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संविधान और लोकतंत्र बचाने के लिए धर्मनिरपेक्ष ताकतें एकजुट हों : येचुरी

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी (Sitaram Yechury) ने धर्मनिरपेक्ष ताकतों से एकजुट होने की अपील की है. येचुरी श्रीनगर में पार्टी के नेता एम वाई तारिगामी के आवास पर संवाददाता सम्मेलन में बोल रहे थे.

Sitaram Yechury
सीताराम येचुरी
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Published : Mar 24, 2022, 7:30 PM IST

श्रीनगर : भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के महासचिव सीताराम येचुरी ने देश में धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक ताकतों को मजबूत करने के लिए व्यापक धर्मनिरपेक्ष मोर्चे की आवश्यकता पर जोर दिया. साथ ही कहा कि अमेरिकी हितों के लिए देश ने स्वतंत्र विदेश नीति खो दी है. येचुरी गुरुवार को श्रीनगर में पार्टी के नेता एम वाई तारिगामी के आवास पर संवाददाता सम्मेलन में पत्रकारों से बात कर रहे थे.

येचुरी ने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि देश और संविधान को बचाने और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को अलग-थलग कर हराने के लिए सभी धर्मनिरपेक्ष ताकतें एकजुट हों. उन्होंने कहा कि धर्मनिरपेक्ष ताकतों को मजबूत करना होगा और देश को एक व्यापक धर्मनिरपेक्ष मोर्चे की जरूरत है. वरिष्ठ नेता ने विदेश नीति के लिए मोदी सरकार की आलोचना की. येचुरी ने तर्क दिया, विदेश नीति भारत की पारंपरिक स्वतंत्र स्थिति से पीछे हटकर अमेरिकी हितों के अधीन हो गई है. इसमें भारत को अमेरिका की वैश्विक रणनीतिक चिंता का 'जूनियर पार्टनर' बना दिया गया है.

सुनिए सीताराम येचुरी ने क्या कहा

उन्होंने कहा, 'भारत अब पूरी तरह से अमेरिकी विदेश नीति के साथ जुड़ गया है. मोदी सरकार अमेरिकी रणनीतिक और सैन्य गठबंधनों में शामिल है, चाहे वह क्वाड हो या इंडो-पैसिफिक या क्षेत्रीय संयुक्त सैन्य अभ्यास या रक्षा खरीद - उनके संबंधों को मजबूत किया गया है.' उन्होंने कहा कि यूक्रेन युद्ध को लेकर भी विदेश नीति में 'दुविधा' है. कम्युनिस्ट नेता येचुरी पार्टी के 12वें जम्मू-कश्मीर राज्य सम्मेलन में भाग लेने के आए थे. उन्होंने 5 अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट (SC) में जल्द सुनवाई की मांग की.

येचुरी ने बीरभूम हिंसा की निंदा की : मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी ने पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में आठ लोगों की हत्या की निंदा करते हुए कहा कि सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी द्वारा 'प्रायोजित' हिंसा बंद होनी चाहिए. येचुरी ने कहा, 'हम इसकी कड़ी निंदा करते हैं. हिंसा का यह मार्ग भाजपा और टीएमसी, दोनों द्वारा प्रायोजित है. भाजपा त्रिपुरा में माकपा के खिलाफ ठीक यही काम कर रही है. राजनीति में हिंसा और आतंक के इस चलन को खत्म करना होगा.'

ऐसी हत्याओं की जांच की घोषणा को लेकर पश्चिम बंगाल सरकार पर निशाना साधते हुए माकपा नेता ने कहा कि विशेष जांच दल (एसआईटी) राज्य में 'सूचना और सच्चाई के दमन' के लिए है. उन्होंने कहा, 'वे जांच का आदेश देते हैं, एसआईटी का गठन करते हैं, लेकिन पश्चिम बंगाल सरकार की एसआईटी का मतलब सूचना और सच्चाई का दमन है. यह जांच के लिए नहीं है, बल्कि सच्चाई को दबाने के लिए है.'

