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द्वितीय केदार मद्महेश्वर मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए बंद, डोली ओंकारेश्वर मंदिर के लिए रवाना

कपाट बंद होने के बाद भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली अपने गद्दीस्थल के लिए रवाना हो गई. 25 नवंबर को भगवान की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ पहुंचेगी, जहां 6 महीने तक भगवान की पूजा -अर्चना होगी.

द्वितीय
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Published : Nov 22, 2021, 3:53 PM IST

रुद्रप्रयाग : पंच केदारों में द्वितीय केदार के नाम से विख्यात भगवान मद्महेश्वर के कपाट आज सुबह 8 बजे वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं.

कपाट बंद होने के बाद भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली अपने धाम से शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिये रवाना हुई. भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली 25 नवंबर को ओंकारेश्वर मंदिर पहुंचेगी, जहां पर 6 माह के लिए भगवान मद्महेश्वर की पूजा-अर्चना होगी. डोली पहुंचने पर ऊखीमठ में मेले का आयोजन किया जाएगा.

बता दें, पौराणिक परंपरा के तहत आज द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर मंदिर के कपाट बंद किये गए. कपाट बंद होने से पूर्व भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली मद्महेश्वर मंदिर की 3 परिक्रमा की.

डोली ओंकारेश्वर मंदिर के लिए रवाना

इसके अलावा डोली ने धाम में अपने तांबे के बर्तनों का निरीक्षण किया और भक्तों को आशीर्वाद भी दिया. कपाट बंद करने से पूर्व भगवान मद्महेश्वर के स्वयंभू लिंग को पूजार्थ सामग्री से 6 माह के लिये समाधि दी गई.

आज भगवान मदमहेश्वर की डोली एवं अन्य देवी-देवता प्रथम रात्रि प्रवास के लिये गौंडार गांव पहुंचेंगे. 23 नवंबर को भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली गौंडार गांव से प्रस्थान कर द्वितीय रात्रि प्रवास के लिए राकेश्वरी मंदिर से रांसी पहुंचेगी.

24 नवंबर को भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली राकेश्वरी मंदिर रांसी से प्रस्थान कर उनियाणा, राऊलैंक, बुरुवा और मनसूना यात्रा पड़ावों पर श्रद्धालुओं को आशीष देते हुए अंतिम रात्रि प्रवास के लिए गिरीया गांव पहुंचेगी. उसके बाद 25 नवंबर को गिरीया गांव से प्रस्थान कर फापंज, सलामी, मंगोलचारी, ब्राह्मणखोली, डंगवाडी होते हुए अपने शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर पहुंचेगी.

पढ़ें : रुद्रप्रयाग: 50 दिन चली केदारनाथ यात्रा, व्यापारियों के चेहरों पर लौटी 'मुस्कान'

रुद्रप्रयाग : पंच केदारों में द्वितीय केदार के नाम से विख्यात भगवान मद्महेश्वर के कपाट आज सुबह 8 बजे वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं.

कपाट बंद होने के बाद भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली अपने धाम से शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिये रवाना हुई. भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली 25 नवंबर को ओंकारेश्वर मंदिर पहुंचेगी, जहां पर 6 माह के लिए भगवान मद्महेश्वर की पूजा-अर्चना होगी. डोली पहुंचने पर ऊखीमठ में मेले का आयोजन किया जाएगा.

बता दें, पौराणिक परंपरा के तहत आज द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर मंदिर के कपाट बंद किये गए. कपाट बंद होने से पूर्व भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली मद्महेश्वर मंदिर की 3 परिक्रमा की.

डोली ओंकारेश्वर मंदिर के लिए रवाना

इसके अलावा डोली ने धाम में अपने तांबे के बर्तनों का निरीक्षण किया और भक्तों को आशीर्वाद भी दिया. कपाट बंद करने से पूर्व भगवान मद्महेश्वर के स्वयंभू लिंग को पूजार्थ सामग्री से 6 माह के लिये समाधि दी गई.

आज भगवान मदमहेश्वर की डोली एवं अन्य देवी-देवता प्रथम रात्रि प्रवास के लिये गौंडार गांव पहुंचेंगे. 23 नवंबर को भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली गौंडार गांव से प्रस्थान कर द्वितीय रात्रि प्रवास के लिए राकेश्वरी मंदिर से रांसी पहुंचेगी.

24 नवंबर को भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली राकेश्वरी मंदिर रांसी से प्रस्थान कर उनियाणा, राऊलैंक, बुरुवा और मनसूना यात्रा पड़ावों पर श्रद्धालुओं को आशीष देते हुए अंतिम रात्रि प्रवास के लिए गिरीया गांव पहुंचेगी. उसके बाद 25 नवंबर को गिरीया गांव से प्रस्थान कर फापंज, सलामी, मंगोलचारी, ब्राह्मणखोली, डंगवाडी होते हुए अपने शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर पहुंचेगी.

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