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AAP Performance in Karnataka: सभी 209 प्रत्याशियों की जमानत जब्त, एक फीसद से भी कम मिला वोट - कर्नाटक विधानसभा चुनाव

राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा पाने के बाद दमखम से कर्नाटक चुनाव में उतरी आम आदमी पार्टी का खराब प्रदर्शन रहा है. AAP उम्मीदवारों से ज्यादा मतदाताओं ने NOTA पर भरोसा जताया है. पार्टी के सभी 209 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई है. पार्टी को कर्नाटक विधानसभा चुनाव में महज 0.58 फीसदी अर्थात 2.25 लाख वोट मिले.

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Published : May 14, 2023, 2:05 PM IST

नई दिल्ली: राष्ट्रीय पार्टी का खिताब हासिल करने के बाद पुरजोर तरीके से कर्नाटक विधानसभा चुनाव लड़ने वाली आम आदमी पार्टी को विधानसभा चुनाव में कुल प्राप्त वोट में से महज 0.58 फीसद वोट ही मिले हैं. वहीं, इससे अधिक लोगों ने नोटा का बटन दबाया है. कर्नाटक विधानसभा चुनाव में नोटा को 0.69 फीसद मतदाताओं को वोट दिया है. आम आदमी पार्टी ने भले ही बड़ी संख्या में वहां पर प्रत्याशी उतारे, लेकिन पार्टी का कोई भी बड़ा नेता वहां प्रचार करने के लिए नहीं पहुंचा. यहां तक कि आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी चुनाव प्रचार के अंतिम दिनों में पंजाब के जालंधर में डेरा डाले रहे और वहां पर लोकसभा सीट उपचुनाव के लिए पार्टी प्रत्याशी के समर्थन में प्रचार किया. मगर कर्नाटक से दूरी बनाए रखा.

कर्नाटक में 209 सीटों पर लड़ी थी 'आप'
कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए आम आदमी पार्टी ने 209 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे. शनिवार को मतगणना संपन्न होने के बाद चुनाव आयोग की वेबसाइट से मिली जानकारी के अनुसार आम आदमी पार्टी को 0.58 फीसद वोट शेयर प्राप्त हुआ. पार्टी को महज 2.25 लाख वोट मिले और आम आदमी पार्टी के सभी उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई. यानी विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन भरने के दौरान आम आदमी पार्टी के जितने भी प्रत्याशियों ने जमानत राशि के तौर पर पैसे जमा कराए थे, वह अब उन्हें वापस नहीं मिलेगा. हालांकि आम आदमी पार्टी समेत कर्नाटक विधानसभा लड़ने वाली कुल 13 राजनीतिक दलों का वोटिंग शेयर एक फीसद से भी कम है.

जिन प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई है अब उनको क्या करना होगा और उनको क्या नुकसान होगा, जानिए.
देश में लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए सामान्य प्रत्याशियों को 25 हजार रुपये की जमानत राशि नामांकन के समय जमा करानी होती है. वहीं विधानसभा चुनाव के लिए सामान्य उम्मीदवार को जमानत राशि 10 हजार रुपये जमा करानी होती है. जबकि एससी और एसटी वर्ग के प्रत्याशी केवल 5000 रुपये की जमानत राशि नामांकन के समय जमा कराकर चुनाव लड़ सकते हैं. चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार अगर चुनाव लड़ने वाला कोई प्रत्याशी मतदान के दौरान पर एक कुल वैध मतों का 1/6 हिस्सा प्राप्त करने में सफल नहीं होता है, तो ऐसे लोगों की जमानत जब्त हो जाया करती है. देश के जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा 158 में चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों द्वारा जमा की गई राशि के लौटने के तरीके के बारे में भी जिक्र किया गया है. इसमें स्पष्ट किया गया है कि जमानत राशि कैसे लौटाई जाएगी और क्यों जब्त कर ली जाएगी.

ये भी पढ़ेंः karnataka congress meeting: कर्नाटक में कांग्रेस विधायक दल की बैठक आज, सीएम पद को लेकर होगी चर्चा

ऐसे लौट जाती है जमानत राशि

  1. यदि किसी प्रत्याशी को चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों की सूची में दर्ज नहीं किया गया है तो उसकी जमानत राशि वापस हो जाती है.
  2. नामांकन खारिज होने और नामांकन वापस किए जाने के बाद या वापस लेने, मतदान शुरू होने से पहले उम्मीदवार की मौत हो जाने पर जमानत राशि वापिस हो जाती है.
  3. चुनाव जीतने वाले उम्मीदवार की भी जमानत राशि लौटा दी जाती है. चाहे वह कुल वैध मतों के 1/6 मत प्राप्त कर पाए या नहीं.