सम्मेलन में माकपा ने पारित किए प्रस्ताव : इससे पहले बुधवार को श्रीनगर में आयोजित पार्टी कार्यक्रम में माकपा ने एक प्रस्ताव पारित किया जिसमें कहा गया कि भाजपा सरकार के अगस्त के कदम के बाद से जम्मू-कश्मीर में समग्र स्थिति खराब हो गई है. इसमें कहा गया कि इस 'बेशर्म हमले' ने जम्मू और कश्मीर के संविधान को ध्वस्त कर दिया. इसने राज्य और संघ के लोगों के बीच संबंधों को भी गंभीर रूप से कमजोर कर दिया है. इस सत्तावादी कदम ने लोगों को और पीछे धकेल दिया है.

माकपा नेता तारिगामी ने कहा, 'अगर अमित शाह कहते हैं कि जम्मू-कश्मीर के विकास के लिए अनुच्छेद 370 को निरस्त किया गया था, तो वे उस राज्य के विकास के लिए हिमाचल प्रदेश में अनुच्छेद 371 को क्यों नहीं हटा रहे हैं. अनुच्छेद 370 को कभी भी विकास के लिए नहीं रद्द किया गया था.' नेता ने घाटी में कश्मीरी हिंदुओं की हत्याओं और विस्थापन पर हाल ही में रिलीज हुई विवादास्पद फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' की भी निंदा की. नेता ने कहा कि इसका खामियाजा न केवल कश्मीर पंडितों को भुगतना पड़ा, बल्कि मुस्लिम और सिख जैसे अन्य समुदायों के पीड़ितों को भी भुगतना पड़ा, जो फिल्म में जानबूझकर की गई चूक है.

तारिगामी ने जम्मू-कश्मीर में मुसलमानों, पंडितों, सिखों और अन्य समुदायों के साथ क्या हुआ, इसकी जांच के लिए दक्षिण अफ्रीका के रंगभेद खत्म करने के लिए बनाए गए टीआरसी की तर्ज पर एक आयोग गठित करने का आह्वान किया. तारिगामी ने कहा, 'सरकार को कश्मीर की बड़ी फाइलें खोलने दीजिए, हम सरकार को लोगों को बांटने नहीं देंगे.'

पढ़ें- Birbhum Violence: कलकत्ता हाई कोर्ट में फैसला सुरक्षित

पढ़ें- कश्मीरी पंडित फिर SC पहुंचे, नरसंहार की दोबारा जांच कराने की अपील

श्रीनगर : भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के महासचिव सीताराम येचुरी ने देश में धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक ताकतों को मजबूत करने के लिए व्यापक धर्मनिरपेक्ष मोर्चे की आवश्यकता पर जोर दिया. साथ ही कहा कि अमेरिकी हितों के लिए देश ने स्वतंत्र विदेश नीति खो दी है. येचुरी गुरुवार को श्रीनगर में पार्टी के नेता एम वाई तारिगामी के आवास पर संवाददाता सम्मेलन में पत्रकारों से बात कर रहे थे.

येचुरी ने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि देश और संविधान को बचाने और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को अलग-थलग कर हराने के लिए सभी धर्मनिरपेक्ष ताकतें एकजुट हों. उन्होंने कहा कि धर्मनिरपेक्ष ताकतों को मजबूत करना होगा और देश को एक व्यापक धर्मनिरपेक्ष मोर्चे की जरूरत है. वरिष्ठ नेता ने विदेश नीति के लिए मोदी सरकार की आलोचना की. येचुरी ने तर्क दिया, विदेश नीति भारत की पारंपरिक स्वतंत्र स्थिति से पीछे हटकर अमेरिकी हितों के अधीन हो गई है. इसमें भारत को अमेरिका की वैश्विक रणनीतिक चिंता का 'जूनियर पार्टनर' बना दिया गया है.

