नई दिल्ली : ओडिशा के नुआपड़ा में हुए नक्सली हमले के पीछे चार टॉप माओवादी नेताओं की सुरक्षा एजेंसियों ने मास्टरमाइंड के रूप में पहचान की है. गौरतलब है कि ओडिशा के नुआपड़ा जिले में मंगलवार को नक्सलियों द्वारा किए गए हमले में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के तीन जवान शहीद हो गए. इंटेलिजेंस ग्रिड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बुधवार को नई दिल्ली में ईटीवी भारत को बताया कि हमला नक्सलियों के नेता गुड्डू उर्फ जयराम गिरोह ने किया था.
अधिकारी ने बताया कि हालांकि, ऑपरेशन गुड्डू गिरोह द्वारा किया गया था, लेकिन पूरी साजिश टॉप माओवादी नेता मल्ला राजी रेड्डी उर्फ मुरली ने रची थी. इंटेलिजेंस ग्रिड की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि एमएन डिवीजन के सचिव गुड्डू (एससीएम) के नेतृत्व में मणिपुर-नुआपड़ा डिवीजन के भाकपा (माओवादी) को छत्तीसगढ़ स्थित मणिपुर थाना सीमा क्षेत्र में नजर आया था. मणिपुर थाना नुआपड़ा जिला के बोडेन थाना सीमा पर है. काफी दिनों की शांति के बाद मणिपुर-नुआपड़ा डिवीजन के एक शीर्ष माओ नेता ने क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है.
दरअसल, सुरक्षा एजेंसियों ने ओडिशा में सक्रिय चार शीर्ष माओवादी नेताओं के खिलाफ अलर्ट जारी किया है. अधिकारी ने बताया, 'अपराधियों को पकड़ने के लिए बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान शुरू किया गया है.' मल्ला राजी रेड्डी और गुड्डू के अलावा रामचंद्र उर्फ कार्तिक और जदी वेंकट उर्फ सुरेश समेत दो और नक्सलियों के खिलाफ भी अलर्ट जारी किया गया है. रामचंद्र आंध्र प्रदेश का निवासी हैं और गुड्डू छत्तीसगढ़ का रहने वाले हैं. अन्य दो तेलंगाना के रहने वाले हैं.
बता दें कि ओडिशा के नुआपड़ा जिले में मंगलवार को नक्सलियों के हमले में सीआरपीएफ के तीन जवान शहीद हो गए थे. पुलिस ने बताया कि यह घटना भीडेन प्रखंड के पताधारा संरक्षित वन क्षेत्र में अपराह्न करीब ढाई बजे हुई. ओडिशा के पुलिस महानिदेशक एस के बंसल ने शाम तक घटना की पुष्टि करते हुए बताया, 'दुर्भाग्य से नुआपड़ा में तीन जवान शहीद हुए हैं.' अधिकारियों ने बताया कि सैनिकों पर उस समय हमला किया गया जब वे सड़क खोलने के अभियान में लगे हुए थे. उन्होंने कहा कि ऐसा संदेह है कि माओवादियों को सुरक्षा बलों की गतिविधियों के बारे में पहले से सूचना थी.
उन्होंने कहा कि माओवादियों ने देसी बैरल ग्रेनेड लॉन्चर (बीजीएल) का इस्तेमाल करके जवानों पर हमला किया. सीआरपीएफ के एक प्रवक्ता ने कहा, 'सैनिकों ने जवाबी कार्रवाई करते हुए माओवादियों को भागने पर मजबूर कर दिया.' अधिकारियों ने कहा कि एक प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार, घटना के समय सात जवान आगे बढ़ रहे थे. मृतकों की पहचान उत्तर प्रदेश के रहने वाले सहायक उप निरीक्षक (एएसआई) शिशु पाल सिंह, हरियाणा के एएसआई शिव लाल और बिहार के रहने वाले कांस्टेबल धर्मेंद्र कुमार सिंह के रूप में हुई है. वे केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की 19वीं बटालियन में थे.
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अधिकारियों ने बताया कि इलाके में तलाशी अभियान तेज कर दिया गया है और विशेष अभियान समूह (एसओजी) और सीआरपीएफ की और टीमें मौके पर मौजूद हैं. डीजीपी ने शोक संतप्त परिवारों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि अभियान तब तक जारी रहेगा जब तक माओवादियों का सफाया नहीं हो जाता. उन्होंने कहा कि जवानों का सर्वोच्च बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा. सीआरपीएफ ने हाल ही में कहा था कि छत्तीसगढ़ में उसके कुछ फॉरवर्ड ऑपरेशन बेस पर पिछले छह महीनों में 100-150 विस्फोटक से भरे उपकरणों का उपयोग करके हमला किया गया था. रॉकेट के आकार के इन देसी उपकरणों को बल द्वारा बीजीएल नाम दिया गया है.