ये भी पढे़ंः Delhi Medical Council: बिना फिजिकल देखे मेडिकल सर्टिफिकेट देने पर होगी डॉक्टरों पर कार्रवाई, DMC का फैसला

नई दिल्ली: राष्ट्रीय पार्टी का खिताब हासिल करने के बाद पुरजोर तरीके से कर्नाटक विधानसभा चुनाव लड़ने वाली आम आदमी पार्टी को विधानसभा चुनाव में कुल प्राप्त वोट में से महज 0.58 फीसद वोट ही मिले हैं. वहीं, इससे अधिक लोगों ने नोटा का बटन दबाया है. कर्नाटक विधानसभा चुनाव में नोटा को 0.69 फीसद मतदाताओं को वोट दिया है. आम आदमी पार्टी ने भले ही बड़ी संख्या में वहां पर प्रत्याशी उतारे, लेकिन पार्टी का कोई भी बड़ा नेता वहां प्रचार करने के लिए नहीं पहुंचा. यहां तक कि आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी चुनाव प्रचार के अंतिम दिनों में पंजाब के जालंधर में डेरा डाले रहे और वहां पर लोकसभा सीट उपचुनाव के लिए पार्टी प्रत्याशी के समर्थन में प्रचार किया. मगर कर्नाटक से दूरी बनाए रखा.

कर्नाटक में 209 सीटों पर लड़ी थी 'आप'
कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए आम आदमी पार्टी ने 209 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे. शनिवार को मतगणना संपन्न होने के बाद चुनाव आयोग की वेबसाइट से मिली जानकारी के अनुसार आम आदमी पार्टी को 0.58 फीसद वोट शेयर प्राप्त हुआ. पार्टी को महज 2.25 लाख वोट मिले और आम आदमी पार्टी के सभी उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई. यानी विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन भरने के दौरान आम आदमी पार्टी के जितने भी प्रत्याशियों ने जमानत राशि के तौर पर पैसे जमा कराए थे, वह अब उन्हें वापस नहीं मिलेगा. हालांकि आम आदमी पार्टी समेत कर्नाटक विधानसभा लड़ने वाली कुल 13 राजनीतिक दलों का वोटिंग शेयर एक फीसद से भी कम है.

जिन प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई है अब उनको क्या करना होगा और उनको क्या नुकसान होगा, जानिए.
देश में लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए सामान्य प्रत्याशियों को 25 हजार रुपये की जमानत राशि नामांकन के समय जमा करानी होती है. वहीं विधानसभा चुनाव के लिए सामान्य उम्मीदवार को जमानत राशि 10 हजार रुपये जमा करानी होती है. जबकि एससी और एसटी वर्ग के प्रत्याशी केवल 5000 रुपये की जमानत राशि नामांकन के समय जमा कराकर चुनाव लड़ सकते हैं. चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार अगर चुनाव लड़ने वाला कोई प्रत्याशी मतदान के दौरान पर एक कुल वैध मतों का 1/6 हिस्सा प्राप्त करने में सफल नहीं होता है, तो ऐसे लोगों की जमानत जब्त हो जाया करती है. देश के जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा 158 में चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों द्वारा जमा की गई राशि के लौटने के तरीके के बारे में भी जिक्र किया गया है. इसमें स्पष्ट किया गया है कि जमानत राशि कैसे लौटाई जाएगी और क्यों जब्त कर ली जाएगी.

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ऐसे लौट जाती है जमानत राशि

  1. यदि किसी प्रत्याशी को चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों की सूची में दर्ज नहीं किया गया है तो उसकी जमानत राशि वापस हो जाती है.
  2. नामांकन खारिज होने और नामांकन वापस किए जाने के बाद या वापस लेने, मतदान शुरू होने से पहले उम्मीदवार की मौत हो जाने पर जमानत राशि वापिस हो जाती है.
  3. चुनाव जीतने वाले उम्मीदवार की भी जमानत राशि लौटा दी जाती है. चाहे वह कुल वैध मतों के 1/6 मत प्राप्त कर पाए या नहीं.

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