटन ने इसके जरिए ही औपचारिकता पूरी की थी. नेहरू को इस संबंध में सी राजगोपालचारी ने सुझाव दिया था. कहा जाता है कि चोल राजवंश में इस परंपरा का निर्वहन किया जाता था.
हालांकि, कांग्रेस ने इस परंपरा पर ही सवाल उठा दिए. कांग्रेस ने इसे बोगस तक बता दिया. पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि सेंगोल परंपरा का कोई भी साक्ष्य नहीं है. रमेश ने कहा कि जब तक कोई डॉक्यूमेंट न हो, तब तक इसे कैसे सच माना जा सकता है. कांग्रेस की इस प्रतिक्रिया के बाद ही अमित शाह ने कहा था कि कांग्रेस को हिंदू परंपराओं से आखिर इतनी घृणा क्यों होती है. कांग्रेस ने उसका भी प्रतिवाद किया जब किसी ने इसे नेहरू की वाकिंग स्टिक बता दी.
समाजवादी पार्टी के सांसद शफीकुर्रहमान ने इस परंपरा को धर्म से जोड़ा. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार यहां पर जानबूझकर सेंगोल मुद्दे को उठा रही है. रहमान ने कहा कि संसद सबकी है और पुरानी संसद में भी कोई दिक्कत नहीं थी. उसके ऊपर से सेंगोल को उठाकर मोदी सरकार हिंदू परंपरा थोप रही है.
सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य न कहा कि सेंगोल राजदंड, राजतंत्र का प्रतीक था. आज देश में लोकतंत्र है, लोकतंत्र में राजतंत्र के प्रतीक सेंगोल का क्या काम? सेंगोल के प्रति भाजपा सरकार की दीवानगी इस बात का प्रमाण है कि इसको लोकतंत्र में विश्वास नहीं है, इसलिए भाजपा लोकतंत्र से हटकर राजतंत्र के रास्ते पर जा रही है जो लोकतंत्र के लिये खतरे की घंटी है.
केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि 25 अगस्त 1947 में प्रकाशित टाइम पत्रिका के अंक में भी सेंगोल परंपरा की खबर छपी थी.
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VIDEO | “Those protesting should read the article published by USA’s Time magazine on August 25, 1947, to gain knowledge about what the Sengol symbolises,” says Union Minister @HardeepSPuri amid row over inauguration of new Parliament building. pic.twitter.com/419AaGRGzI
— Press Trust of India (@PTI_News) May 26, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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— Press Trust of India (@PTI_News) May 26, 2023VIDEO | “Those protesting should read the article published by USA’s Time magazine on August 25, 1947, to gain knowledge about what the Sengol symbolises,” says Union Minister @HardeepSPuri amid row over inauguration of new Parliament building. pic.twitter.com/419AaGRGzI
— Press Trust of India (@PTI_News) May 26, 2023
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Truly Historic!
— Hardeep Singh Puri (@HardeepSPuri) May 27, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
On the eve of the inauguration of #NewParliamentBuilding PM Sh @narendramodi Ji seeks the blessings of the Adheenams & receives the #Sengol from them.#SengolOfIndia #SengolAtNewParliament pic.twitter.com/4q22XlUfeV
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— Hardeep Singh Puri (@HardeepSPuri) May 27, 2023
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On the eve of the inauguration of #NewParliamentBuilding PM Sh @narendramodi Ji seeks the blessings of the Adheenams & receives the #Sengol from them.#SengolOfIndia #SengolAtNewParliament pic.twitter.com/4q22XlUfeV
जयराम रमेश ने इसका विरोध किया, उन्होंने कहा कि टाइम मैगजीन में जो खबर छपी थी, वह सेंगोल के बारे में जरूर है, लेकिन यह नहीं लिखा है कि नेहरू ने भी ऐसा किया था. रमेश ने फ्रीडम एट मिडनाइट और थॉस ऑन लिंग्विस्टिक स्टेट्स बुक का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि इन किताबों में भी नेहरू द्वारा सेंगोल परंपरा के निर्वहन की चर्चा नहीं की गई है. सपा नेता अखिलेश यादव ने कहा कि ऐसा लगता है कि भाजपा ने अपनी हार मान ली है, तभी तो वह सेंगोल परंपरा का पालन करने पर आमादा है.
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