सुनिए सीताराम येचुरी ने क्या कहा

उन्होंने कहा, 'भारत अब पूरी तरह से अमेरिकी विदेश नीति के साथ जुड़ गया है. मोदी सरकार अमेरिकी रणनीतिक और सैन्य गठबंधनों में शामिल है, चाहे वह क्वाड हो या इंडो-पैसिफिक या क्षेत्रीय संयुक्त सैन्य अभ्यास या रक्षा खरीद - उनके संबंधों को मजबूत किया गया है.' उन्होंने कहा कि यूक्रेन युद्ध को लेकर भी विदेश नीति में 'दुविधा' है. कम्युनिस्ट नेता येचुरी पार्टी के 12वें जम्मू-कश्मीर राज्य सम्मेलन में भाग लेने के आए थे. उन्होंने 5 अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट (SC) में जल्द सुनवाई की मांग की.

येचुरी ने बीरभूम हिंसा की निंदा की : मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी ने पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में आठ लोगों की हत्या की निंदा करते हुए कहा कि सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी द्वारा 'प्रायोजित' हिंसा बंद होनी चाहिए. येचुरी ने कहा, 'हम इसकी कड़ी निंदा करते हैं. हिंसा का यह मार्ग भाजपा और टीएमसी, दोनों द्वारा प्रायोजित है. भाजपा त्रिपुरा में माकपा के खिलाफ ठीक यही काम कर रही है. राजनीति में हिंसा और आतंक के इस चलन को खत्म करना होगा.'

ऐसी हत्याओं की जांच की घोषणा को लेकर पश्चिम बंगाल सरकार पर निशाना साधते हुए माकपा नेता ने कहा कि विशेष जांच दल (एसआईटी) राज्य में 'सूचना और सच्चाई के दमन' के लिए है. उन्होंने कहा, 'वे जांच का आदेश देते हैं, एसआईटी का गठन करते हैं, लेकिन पश्चिम बंगाल सरकार की एसआईटी का मतलब सूचना और सच्चाई का दमन है. यह जांच के लिए नहीं है, बल्कि सच्चाई को दबाने के लिए है.'

सम्मेलन में माकपा ने पारित किए प्रस्ताव : इससे पहले बुधवार को श्रीनगर में आयोजित पार्टी कार्यक्रम में माकपा ने एक प्रस्ताव पारित किया जिसमें कहा गया कि भाजपा सरकार के अगस्त के कदम के बाद से जम्मू-कश्मीर में समग्र स्थिति खराब हो गई है. इसमें कहा गया कि इस 'बेशर्म हमले' ने जम्मू और कश्मीर के संविधान को ध्वस्त कर दिया. इसने राज्य और संघ के लोगों के बीच संबंधों को भी गंभीर रूप से कमजोर कर दिया है. इस सत्तावादी कदम ने लोगों को और पीछे धकेल दिया है.

माकपा नेता तारिगामी ने कहा, 'अगर अमित शाह कहते हैं कि जम्मू-कश्मीर के विकास के लिए अनुच्छेद 370 को निरस्त किया गया था, तो वे उस राज्य के विकास के लिए हिमाचल प्रदेश में अनुच्छेद 371 को क्यों नहीं हटा रहे हैं. अनुच्छेद 370 को कभी भी विकास के लिए नहीं रद्द किया गया था.' नेता ने घाटी में कश्मीरी हिंदुओं की हत्याओं और विस्थापन पर हाल ही में रिलीज हुई विवादास्पद फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' की भी निंदा की. नेता ने कहा कि इसका खामियाजा न केवल कश्मीर पंडितों को भुगतना पड़ा, बल्कि मुस्लिम और सिख जैसे अन्य समुदायों के पीड़ितों को भी भुगतना पड़ा, जो फिल्म में जानबूझकर की गई चूक है.

तारिगामी ने जम्मू-कश्मीर में मुसलमानों, पंडितों, सिखों और अन्य समुदायों के साथ क्या हुआ, इसकी जांच के लिए दक्षिण अफ्रीका के रंगभेद खत्म करने के लिए बनाए गए टीआरसी की तर्ज पर एक आयोग गठित करने का आह्वान किया. तारिगामी ने कहा, 'सरकार को कश्मीर की बड़ी फाइलें खोलने दीजिए, हम सरकार को लोगों को बांटने नहीं देंगे.'

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