कोलकाता/नई दिल्ली : पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य में बाढ़ की स्थिति को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा, बांधों के उन्नयन के लिए योजना बनाने का आग्रह किया है.
पश्चिम बंगाल के छह जिलों में मंगलवार को बाढ़ स्थिति विकराल हो गई. बाढ़ की वजह से राज्य में 15 लोगों की मौत हुई है और लाखों लोगों को बेघर या विस्थापित होना पड़ा है.
वहीं दामोदर घाटी निगम (डीवीसी) बांध द्वारा कथित तौर पर अधिक मात्रा में पानी छोड़े जाने को लेकर सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और विपक्षी भाजपा के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी शुरू हो गया है.
बाढ़ से हावड़ा और हुगली के साथ ही पूर्ब बर्धमान, पश्चिम बर्धमान, पश्चिम मेदिनीपुर और दक्षिण 24 परगना जिले भी प्रभावित हुए हैं. बता दें कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से बात कर राज्य के कुछ हिस्सों में बांधों से पानी छोड़े जाने से पैदा हुई बाढ़ की स्थिति के बारे में जानकारी ली और उन्हें हरसंभव मदद का आश्वासन दिया.
पीएमओ ने कहा था, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बांधों से पानी छोड़े जाने के बाद राज्य के कुछ हिस्सों में बाढ़ की स्थिति को लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से बात की. प्रधानमंत्री ने इस स्थिति से निपटने के लिए उन्हें हरसंभव केंद्रीय मदद का आश्वासन दिया.
प्रधानमंत्री ने प्रभावित इलाकों के लोगों की सुरक्षा की कामना भी की. ज्ञात हो कि भारी बारिश के चलते दामोदर घाटी निगम के बांधों से पानी छोड़े जाने के बाद पश्चिम बंगाल के छह जिलों में आई बाढ़ की वजह से लगभग 2.5 लाख लोग विस्थापित हुए हैं तथा मकान गिरने और करंट लगने की घटनाओं में कम से कम 14 लोगों की मौत हुई है.
अधिकारियों ने बताया कि गत कुछ दिनों से हो रही बारिश और डीवीसी के बांध से पानी छोड़ने से करीब तीन लाख लोग विस्थापित हुए हैं. वहीं, पूर्वी वर्द्धमान, पश्चिम वर्द्धमान, पश्चिमी मेदिनीपुर, हुगली, हावड़ा और दक्षिण 24 परगना के बड़े हिस्से जलमग्न हो गए हैं.
डीवीसी ने 31 जुलाई से मंगलवार शाम तक 5.43 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा है. सोमवार तक बाढ़ के कारण सात लोगों की मौत हुई थी जबकि ढ़ाई लाख प्रभावित हुए थे.
अधिकारियों ने बताया कि राहत और बचाव कार्य पर नजर रख रहीं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रभावित इलाकों में अपने मंत्रियों को भेजा है और बुधवार को स्थिति का जायजा लेने के लिए उनके हावड़ा और हुगली जिलों का हवाई सर्वेक्षण करने की संभावना है. बनर्जी इसके बाद प्रशासनिक अधिकारियों के साथ बैठक करेंगी.
अधिकारी ने बताया, हम उन 15 लोगों की जानकारी एकत्र कर रहे हैं जिनकी मौत बाढ़ की वजह से हुई. कुछ लोगों की मौत करंट लगने, सांप के काटने या दीवार गिरने से हुई. हम जिला प्रशासन से अंतिम रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि प्रभावित छह जिलों के कई इलाके जलमग्न हैं और लोग कमर तक पानी में चलकर सुरक्षित पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं.
अधिकारी के मुताबिक हुगली जिले में अकेले करीब 79 हजार लोग बाढ़ से प्रभावित हैं और लाखों रुपये की फसल और मवेशियों का नुकसान हुआ है.
हुगली जिले के अधिकारी ने बताया,जिले में करीब 345 गांव बाढ़ से प्रभावित हुए हैं और 34 हजार हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में लगी फसल बर्बाद हो गई है. जिले में 1159 घरों को नुकसान पहुंचा है. लोगों के लिए इस समय 89 राहत शिविर खोले गए हैं.
कोलकाता के पड़ोसी हावड़ा जिले में स्थिति खराब है, जहां पर 10 ग्राम पंचायतों के करीब 1.8 लाख प्रभावित हैं. हावड़ा जिले के अधिकारी ने बताया कि सात ग्राम पंचायत पूरी तरह से जलमग्न हैं जबकि तीन ग्राम पंचायत आंशिक रूप से जलमग्न हैं. उदयनरायणपुर ब्लॉक सबसे अधिक प्रभावित है. रूपनारायण और द्वारकेश्वर नदियों का पानी आवासीय इलाकों में प्रवेश कर गया है.
राज्य के सिंचाई मंत्री सौमेन महापात्र ने हावड़ा जिले के उदयनारायणपुर का दौरा किया और राहत एवं बचाव अभियान का जायजा लिया.
पश्चिम मेदिनीपुर में 172 ग्राम पंचायत और सात नगर पालिका बाढ़ से प्रभावित है और लोगों के लिए 212 राहत शिविर खोले गए हैं. मेदिनीपुर को केशपुर से जोड़ने वाली सड़क भी जलमग्न है.
अधिकारी ने बताया कि राहत शिविरों में, एक लाख तिरपाल, एक हजार मीट्रिक टन चावल, पीने के पानी के पैकेट और साफ कपड़े भेजे गए हैं. सोमवार को सेना और वायुसेना ने हुगली जिले में राहत और बचाव कार्य अपने हाथ में लिया. वहीं, राज्य में बाढ़ की स्थिति को लेकर सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और भाजपा में राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का भी दौर शुरू हो गया है. महापात्र ने केंद्र सरकार अधिकार क्षेत्र वाले डीवीसी पर पानी छोड़ ‘मानव जनित आपदा’ लाने का आरोप लगाया.
उन्होंने हावड़ा का दौरा करने के बाद संवाददाताओं से बातचीत में कहा, डीवीसी ने जानबूझकर इतना पानी छोड़ा जिससे बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हुई. केंद्र सरकार ने जानबूझकर बंगाल में मानव जनित आपदा की स्थिति उत्पन्न की. हम ऐसी राजनीति की निंदा करते हैं.
भाजपा के राज्य प्रवक्ता शमिक भट्टाचार्य ने इन आरोपों को ‘आधारहीन’ करार दिया. उन्होंने कहा कि ऐसे आरोपों को लगाने से पहले तृणमूल कांग्रेस सरकार को पता होना चाहिए कि पानी क्यों छोड़ा गया. डीवीसी द्वारा पानी छोड़े जाने के पीछे निश्चित तौर पर तर्क है. तथ्य यह है कि राज्य सरकार उचित तरीके से राहत एवं बचाव अभियान चलाने में असफल रही. इसलिए अब दूसरों पर आरोप मढ़ रही है.
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डीवीसी ने शनिवार को कहा था कि झारखंड में नदी के ऊपरी हिस्से में बारिश की वजह से पंचेत और मैथन बांध में पानी का स्तर जलग्रहण क्षमता के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया था और ऐसी परिस्थितियों में पानी छोड़ना अनिवार्य था.